फर्जी मार्कशीट की जांच तो चल रही सुस्त

- पुलिस ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर सहयोग न करने का आरोप

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LUCKNOW :

फर्जी मार्कशीट प्रकरण में एलयू ने कछुआ चाल अपना ली है़ छह माह बाद भी इस पूरे मामले की जांच अभी पूरी नहीं हो सकी है। वहीं इस मामले में पुलिस का कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन उसे सहयोग नहीं कर रही है। वहीं एलयू के अधिकारियों का कहना है कि पुलिस ने जो भी कागज मांगे थे, वह उसे उपलब्ध करा दिए गए हैं।

17 अप्रैल को हुआ था खुलासा

मालूम हो कि इसी साल 17 अप्रैल को पुलिस ने एलयू में कई वषरें से चल रहे फर्जी मार्कशीट मामले का भंडाफोड़ किया था़ मामले में यूनिवर्सिटी के कर्मचारी खिरोधन प्रसाद, आरपी सिंह, दीवान सिंह, दीपक, नायाब हुसैन, मधुरेंद्र पांडेय को पुलिस ने जेल का रास्ता दिखाया था़ अगली कड़ी में संजय सिंह चौहान को गिरफ्तार कर जेल भेजा था़ पुलिस ने जेल भेजे गए इन सभी आरोपितों के मोबाइल फोन जब्त कर डाटा स्कैनिंग के लिए एक सरकारी जांच एजेंसी को भेज दिया था़

डिलीट कर दिए थे डाटा

पुलिस के अनुसार उनके हाथ आने से पहले ही अधिकांश आरोपितों ने मोबाइल डाटा डिलीट कर दिया था़ दावा है कि जांच एजेंसी सभी मोबाइल के गैलरी, वाट्सएप, मैसेज बॉक्स, कॉल डिटेल सहित पूरे डाटा डिलीट डाटा को दोबारा हासिल कर लगी।

पुलिस भी परेशान

हसनगंज पुलिस जांच एजेंसी के ढुलमुल रवैये से परेशान है़ पुलिस के मुताबिक जांच एजेंसी को मई से अगस्त तक के बीच में तीन पत्र लिखे गए लेकिन अभी जांच एजेंसी ने रिपोर्ट नहीं भेजी है़ इस पर एलयू के कुलसचिव एसके शुक्ल ने बताया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से कोताही नहीं बरती जा रही है़ यूनिवर्सिटी से जो भी सूचनाएं पुलिस से मांगी गयी है उसे दे दिया गया़