भारत ने पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत के निर्माण का पहला चरण पूरा होने के बाद सोमवार को इसे लॉन्च किया गया.

इसके साथ ही भारत इस आकार और क्षमता वाले पोत का डिजाइन बनाने और निर्माण करने वाले अमरीका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस जैस देशों के क्लब में शामिल हो गया है.

रक्षा मंत्री एके एंटनी की पत्नी एलिजाबेथ ने कोच्चि में साढ़े 37 हज़ार टन वजन वाले इस  पोत का शुभारंभ किया. एंटनी ने करीब साढ़े चार साल पहले इसके निर्माण कार्य की बुनियाद रखी थी.

नौसैनिक क्षमता

विक्रांत के शुभारंभ के बाद बहुत से भारतीयों का मानना है कि इससे देश की  नौसैनिक क्षमता और बढ़ी है. वहीं इसको लेकर चीनी विशेषज्ञों और मीडिया की राय अलग है.

भारतीय  नौसेना के वाइस एडमिरल आरके धवन ने इस शुभारंभ को  नौसेना के स्वदेशीकरण परियोजना के ताज में एक और रत्न का जुड़ना बताया है.

वहीं  चीन के प्रमुख रक्षा विश्लेषक एडमिरल यिन ज़ू को इसमें गर्व जैसी कोई बात नज़र नहीं आती है, क्योंकि विक्रांत बहुत हद तक उपकरणों की आपूर्ति करने वाले विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर है.

चीनी के सरकारी टीवी चैनल सीसीटीवी पर आयोजित एक परिचर्चा में एडमिरल यिन ने कहा,''भारतीय विमान वाहक पोत तट पर आधारित विमानों के सुरक्षा कवर के बिना कुछ नहीं कर सकता है. इस पर तैनात विमान हल्के और कम क्षमता वाले जेट लड़ाकू विमान होंगे. भारत का विमान वाहक पोत वास्तव में बहुदेशीय ब्रांड है.''

भारत की किसी भी रणनीतिक पहल को पाकिस्तान से जोड़कर देखा जाता है, इस मामले में विक्रांत भी अलग नहीं है.

सीसीटीवी के सैन्य विशेषज्ञ हाँग लिन कहते हैं कि इस विमानवाहक पोत से पाकिस्तान को कोई ख़तरा नहीं है, क्योंकि उसके पास परमाणु क्षमता है.

लिन कहते हैं,''एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दहशत और खौफ़ के लिए भारत की योजना है. लेकिन वास्तव में ऐसा कर पाना बहुत मुश्किल है. भारत की पारंपरिक सैन्य ताकत बढ़ती रहती है. लेकिन यह पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की वजह से उसका असर कम हो जाता है. दक्षिण एशिया में भारत उपकरणो के विकास पर बहुत अधिक पैसा खर्च कर रहा है.''

एशिया प्रशांत क्षेत्र

लिन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विक्रांत की भूमिका को लेकर बहुत आश्वास्त नहीं हैं.

वो कहते हैं,''एशिया प्रशांत क्षेत्र के व्यापक दायरे में जब अमरीका, जापान और चीन की युद्धक क्षमता और उसके दोगुने पोतों की विश्वसनीयता की बात आती है तो अभी इसके मूल्यांकन की जरूरत है.''

चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी मिलेट्री स्टडीज रिसर्च इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ शोधकर्ता ज़ांग जुनशे को लगता है कि भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत के निर्माण से उसकी नौसैनिक क्षमता बढ़ेगी और इससे दक्षिण एशिया में सैन्य संतुलन बिगड़ेगा.

सैन्य उपकरणों के शोधकर्ता वैंग डागुआंग ने चीन के सरकारी अख़बार ‘चाइना डेली’ से कहा नया विमान वाहक पोत रूस जैसे दुनिया के प्रमुख सैन्य विक्रेताओं के साथ कुछ मोलभाव के दायरे को बढ़ाएगा.

अख़बार ग्वांगज़ू रिबाओ के प्रमुख टिप्पणीकार ज़िंग ली के मुताबिक़ विक्रांत दर्शाता है कि भारत का बड़े देश का सपना अंतहीन है. लेकिन अभी यह केवल प्रोत्साहन, गर्व और प्रचार की ही भूमिका निभा सकता है.

भारत-चीन संबंध

अख़बार बीजिंग चेनबाओ को लगता है कि विक्रांत के लॉन्च होने से भारत-चीन समझौते पर असर नहीं डालेगा.

अख़बार कहता है, ''भारत के अपना विमान वाहक पोत बनाने के तत्काल बाद भारत और उसके बाहर के मीडिया की निगाहें चीन की ओर घूम गई हैं. हालांकि कुछ मीडिया की ओर से भारत की ओर से चीन के खिलाफ उन्नत हथियार बनाने का प्रचार करने के बाद भी चीनी सरकार शांत बनी हुई है. भारत के उन्नत हथियारों के निर्माण पर चीन ने शायद ही कभी कोई कड़ी प्रतिक्रिया दी हो. पिछले साल भारत की ओर से लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम एक मिसाइल के परीक्षण के बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत और चीन सहयोगी हैं प्रतिद्वंदी नहीं.''

चीन के नेशनल डिफ़ेंस यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर ली डागुआंग कहते हैं, ''दुनिया के विमान वाहक पोत एशिया-प्रशांत में जमा हैं. लेकिन चीन इस तरह की जटिल स्थिति नहीं देखना चाहता है."

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