इस क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल ने पप्पू यादव को मैदान में उतारा है, तो  भाजपा ने जनता दल (यू) छोड़कर भाजपा में गए विजय कुमार सिंह को टिकट दिया है.

बीबीसी संवाददाता पंकज प्रियदर्शी ने शरद यादव से मधेपुरा में मुलाक़ात की और उनसे कई अहम मुद्दों पर बात की.

मधेपुरा में आप अपने को कहाँ पाते हैं.

ये तो जनता से पूछिए. इस इलाक़े में कोसी में जो बाढ़ आई थी, हम उसके पुनर्निर्माण में लगे हैं. यहाँ के हालत पूछिएगा तो कोई प्रत्याशी ये नहीं बताएगा कि वो हार रहा है या जीत रहा है. ये मीडिया का काम है कि वो लोगों के बीच जाकर इस बात का पता लगाए और जो सच है उसको दिखाए.

चलिए ये सवाल मैं दूसरे तरीक़े से पूछ लेता हूँ. मधेपुरा की जनता आपको वोट क्यों दे?

ये बात भी आप उनसे पूछेंगे तो वे बताएँगे आपको. देश में ये अकेला ऐसा इलाक़ा है, जहाँ इतने काम हैं कि उनको गिना नहीं जा सकता. जैसे समंदर की लहरें गिनने में दिक़्क़त होती है. वोट है वो काम के लिए है. वोट इधर-उधर की बात के लिए नहीं है. जो काम को देखकर वोट करेगा, तो जनता ठीक रास्ते पर जाएगी. भाषण तो देश में ऐसे भीषण चल रहे हैं और वो कह रहे हैं कि हम ऐसा जादू की छड़ी घुमा देंगे कि बेकारी, बेरोज़गारी, किसान, मजदूर, महिला- देश में कोई समस्याएँ ही नहीं रहेंगी इनके आते ही.

शरद जी, एक तबक़ा ऐसा है, जो भाजपा-जद यू गठबंधन टूटने से निराश है. इस पर आपको क्या कहना है?

हम नेशनल एजेंडे पर साथ थे. नेशनल एजेंडा विवादास्पद मुद्दों को अलग करके बनाया गया था. उन्होंने उस क़रार को तोड़ दिया. उनका घोषणापत्र हमारी बातों को साबित करता है. वो कश्मीर के मामले में लिख रहे हैं, वो समान आचार संहिता की बात कर रहे हैं. वे मंदिर मस्जिद को एक सीमा के अंदर बोल रहे हैं. लेकिन उनका मक़सद तो वहाँ जबरिया मंदिर बनवाने का है. कोई घोषणापत्र सही साबित हुआ है इस देश में.

इंदिरा गांधी ने कहा था ग़रीबी हटेगी- हटी? इन्होंने कहा था चमकदार भारत- चमका? कांग्रेस ने कहा- आम आदमी का हाथ, कांग्रेस के साथ. तो आम आदमी की क्या दुर्गति हुई? अब ये नारे लगा रहे हैं, लेकिन इनकी सरकार रही नहीं है क्या. हमने सरकार में रहते हुए ये देखा है कि इन्होंने क्या किया है? इसलिए जो देश के लिए कुछ क़दम उठते हैं, वो जोखिम भरे तो होते ही हैं.

"इंदिरा गांधी ने कहा था ग़रीबी हटेगी- हटी. इन्होंने कहा था चमकदार भारत- चमका. कांग्रेस ने कहा- आम आदमी का हाथ, कांग्रेस के साथ. तो आम आदमी की क्या दुर्गति हुई. अब ये नारे लगा रहे हैं, लेकिन इनकी सरकार रही नहीं है क्या. हमने सरकार में रहते हुए ये देखा है कि इन्होंने क्या किया है"

-शरद यादव, अध्यक्ष, जनता दल (यूनाइटेड)

तो आपको नुक़सान हो सकता है?

नहीं हमको नुक़सान नहीं होगा. हमको जनता जानती है. वो रंज कर सकती है, अफ़सोस कर सकती है, लेकिन हमको छोड़ नहीं सकती है.

एक बात ये भी कही जाती है कि जब गठबंधन टूटा तो आप उन शख़्सियतों में से थे, जो इसके पक्ष में नहीं थे.

