- इलेक्शन कमीशन ने अपने रेट चार्ट में बढ़ा दिया है हर चीज का रेट

- अब रेट लिस्ट के हिसाब से हो रही है कैंडीडेट्स और पार्टी के चुनाव खर्च की मॉनिटरिंग

- खर्च कम दिखाने के लिए पार्टी और नेता अपना रहे तरह-तरह के हथकंडे

VARANASI : पांच साल जनता महंगाई से जूझती रही और नेता सिर्फ बयानबाजी कर चिंता जताते रहे। मगर अब नेता हो या पॉलिटिकल पार्टियां, अब सभी को महंगाई की मार का एहसास हो रहा है। ये एहसास कराया है इलेक्शन कमीशन ने जिसने चुनाव खर्च कैल्कुलेट करने के लिए हर एक चीज का रेट चार्ट बना लिया है। कोई भी पार्टी या कैंडीडेट इस रेट चार्ट से कम पर किसी भी चीज की खरीद या किराया नहीं दिखा सकता। अब सभी टेंशन में हैं क्योंकि अब उन्हें खर्च कम दिखाने के लिए तरह-तरह की जुगत लगानी पड़ रही है। देखिये कैसे-कैसे मैनेज किया जा रहा है चुनाव खर्च

हुआ महंगा बहुत ही चुनाव की, थोड़ा-थोड़ा खर्च करो

एक पार्टी के चुनाव कार्यालय में हर रोज की तरह चहल-पहल है। दोपहर की कड़ी धूप में प्रचार कर कार्यकर्ता लौटते हैं। उन्हें आते देख रामप्रकाश आवाज लगाते हैं। अरे भाई संजीव जी आए हैं, जरा उन्हें पानी तो पिलाओ। आज बड़े एरिया में प्रचार करके लौटे हैं। थोड़े इंतजार के बाद एक व्यक्ति एक प्लेट में गुड़ और स्टील के कुछ ग्लास और एक जग में पानी लेकर आता है। दर्जनभर से अधिक कार्यकर्ता गुड़ खाकर पानी से अपना गला तर करते हैं।

हटा रहे गद्दे, लगा रहे दरी

ये गद्दे किसने लगा दिये। सभी कमरों में दरी लगाओ। केन्द्रीय चुनाव कार्यालय में चुनाव लड़ रहे नेता जी का फरमान सुनते ही वहां मौजूद लोग काम में जुट गए। थोड़ी ही देर में गद्दे हट गए और दरियां बिछा दी गयीं। दो-चार कुर्सियों को छोड़कर अन्य कुर्सियां भी पलक झपकते गायब हो गयीं। कार्यालय के खुले एरिया को टेंट के बजाय सिर्फ पतले सफेद कपड़े से कवर कर दिया गया है। अब नेता से लेकर समर्थक हर कोई दरी पर बैठ रहा है। भले पसीना-पसीना हो लेकिन पंखे ही हवा से ही काम चला रहा है।

जुग्गन मियां का टूटा सपना

पिछले कई चुनाव में प्रचार के दौरान छककर रस मलाई उड़ाने वाले जुग्गन मियां (बदला हुआ नाम) लोकसभा चुनाव आते ही एक मोटे आसामी समझे जाने वाले कैंडीडेट के प्रचार में कूद पड़े। सोचा की दिन में मुर्गा और रात में दो पैग तो मिल ही जाया करेगा। साथ गाड़ी में पेट्रोल का खर्च अलग से मिलेगा। दो-चार दिन दौड़ने के बाद मुर्गा और रस मलाई कौन कहे बर्फी तक के दर्शन नहीं हुए। पेट्रोल और पान का खर्च भी अपने पॉकेट से लगाना पड़ा। अब वो फील्ड में चुनाव प्रचार को छोड़ कार्यालय में सेवा दे रहे हैं। इससे कम से कम पेट्रोल का खर्च तो बच रहा है।

अब बचत की जुगत

ये तीन नजारे ये बताने के लिए काफी हैं कि चुनाव में पार्टी और कैंडीडेट लेवल पर चुनाव को लेकर बहुत कंजूसी है। मैदान में लगभग सभी नेशनल पार्टियों के लखपति या करोड़पति प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। लेकिन खर्च के नाम पर पाई-पाई का हिसाब हो रहा है। पिछले चुनावों में जो पार्टियां या उम्मीदवार अपने कार्यकर्ताओं को हर सुख-सुविधा एवलेबल कराते थे, इस बार वो हर चीज बहुत नाम-जोख कर दे रहे हैं। यहां की केंद्रीय चुनाव कार्यालय में हर एक चीज का हिसाब रखा जा रहा है ताकि कहीं फिजूल खर्ची ना दिखे। इस कंजूसी की एक वजह है, महंगाई। इस महंगाई की मार ने ही पार्टियों और नेताओं को बचत की जुगत में लगा दिया है।

