दिमाग के स्कैन दिखाते हैं कि फेसबुक पर आपके मित्रों की संख्या और आपके मस्तिष्क के कुछ भागों के आकार के बीच सीधा संबंध है। यह स्पष्ट नहीं है कि क्या सामाजिक वेबसाइटों का उपयोग मस्तिष्क के क्रियाशील पदार्थ को बढ़ाता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह भी साफ नहीं है कि क्या कुछ ख़ास मस्तिष्क संरचनाओं के लोग दोस्त बनाने के मामले में दूसरों से बेहतर होते हैं।

पत्रिका ''परोसीडिंग्ज आफ दी रॉयल सोसायटी बी बॉयलॉजिकल साइंसिज़'' में प्रकाशित इस काम में लंदन के विश्वविद्यालय के 125 छात्रों के 3-डी मस्तिष्क स्कैन को देखा। शोधकर्ताओं ने प्रत्येक स्वयंसेवक के फ़ेसबुक मित्रों की संख्या गिनी और उनके असली दोस्तों के नेटवर्क के आकार का आकलन किया।

मित्र और मस्तिष्क

फ़ेसबुक मित्रों की संख्या और उनके मस्तिष्क के कुछ भागों में क्रियाशील पदार्थ की मात्रा के बीच एक मजबूत कड़ी पाई गई। अध्ययन में यह भी पता चला है कि किसी व्यक्ति के फ़ेसबुक दोस्तों की संख्या से उसके "वास्तविक दुनिया" दोस्तों की संख्या का भी संबंध था।

लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज के एक शोधकर्ता डॉ। रयोता कनई ने कहा, "हमें कुछ रोचक मस्तिष्क क्षेत्रों का पता चला है जिनका सीधा संबध हमारे मित्रों की संख्या के साथ है--चाहे वो 'असली' हैं या 'आभासी'"

उन्होंने कहा, "रोमांचक सवाल अब यह है कि क्या यह संरचनाएं समय के साथ बदल रही हैं। इससे हमें यह जानने में मदद मिलेगी कि क्या इंटरनेट हमारे दिमाग को बदल रहा है."

International News inextlive from World News Desk