नहीं, मैंने बहुत कोशिश की थी कि बचे. मैंने दोनों पार्टियों से बात भी की. बात नहीं बनी. उन्होंने क़रार तो़ड़ दिया. बीजेपी के साथ तो कोई आना नहीं चाहता था, लेकिन हम सबको साथ लेकर आए.

क़रार टूटा. लेकिन सवाल तो ये उठाए जा रहे हैं कि नरेंद्र मोदी के कारण ऐसा हुआ.

नहीं. ये ग़लत है. ये जो उनका घोषणापत्र आया है, वो हमारी बात को सही साबित करता है.

क्या भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ आपके रिश्ते पहले जैसे हैं?

नहीं चाहता था कि भाजपा से गठबंधन टूटे: शरद यादव

मेरे तो रिश्ते सबके साथ हैं. हम अलग होने के बाद भी अपने रिश्ते बना कर रखते हैं. बीजेपी में भी कई नेता ये जानते थे कि हम जो बात कर रहे हैं, उसमें दम है. लेकिन वे बेबस हो गए. हमारी बात से सहमत थे वो. जिस तरह से पार्टी में फ़ैसला हुआ, उससे वो भी आहत हैं. हमारे यहाँ भी लोग नहीं चाहते थे. ख़ासकर हम नहीं चाहते थे.

आपको याद होगा एक समय  आडवाणी जी रथ यात्रा पर निकल गए थे. उस समय हमें बीजेपी का समर्थन बाहर से हासिल था. उस समय वीपी सिंह की सरकार थी. उन्होंने कहा कि हमें शिलान्यास करना है. उन्होंने कहा था कि शिलायन्स से पहले उन्हें छुआ तो वे समर्थन वापस ले लेंगे. दिल्ली में सब लोग नहीं चाहते थे कि आडवाणी जी को गिरफ़्तार किया जाए. लेकिन हमने उन्हें रोक दिया और भारत की सरकार चली गई. जनता दल की सरकार को हमने दाँव पर लगा दिया संविधान बचाने के लिए. अब देश में इतना झूठ का भ्रम रहता है कि सच को पहचानने में लोगों को वक़्त लगता है.

नीतीश जी ने कहा था कि कांग्रेस विरोधी वोटों का लाभ उठाने की बारी आई, तो भाजपा ने अलग रास्ता अपनाने का फ़ैसला कर लिया.

फ़सल तो सबने तैयार की. जितने बीजेपी के सांसद थे, उतने ही क्षेत्रीय पार्टियों और सीपीआई और सीपीएम के एमपी थे. सब एक साथ लड़ते थे. 2-जी पर हो, कोल ब्लॉक हो, कॉमनवेल्थ हो- हम सभी मुद्दों पर एक साथ लड़ते थे. रेड्डी बंधुओं का मामला भी उठाना पड़ा और आज वे अंदर हैं. अब उनके दोस्त को इन्होंने टिकट दे दिया है. हम तो उसको छोड़ेंगे नहीं. हम तो चालीस साल से संसद में है.

चुनाव बाद अगर समीकरण बदले तो क्या हल्की सी भी संभावना है भाजपा के साथ जाने की.

हम एक प्रयास में लगे हैं.  कांग्रेस और भाजपा से बाहर सब लोग एक साथ हों. हम तीन मीटिंग कर चुके हैं. हमारा प्रयास यही है कि तीसरा मोर्चा पहला मोर्चा बन जाए. उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए इधर-उधर की बातें नहीं करेंगे बल्कि लक्ष्य हासिल करेंगे. उसके बाद सोचने और समझने का सवाल ही नहीं उठता है.

लेकिन अगर समीकरण ऐसे बने कि भाजपा को समर्थन लेना पड़े और नरेंद्र मोदी पीछे हट जाएँ, तो. क्योंकि आप लोगों की शिकायत तो नरेंद्र मोदी को लेकर थी.

ये बात ग़लत है और उनका घोषणापत्र सामने आने के बाद चीज़ें और भी स्पष्ट हो गई हैं. एक मुद्दा नहीं था. जो आप पूछ रहे हैं वो काल्पनिक बात है. उन्होंने घोषणापत्र में जनसंघ वाले सभी पुराने मुद्दे डाल दिए हैं. इससे देश की एकता को चोट पहुँचेगी. हमारा प्रयास तो ये है कि तीसरा मोर्चा पहला मोर्चा बन जाए.

