समाज को सुरक्षित रखने में सक्षम न्यायपानिका

भले ही विभिन्न राजनीतिक दल देश में असहिष्णुता बढऩे का आरोप लगा कर सरकार को घेर रहे हों, लेकिन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर को ऐसा नहीं लगता। असहिष्णुता पर बहस को सियासी बातें कहते हुए उन्होंने देशवासियों को भरोसा दिलाया कि जब तक कानून का शासन है और न्यायपालिका है, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। न्यायपालिका समाज के सभी वर्गों का अधिकार सुरक्षित रखने में सक्षम है। जस्टिस ठाकुर ने देश में असहिष्णुता पर चल रही बहस के बारे में दैनिक जागरण की ओर से पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बात कही। नए मुख्य न्यायाधीश ने असहिष्णुता को लेकर चल रही बहस पर कहा कि इसके सियासी पहलू भी हैं। लेकिन वे उस पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे। हालांकि न्यायपालिका के मुखिया होने के नाते समाज के सभी वर्गों के संवैधानिक अधिकारों की हिफाजत सुनिश्चित करना उनका फर्ज है।

 

सभी संप्रदाय के लोग दे रहे हैं अपना योगदान

जस्टिस ठाकुर ने कहा कि यह देश सभी धर्मावलंबियों का घर है। उन्होंने दूसरे देश से आए लोगों के भी मिलजुल कर रहने और समाज में योगदान देने का उदाहरण दिया। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि पारसी समुदाय को देखो। वे लोग फारस (आधुनिक ईरान) से आए। उन्होंने यहां आकर कितना योगदान दिया। उद्योग में। कानून में। उन्होंने जानेमाने कानूनविद दिए। जैसे-फली एस नरीमन, ननी पालकीवाला आदि। जस्टिस ठाकुर कहते हैं कि लोग यहां आए। यहां की संस्कृति को उन्होंने स्वीकारा। वे हमारी धरोहर हैं। इतना बड़ा देश है। अगर कहीं से कुछ बातें उठती हैं तो उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए। यहां हर नागरिक के अधिकार हैं। यहां तक कि जो इस देश के नागरिक नहीं हैं उनके भी। आतंकियों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर दूसरे देश का नागरिक भी यहां आकर कोई अपराध करता है, तो उसे तुरंत फांसी पर नहीं चढ़ा दिया जाता। पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाता है।

उर्दू में लिखी गीता से उद्धृत किया कृष्ण का संदेश

जस्टिस ठाकुर कहते हैं कि जब तक इंसान हैं, तब तक कुछ न कुछ तो टकराव होता ही रहेगा। भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है। उन्होंने ख्वाजा दिल मोहम्मद द्वारा उर्दू में अनुवादित गीता के एक अंश का उदाहरण दिया। इसमें कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, ‘कि लोग मेरे पास जिस राह से आएं, मैं राजी हूं अर्जुन मुराद अपनी पाएं। इधर से चलें या उधर से चलें, मेरे सब हैं रास्ते जिधर से चलें।’ यानी चाहे जिस रास्ते से चलें, सारे रास्ते एक ही जगह पहुंचते हैं। जस्टिस ठाकुर का कहना है कि यह एक तरह से वैश्विक भाईचारा है। हालांकि सियासी लोग इस मुद्दे को किस तरह पेश करते हैं, उसके बारे में वे कुछ नहीं कहना चाहते।

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