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LUCKNOW : लंबे समय के बाद राज्य सरकार ने स्कूली वाहनों की मनमानी पर अंकुश लगाने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट ने तय किया कि स्कूली वाहनों को नियमों के दायरे में लाने के लिए उप्र मोटरयान नियमावली-1998 में नया अध्याय जोड़ा जाए ताकि इस बाबत पूर्व में जारी केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को अनुपालन हो सके। नियमावली में नया अध्याय जुडऩे के बाद स्कूली वाहनों को परमिट देने से लेकर बच्चों की सुरक्षा के हर पहलू को समेटा जाएगा। यह हर तरह के स्कूली वाहन पर लागू होगा। राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि कैबिनेट में इस पर हुई चर्चा में तमाम तरह के सुझाव भी सामने आए जिन्हें नियमावली में शामिल किया जाएगा।

ये उठाये जायेंगे कदम

 स्कूली वाहनों की आयु सीमा निर्धारित किया जाना
- अलग-अलग किस्म के वाहनों को परमिट देते वक्त नियमों को सख्त बनाना
- स्कूली वाहन के गेट और पार्किंग स्थल पर सीसीटीवी लगाना
- जीपीएस सिस्टम लगाकर उसे सुरक्षित बनाना
- वाहन चालकों की ट्रेनिंग कराना, उनकी शैक्षिक योग्यता को भी शामिल करना
- चालकों की आंखों का नियमित टेस्ट कराना
- ओवरलोडिंग को लेकर भी नियमावली में स्पष्ट उल्लेख होगा।
- ओवरलोडिंग पाये जाने पर जुर्माना और लाइसेंस निरस्त किया जा सकेगा।

अन्य कैबिनेट फैसले


एएनएम बनने को साइंस से इंटर जरूरी नहीं
कैबिनेट ने उप्र चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग स्वास्थ्य कार्यकर्ता और स्वास्थ्य पर्यवेक्षक अराजपत्रित सेवा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है जिसके बाद इन पदों पर भर्ती के लिए साइंस स्ट्रीम से इंटरमीडिएट होने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। दरअसल पूरे देश में इसी तरह एएनएम की भर्ती होती है जबकि यूपी में साइंस से इंटर होना नियमावली के मुताबिक आवश्यक था। अब इसमें से साइंस शब्द हटा दिया गया है। वहीं दूसरी ओर यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा विभिन्न संस्थाओं में इसका कोर्स संचालित किया जाता था। कैबिनेट ने ज्यादा तादाद में एएनएम की आवश्यकता के मद्देनजर अब जिला अस्पतालों में भी फैकल्टी का इंतजाम करने का निर्णय लिया है। वहीं यह भी तय किया है कि पहले एएनएम के चयन की प्रक्रिया मेरिट के आधार पर संपन्न होती थी। अब इसे उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के जरिए कराया जाएगा।

मेडिकल कॉलेजों की मनमानी पर लगेगा अंकुश
कैबिनेट ने सूबे के सभी निजी व सरकारी मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज की मनमानी को रोकने के लिए उप्र राज्य चिकित्सा विश्वविद्यालय विधेयक लाने का ऐलान किया है। इस विधेयक की मदद से निजी मेडिकल कॉलेजों के स्लेबस में एकरूपता आएगी और एक ही समय पर परीक्षाएं आयोजित की जा सकेंगी। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि फिलहाल सभी मेडिकल कॉलेज अपने-अपने हिसाब से सिलेबस थोपते हैं और अपनी मर्जी से परीक्षाएं कराते हैं। यह विश्वविद्यालय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नाम से खोला जाएगा। वहीं दूसरी ओर बलरामपुर में केजीएमयू का सेटेलाइट कैंपस खोलने के लिए कैबिनेट ने 23. हेक्टेयर भूमि देने की अनुमति प्रदान कर दी है।

चार शहरों में हवाई सेवाओं को लगेंगे पंख
कैबिनेट ने सूबे के चार प्रमुख पर्यटन स्थलों आगरा, मथुरा, वाराणसी और प्रयागराज में पर्यटन के विकास के लिए हेलीकॉप्टर सेवा संचालन को हेलीपोर्ट, हेलीपैड और एयर स्ट्रिप के निर्माण के लिए नि:शुल्क भूमि हस्तांतरित करने और खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। इसके तहत आगरा  में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर यूपीडा की भूमि को पर्यटन विभाग द्वारा खरीदा जाएगा। मथुरा के गोवर्धन में हेलीपोर्ट के निर्माण के लिए राजस्व विभाग की भूमि मुफ्त में पर्यटन विभाग को दी जाएगी। वाराणसी के डोमरी में भी पर्यटन विभाग को नि:शुल्क भूमि दी जाएगी। वहीं प्रयागराज के ग्रामसराय मौज उर्फ कीडगंज में भी पर्यटन विभाग को स्थायी हेलीपोर्ट के लिए मुफ्त भूमि दी जाएगी। इसका निर्माण और मेंटीनेंस का कार्य पीडब्ल्यूडी द्वारा किया जाएगा।  