हर चीज का होगा हिसाब

लोकसभा चुनाव में कैंडीडेट के लिए मैक्सिमम खर्च की लिमिट इलेक्शन ने 70 लाख तय की है। यानि कैंडीडेट 70 लाख रुपये से ज्यादा खर्च नहीं कर सकता। इसके साथ ही इलेक्शन कमीशन इलेक्शन, प्रचार, चुनावी सभा, चुनाव कार्यालय में इस्तेमाल होने वाली हर एक चीज का मिनिमम रेट भी डिसाइड कर दिया है ताकि कोई कैंडीडेट क्00 रुपये की चीज को क्0 रुपये का बता कर खर्च की लिमिट मैनेज करने का फ्राड न कर सके। हर चीज का रेट महंगाई के हिसाब से अपडेट किया गया है। लिहाजा अब पार्टियों और कैंडीडेट्स को बहुत सोच-समझ कर खर्च करना पड़ रहा है।

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ऑफिस में एसी मगर स्वागत देसी

आई नेक्स्ट ने चुनाव खर्च मैनेजमेंट देखने के लिए सबसे पहले बीजेपी सेंट्रल इलेक्शन ऑफिस का रूख किया। ऑफिस वैसे तो सिटी के सबसे पॉश एरिया रथयात्रा पर नवनिर्मित सबसे महंगे कॉम्लेक्स में है। लेकिन अंदर की व्यवस्था में बहुत ही सादगी रखी गयी है।

- एक बड़े से हॉल में बीजेपी का केंद्रीय चुनाव कार्यालय संचालित है जिसमें एसी भी लगा हुआ है।

- अंदर करीब दो दर्जन कुर्सियों के अलावा एक टेबल है तथा अंदर हिस्से में गद्दे बिछाये गये हैं।

- यहां आने वाले हर आगंतुक का स्वागत गुड़ और मटके के पानी से किया जाता रहा है।

- प्रचार के थक कर आने वाले कार्यकर्ताओं को आराम के लिए गद्दे बिछाये गये हैं।

- बीजेपी के गुलाब बाग कार्यालय में बाहर से चाय आनी बंद हो गयी है।

- लोग आपसी मिल बांट कर कार्यालय के बाहर जाकर चाय-नाश्ता करते हैं।

- यहां भी गुड़ और मटके पानी से गला तर कराने की व्यवस्था रखी गयी है।

इलेक्शन कमीशन के सभी निर्देशों का पालन किया जा रहा है। पार्टी से जुड़े हर शख्स को पार्टी की ओर से हिदायत दी गयी है कि किसी भी सूरत में आदर्श आचार संहिता का या चुनाव खर्च का उल्लंघन न हो।

-संजय भारद्वाज, मीडिया प्रभारी, बीजेपी

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जो ऑर्डर देगा वही करेगा पेमेंट

आम आदमी पार्टी का फिलहाल कोई केंद्रीय चुनाव कार्यालय अबतक शुरू नहीं हुआ है। ऑफिस के नाम पर मलदहिया एक ऑफिस क्0 बाई क्0 के कमरे में चल रहा है। कार्यालय में 'खर्च' होने जैसी चीज को ढूंढ पाना थोड़ा मुश्किल है।

- आप कार्यालय कुछ सींक वाले झाडू और दीवार पर अरविंद केजरीवाल के तस्वीर वाले बैनर से सजा दिखायी देता है।

- एक टेबल और दो-चार कुर्सियां इस ऑफिस में नजर आती हैं। एक ओर जमीन पर दरी है जिस पर कार्यकर्ता बैठते हैं।

- कमरे में एक ओर एक और टेबल नजर आता है जिस पर दो कम्प्यूटर लगे हैं और यहीं से मीडिया मैनेजमेंट होता है।

- किसी कार्यकर्ता ने यहां दो कार्टन बिस्किट रख दी है जो फिलहाल लोगों को पानी पिलाने के काम आ रहा है।

- इस ऑफिस की एक व्यवस्था ये भी है कि जो चाय का ऑर्डर देगा वहीं पेमेंट करेगा। इसे उसका व्यक्तिगत खर्च माना जाएगा।