"जो सतह पर जो चर्चा है, उस पर कभी न जाना. हमारी पार्टी वो इस देश की सबसे बड़ी पार्टी थी. ग़रीबों ने पिछले चालीस वर्षों से हमको नहीं छोड़ा तो अब क्या छोड़ेंगे. हमारे दौरे लगेंगे, तो उनकी गोलबंदी के आगे कोई टिकेगा नहीं"

-शरद यादव, अध्यक्ष, जनता दल (यूनाइटेड)

बिहार में कहा जा रहा है कि मुख्य मुक़ाबला भाजपा और राजद में है.

सतह पर जो चर्चा है, उस पर कभी न जाना. हमारी पार्टी तो इस देश की सबसे बड़ी पार्टी थी. ग़रीबों ने पिछले चालीस वर्षों से हमको नहीं छोड़ा तो अब क्या छोड़ेंगे. हमारे दौरे लगेंगे, तो उनकी गोलबंदी के आगे कोई टिकेगा नहीं.

प्रचार के दौरान ये तो स्पष्ट दिख रहा है व्यक्ति केंद्रित प्रचार हो रहा है. नीतीश, लालू प्रसाद,  नरेंद्र मोदी. विकास की बातें हो नहीं रही है.

मुद्दे तब चलते हैं, जब नेता भी मुद्दे उठाए और उन मुद्दों को मीडिया भी गहराई से पकड़ें. हम तो कह ही रहे हैं.

लेकिन आपकी पार्टी भी भाजपा के घोषणापत्र पर तो प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है, लेकिन विकास पर कम ही करती है.

विकास तो लोगों को दिखता है, तब वो इसका अहसास करते हैं. हमने तो समावेशी विकास किया है. यहाँ एक जगह सड़कें नहीं थी, हमने बना दी. जो बची हुई हैं, उसे भी बना देंगे हम हारे या जीते.

इस चुनाव में लालू प्रसाद यादव की वापसी की चर्चा हो रही है. बिहार की राजनीति में उनकी क्या जगह है?

इस पर बोलना ठीक नहीं है. आने वाले 16 मई को इसका फ़ैसला हो जाएगा. सबका भविष्य खुल जाएगा. उसका इंतज़ार करना चाहिए.  लालूजी में और सब ठीक है, लेकिन काम के मामले में वो फ़ाइल से भागते हैं.

क्या आपकी लालूजी से बात होती है.

नहीं चाहता था कि भाजपा से गठबंधन टूटे: शरद यादव

मेरी सबसे बात होती है. लेकिन चुनाव के समय ये लोग मुझसे बात नहीं करते. ख़ासकर यूपी और बिहार के लोग. जब संसद में होते हैं तो सबलोग साथ रहते हैं. लेकिन चुनाव के समय ये लोग समझते हैं कि उन्हें घाटा हो जाएगा.

मधेपुरा के लोगों की एक ये शिकायत है कि आप उन्हें समय नहीं देते.

बात सही है. लेकिन जितने भी सांसद रहे हैं, उनसे ज़्यादा समय दिया है. मैं हर महीने आता हूँ बिना नागा. जो लोग ऐसा कह रहे हैं, वो थोथा प्रचार कर रहे हैं. ये बातें विरोधी फैलाते हैं. इस देश में झूठ ज़्यादा खाते हैं, सच को ज़्यादा समय लगता है पचाने में.

अपने प्रतिद्वंद्वी पप्पू यादव के बारे में क्या कहेंगे.

मैं कभी भी अपने ख़िलाफ़ लड़ने वाले लोगों के बारे में नहीं बोलता. मैं जनता पर छोड़ देता हूँ. वो सबसे बड़ा फ़ैसला करती है. देश का ग़रीब आदमी ही सही रास्ता पकड़ता है. सच को वे भले ही देर से पकड़ता है, लेकिन ताक़त से पकड़ता है. मैं इतना ही कहता चाहता हूँ कि दोनों पार्टियों को अच्छा प्रत्याशी देना चाहिए था.

रेणु कुशवाहा पार्टी में क्यों बनी हुई हैं, जबकि वो अपने पति विजय कुमार सिंह के साथ भाजपा का मंच शेयर करती हैं?

