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LUCKNOW : पूर्ववर्ती सरकार में अंजाम दिए गये स्मारक घोटाले की जांच में नया मोड़ आ गया है। विजलेंस के अलावा इस घोटाले की जांच कर रहे इंफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) ने उप्र राजकीय निर्माण निगम से स्मारकों के निर्माण में खर्च की गयी पाई-पाई का हिसाब मांगा था, जो उसे भेज दिया गया है। ईडी को भेजे गये चार फाइलों में कैद करीब एक हजार दस्तावेजों में उन करीब डेढ़ सौ अफसरों, इंजीनियरों और ठेकेदारों के नाम भी हैं जो इस मामले में सिंचाई विभाग द्वारा दर्ज करायी गयी एफआईआर और राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट में शामिल नहीं थे। अब ईडी उनसे पूछताछ के लिए पहले चरण में करीब 50 इंजीनियरों और ठेकेदारों को नोटिस भेजने की तैयारी में हैं जिनकी भूमिका महंगे खजूर के पेड़ से लेकर बेशकीमती फव्वारे और इलेक्ट्रिक का सामान खरीदने में थी।

कई ठिकानों पर की थी छापेमारी
ध्यान रहे कि स्मारक घोटाले की जांच में जुटी ईडी ने एक माह पूर्व सात ठिकानों पर छापेमारी की थी और तमाम आरोपितों को पूछताछ के लिए तलब किया था। इसके बाद ईडी के अफसरों ने निर्माण निगम के एमडी राजन मित्तल से मुलाकात कर उनसे स्मारकों के निर्माण में खर्च की गयी पाई-पाई का हिसाब देने के अलावा इससे जुड़े सारे इंजीनियरों और ठेकेदारों के नाम भी मांगे थे। साथ ही स्मारकों के निर्माण को लेकर अहम फैसले लेने वाली हाई पॉवर कमेटी की मीटिंग्स के मिनट्स भी मुहैया कराने को कहा था। ईडी ने निर्माण कार्यों और सामान की सप्लाई का भुगतान करने की चेक पर साइन करने वाले अफसरों के नाम के अलावा यह भी पूछा था कि निर्माण निगम अफसरों ने कितनी बार निर्माण कार्यों का इंस्पेक्शन किया था। उन्होंने क्या रिपोर्ट दी थी। साथ ही स्मारकों की टेक्निकल ऑडिट कमेटी, इंटरनल ऑडिट और सीएजी ऑडिट रिपोर्ट भी मांगी थी। निर्माण निगम के जीएम परिवाद की ओर से ये जानकारियां मुहैया करा दी गयी है।

इन स्मारकों का दिया ब्योरा
- अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल
- मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल
- गौतम बुद्ध उपवन
- इको पार्क
- नोएडा का अंबेडकर पार्क  

कब-कब क्या हुआ
- 6000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे स्मारकों के निर्माण में
- 1400 करोड़ का घोटाला होने का दावा लोकायुक्त जांच में
- 750 एकड़ से ज्यादा सरकारी भूमि स्मारकों को दी गयी
- 2007 से 2012 के बीच हुआ स्मारकों का निर्माण
- 14 अरब का मिला घोटाला लोकायुक्त की जांच में

जरुरी बात
- चार फाइलों में कैद करीब एक हजार दस्तावेज
- फाइलों में डेढ़ सौ अफसरों, इंजीनियरों और ठेकेदारों के नाम
- यह नाम एफआईआर और एसआईटी की जांच रिपोर्ट में शामिल नहीं थे
- अब ईडी उनसे पूछताछ के लिए पहले चरण में करीब 50 इंजीनियरों और ठेकेदारों को भेजा जाएगा नोटिस

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