- आप को मोमिन कान्फ्रेंस ने सपोर्ट देते हुए सिगरा स्थित एक कार्यालय दिया है लेकिन यहां अभी आप मेम्बर्स की एक्टिविटी जीरो है।

हमारे कैंडीडेट की भ्0 लाख खर्च करने की हैसियत नहीं है 70 लाख तो दूर की कौड़ी है। आपसी सहयोग से जो कुछ हो पा रहा हैं कर रहे हैं। चाय पान का खर्च भी कार्यकर्ता की जेब से ही आता है। मिठाई और लौंगलता खाने वाले हमारे कार्यकर्ता नहीं है।

-संजीव सिंह, पूर्वाचल संयोजक, आम आदमी पार्टी

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मठरी और मगदल से होता है स्वागत

भले ही समाजवादी पार्टी सत्ता में है और बनारस में इस पार्टी के वर्कर्स की भरमार है मगर चुनाव खर्च बचाने में इस पार्टी को भी जतन करना पड़ रहा है। समाजवादी पार्टी के कैंडीडेट कैलाश चौरसिया ने अपना कार्यालय सिगरा नगर निगम मोड़ के पास खोला है।

- किसी जमाने शाह जी की कोठी नाम से मशहूर इस चुनाव कार्यालय में भले ही सुबह और शाम दर्जनों नेताओं और वर्कर्स की भीड़ जमा होती हो मगर कुर्सियों की संख्या ख्0 रखी गयी है।

- ज्यादातर लोगों के बैठने का इंतजाम ऑफिस कैम्पस में बने लॉन में किया गया है।

- यहां आगंतुक के पहुंचने पर मठरी या मगदल से उसका स्वागत किया जाता है मगर पार्टी खर्च पर चाय मंगाना एलॉउ नहीं है।

- इस कार्यालय बिल्डिंग में कार्यालय प्रमुख के लिए एक कमरा है जिसमें दो-चार कुर्सियों के अलावा गर्मी से राहत के नाम पर एक पंखा है।

- एक कम्प्यूटर रूम भी है जिसमें एक बंदा कम्प्यूटर पर पार्टी के काम काज की डिटेल कम्प्यूटर पर फीड करता नजर आता है।

- खर्च में कटौती के लिए इस पार्टी ने कार्यकर्ताओं को ही ज्यादातर खर्च की जिम्मेदारी दे रखी है।

- भीड़ होने पर चंदा मिलाकर नाश्ता-पानी मंगाया जाता है या फिर कोई अगर खुद खर्च करना चाहे तो बात अलग है।

चुनाव आयोग की खर्चो पर नजर है। हमारी कोशिश है कि चुनाव के दौरान पार्टी कार्यालय में खर्च को कम से कम रखा जाये। इसलिए सिर्फ नाश्ते का अरेंजमेंट है जबकि चाय पान के लिए कार्यकर्ता खुद अपना खर्च उठा रहे हैं।

-संदीप मिश्रा, प्रवक्ता, सपा महानगर

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पीने का सिर्फ पानी, बैठने को दरी

देर से चुनाव मैदान में कांग्रेस कैंडीडेट के रूप में अजय राय आये हैं। उनका चुनाव कार्यालय फातमान रोड पर खुला है। इस कार्यालय में जगह की कमी नहीं है। मगर इंतजाम में सादगी का पूरा ध्यान रखा गया है।

- फातमान रोड पर खुले इस कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव कार्यालय में काफी लोग के एक साथ बैठने के लिए काफी स्पेस है।

- सिर्फ एक दिन पहले खुले इस कार्यालय के इनॉगरेशन में भी काफी सादगी रखी गयी। साधारण पूजा से इसका शुभारंभ हुआ।

- उद्घाटन के दिन मुंह मीठा करने के बाद फिलहाल लोगों को स्वागत के रूप में पीने का ठंडा पानी ही दिया जा रहा है।

- खर्च बचाने के लिए ऑफिस में फर्नीचर का बहुत ही लिमिटेड रखा गया है। गिनती की फाइबर की कुर्सियां यहां नजर आती हैं।

- कार्यकर्ताओं के बैठने के लिए ऑफिस कैम्पस में कई जगह बड़ी दरी की व्यवस्था है जहां वो पंखे के नीच आराम से बैठ सकते हैं।

- इस पार्टी ने भी कह रखा है कि नाश्ता और चाय-पान के लिए वर्कर्स अपना खर्च खुद उठाएं।