नोएडा में बनेगी इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप
कैबिनेट ने ग्रेटर नोएडा में दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर परियोजना के तहत इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप की स्थापना को स्पेशल प्लानिंग अथॉरिटी के गठन को मंजूरी प्रदान कर दी। करीब 747.5 एकड़ में यह टाउनशिप स्पेशल प्लानिंग अथॉरिटी के जरिए बनाई जाएगी। अथॉरिटी में दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के शेयर होल्डर्स और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी शामिल होंगे।

दो शहरों में सीवेरेज योजना को मंजूरी
कैबिनेट ने अमृत योजना के तहत आगरा शहर के वेस्टर्न जोन में 353।56 करोड़ की लागत से सीवरेज योजना को मंजूरी प्रदान की है। इस परियोजना का उद्देश्य नगर निगम आगरा में सीवरेज की सुविधा उपलब्ध कराना तथा सीवरेज शोधन संयंत्र की क्षमता का पूर्ण उपयोग किया जाना है। वहीं दूसरी ओर फीरोजाबाद में जेएनएनयूआरएन के तहत 202.80 करोड़ की सीवरेज योजना की मंजूरी भी प्रदान की गयी है।

लखनऊ में बनेगा रीजनल सेरीकल्चर रिसर्च स्टेशन

कैबिनेट ने केंद्रीय रेशम बोर्ड, बेंगलुरु द्वारा प्रदेश में रीजनल सेरीकल्चर रिसर्च स्टेशन की स्थापना के लिए राजधानी के सरोजनी नगर इलाके में स्थित राजकीय रेशम फॉर्म की 2.012 हेक्टेयर भूमि एक रुपये प्रतीकात्मक वार्षिक शुल्क पर 30 वर्ष के लिए पट्टे पर देने का निर्णय लिया है। इसे 99 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है। इसका सीधा फायदा रेशम उद्योग से जुड़े कृषकों एवं उद्यमियों को प्राप्त होगा और रोजगार के नये अवसर भी सृजित होंगे।

रिवर्स ई-ऑक्शन प्रक्रिया को मंजूरी
कैबिनेट ने अंत्योदय श्रेणी के लाभार्थियों को चीनी का क्रय रिवर्स ई-ऑक्शन प्रक्रिया से कराने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। यह फैसला ई-टेंडरिंग में आ रही कठिनाईयों को देखते हुए किया गया है। इसके लिए भारत सरकार की कंपनी एमएसटीसी का उपयोग करने का निर्णय लिया गया है।

दो उपकेंद्रों को मंजूरी

कैबिनेट ने हरदोई के मल्लावां में 220 केवी और रामपुर में 765 केवी के उपकेंद्रों को पीपीपी मॉडल पर बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके अलावा यूपी नेडा द्वारा सौर ऊर्जा नीति के तहत टैरिफ बेस्ड बिडिंग के आधार पर 550 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं के विकास की मंजूरी भी दी। इसके तहत बदायूं में सौ मेगावाट, कानपुर में 85 मेगावॉट, चित्रकूट में 120 मेगावाट, बांदा में सौ मेगावाट, मिर्जापुर में सौ मेगावॉट, बरेली में 50 मेगावाट और लखनऊ में 25 मेगावॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो सकेगा। बिडिंग में इसका टैरिफ 3.02 रुपये आया है।

छह महीने में रफ्तार पकड़ेगा एयरपोर्ट का काम
कैबिनेट ने गौतमबुद्धनगर में बनने वाले जेवर इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट में ग्लोबल बिडर्स को प्रोत्साहन देने के लिए नियमावली में संशोधन का निर्णय लिया है। अब तक ग्लोबल बिडर्स को कम माक्र्स दिए जाते थे जिससे वे हतोत्साहित होते थे। इसके तहत छह महीने में बिडिंग की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।

शीरा नीति में भी बदलाव
कैबिनेट ने शीरा नियंत्रण विधेयक 2018 को विधानमंडल सत्र में पारित कराने का निर्णय भी लिया। इसके तहत शीरा के एक्सपोर्ट के लिए नियमों को तय किया गया है। कैबिनेट ने तय किया है कि शीरा का एक्सपोर्ट हाई कमिश्नर, एंबेसी इत्यादि के जरिए अनुरोध पर ही किया जाएगा। वहीं एक्सपोर्टर को एंड यूजर का सर्टिफिकेट भी देना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शीरा का दुरुपयोग नहीं हो रहा।

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