जो पार्टी के ख़िलाफ़ काम करेगा, उस पर कार्रवाई करेगी. वो मामला पार्टी का है. वो पार्टी के लोग करेंगे.

आपके हिसाब से कौन बनेगा प्रधानमंत्री.

नहीं चाहता था कि भाजपा से गठबंधन टूटे: शरद यादव

इस देश की जनता बनाएगी. 543 लोकसभा के मेंबर हैं. कोई भी मुर्गा घूरे पर खड़ा होकर बांग लगा रहा है कि मैं प्रधानमंत्री हूँ. 543 की लोकसभा है. नदी के किनारे खड़ा होने के लिए 272 की संख्या होनी चाहिए. किसी को नहीं मिलने वाली. जिनके नाम चल रहे हैं, वो इस पद की प्रतिष्ठा को नीचे गिरा रहे हैं. इनका अता पता नहीं था, जब से मैं राजनीति में हूँ. जय प्रकाश जी ने मुझे खड़ा किया था. ये तो नए-नए मुल्ले हैं, प्याज़ खा रहे हैं ज़्यादा.

आपके और नीतीश कुमार के रिश्तों को लेकर काफ़ी सवाल उठते हैं. आपके और नीतीश कुमार के बीच सब ठीक-ठाक है.

हमारी पार्टी देश की अकेली पार्टी है, जिस पर कोई आरोप नहीं लग सकता. भ्रष्टाचार का नहीं लग सकता. तो विरोधियों को और क्या मिलेगा. वो इसी तरह की अफ़वाह फैलाएँगे.

लेकिन शायद आप घोषणापत्र को लेकर ख़ुश नहीं थे.

घोषणापत्र मेरे बग़ैर नहीं बनता. मेरे विचार से सब वाकिफ़ हैं. लोगों को कुछ मिल ही नहीं रहा है, तो वे क्या आरोप लगाएँगे. देश में जिन लोगों ने ईमानदारी से काम किया है, उनकी कहाँ चर्चा है. अंधेरों की चर्चा है, उजालों की चर्चा तो है नहीं. मुझ पर आज तक कोई आरोप नहीं लगा. एक आरोप लगा था हवाला में. सबने मना कर दिया, लेकिन मैंने कहा कि हमको दिया है. खेती से तो हम पार्टी चला नहीं रहे, हमारा धंधा नहीं है. हमारी इंडस्ट्री भी नहीं है. वो चंदा देगा हम ले लेंगे. हमने अपने लिए तो इस्तेमाल किया नहीं, पार्टी के लिए किया है. सब पर चार्जशीट हो गई, मेरा बयान आने के बाद. सब कहने लगे कि आपने क्या कर दिया. नरसिंह राव पीएम थे. वे कहने लगे कि लोग मुझे कहेंगे लेकिन कराया आपने. हम मंत्री नहीं बने. उस समय हम सबसे ज़्यादा स्वीकार्य थे.

एक आरोप ये भी है पार्टी के अध्यक्ष आप हैं और कंट्रोल नीतीश जी के पास है.

कुर्सी पर जो बैठ गया, उसकी ज़्यादा चर्चा होती है. मैं क्या करूँ. उसका क्या इलाज है. मैं तो किसी सूबे में नहीं आया. इस पार्टी में किसी एक आदमी की चल ही नहीं सकती. जब तक मैं अध्यक्ष हूँ किसी एक आदमी की चल ही नहीं सकती. अच्छी बात कहेगा तो क्यों नहीं मानेंगे.  नीतीश कुमार और मेरा वेबलेंग्थ एक है. नीतीश कुमार लोहिया के विचारों को ज़मीन पर उतार रहे हैं, तो क्यों उनको हम किसी तरह दिक़्क़त देंगे. हम तो उनका सहयोग करते हैं.

पिछली बार जब आप और भाजपा साथ थे, तो एनडीए को 32 सीटें मिली थी. अब आप अलग हैं, आपको कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है.

वो तो 16 मई को पता चलेगा. चुनाव के पहले अंदाज़ा करने वाले झूठे लोग होते हैं. इस देश में थैली लेकर सर्वे होते हैं. फ़ैसला तो 16 मई को होगा.

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