कैसे खर्च कर रहे मैनेज

- ज्यादातर पार्टियों और कैंडीडेट ने अपने केंद्रीय चुनाव कार्यालय में सादगी का माहौल रखा है।

- कोल्ड ड्रिंक, शरबत, मिठाई की जगह गुड़, बताशे और ठंडे पानी से कार्यकर्ताओं का हो रहा है स्वागत

- पदाधिकारियों को कहा गया है कि वो अपने नाश्ते-पानी का खर्च खुद वहन करें।

- कार्यकर्ताओं को भी वालेंटरी सर्विस देने के लिए कहा गया है।

- कुर्सियों की जगह दरी पर बैठकर तय हो रही है चुनाव प्रचार की रणनीति

- फोर व्हीलर्स की जगह टू व्हीलर्स पर किया जा रहा है ज्यादा भरोसा

- इलेक्शन कमीशन की सख्ती से बैनर-पोस्टर, होर्डिग का खर्च पहले ही हो चुका है कम।

इलेक्शन कमीशन का रेट चार्ट

-किराये का कमरा (सिटी एरिया में क्0 रुपये प्रति वर्ग फीट, शहर से सटे एरिया में 8 रुपये प्रति वर्ग फीट तथा रुरल एरिया में भ् रुपये प्रति वर्ग फीट)

-टेंट, पन्द्रह बाई पन्द्रह, भ्00 रुपये

-टेबल क्लाथ, भ्भ् रुपये

-वुडेन बेंच, ख्भ् रुपये

-स्वागत द्वार आयरन फ्रेम पर कपड़ा लगा, फ्ख्00 रुपये

-चांदनी आठ गुणे दस, फ्0 रुपये

-मटका लगा मेज, क्म्0 रुपये

-स्टेज, म्000 रुपये

-मसनद तकिया, ख्0 रुपये

-गजरा बुके, क्00 रुपये/पीस

-डीजे बाक्स, ब्भ्0 रुपये

-डीजे मशीन, क्700 रुपये

-कारपेट, क्70 रुपये

-सीएफएल या बल्ब, क्भ् रुपये

-कनात, म्0 रुपये

-पेट्रोमैक्स, ख्भ्0 रुपये

-पानी वाला जग, क्0 रुपये

-थरमस, भ्0 रुपये

-प्लास्टिक चटाई, ख्0 रुपये

-ख्0 लीटर गैलन पानी, म्भ् रुपये

-डायस, भ्000 रुपये

-बैरीकेडिंग, ब्भ् रुपये/ वर्ग मीटर

-कुर्सी, भ् रुपये

-वीआईपी कुर्सी, क्क्0 रुपये

-फ्लोर मैटिंग, क्0 रुपये/ वर्ग मीटर

-दरी, दस गुणे आठ, ख्0 रुपये

-सोफा, क्भ्00 रुपये

-पोल तोरण, क्80 रुपये

-गेट तोरण, फ्ख्00 रुपये

-हैलोजन लैम्प, म्भ् रुपये

-इन्वर्टर डबल बैटरी, फ्म्00 रुपये

-ओनिडा टीवी मॉडल ख्ब् एमएमएस, ख्0,000 रुपये व किराया क्00 रुपये

-ओनिडा टीवी एलसीडी मॉडल फ्ख् एफडीजी, फ्0,000 रुपये व किराया क्भ्0 रुपये

(नोट: सभी आंकड़े एक पीस प्रति दिन के किराये के हिसाब से हैं)

खान-पान

-समोसा, ब् रुपये

-लौंगलता-क्ख् रुपये

-गुलाब जामुन, 9 रुपये

-बरफी-छह रुपये

-रसगुल्ला, 8 रुपये

-रसमलाई, क्ख् रुपये

-राजभोग, क्ख् रुपये

-रसमाधुरी, क्ब् रुपये

-ब्रेड पकौड़ा, म् रुपये

-सोहाल, म् रुपये

-चाय साधारण, भ् रुपये

-चाय स्पेशल, 8 रुपये

-काफी, ख्0 रुपये

-मिनरल वाटर एक लीटर, क्8 रुपये

-मिनरल वाटर गिलास, भ् रुपये

-नमकीन प्रति प्लेट, क्भ् रुपये

-दूध प्रति लीटर, म्0 रुपये

-लंच पैकेट (दो सौ ग्राम सब्जी, एक पीस बरफी, भ्0 ग्राम अचार), फ्भ् रुपये