आउट होने के बावजूद कोहली खड़े रहे

आईपीएल में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के कप्तान विराट कोहली मैच जीतने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। विराट को जीतना अच्छा लगता है उन्हें हार बर्दाश्त नहीं होती। हार हो या जीत, विराट कई मौकों पर अपनी भावनाओं को काबू नहीं रख पाए। हालांकि उनकी इस आक्रमकता की कई लोग तारीफ करते हैं तो कुछ उन्हें कंट्रोल में रहने की सलाह देते हैं। मंगलवार को आईपीएल 2018 के 31वें मुकाबले में मुंबई इंडियंस के खिलाफ खेलते हुए विराट कोहली की खेल भावना पर सवाल खड़े हो गए। दरअसल हुआ यूं कि 14वें ओवर में जसप्रीत बुमराह की गेंद विराट कोहली के बल्ले का बाहरी किनारा लेते हुए विकेटकीपर ईशान किशन के हाथों में चली गई। बुमराह और ईशान ने अपील भी कि, मगर अंपायर ने नॉट आउट करार दे दिया। बाद में रिप्ले में देखा गया तो पता चला कि वाकई में गेंद विराट के बल्ले को छूकर गई थी।

ipl : कोहली करते रहे फैसले का इंतजार मगर क्रिकेट जगत के ये बल्‍लेबाज हैं ईमानदार,अंपायर के नॉट आउट देने के बावजूद चलते बने

ये कितना सही या गलत?

ऐसे में सोशल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई। कुछ लोगों का कहना है कि विराट एक आइकन हैं और जब उन्हें पता था कि गेंद बल्ले पर लगी है तो उन्हें चले जाना चाहिए था। वहीं कुछ लोग यह तर्क दे रहे कि मैदान में खिलाड़ी आउट है या नहीं इसका निर्णय अंपायर करता है। खैर क्रिकेट जगत में ऐसे कई मौके देखने को मिले हैं जब अंपायर द्वारा नॉट आउट देने के बावजूद बल्लेबाज पवेलियन वापस लौट गया। जिसके बाद उन क्रिकेटर्स की खेल भावना की पूरी दुनिया में तारीफ हुई।

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सचिन ने दिखाई थी ईमानदारी, खुद ही चले गए थे पवेलियन

क्रिकेट जगत में अगर खेल भावना का जिक्र होता है तो सबसे पहला नाम क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर का आता है। एक-दो नहीं ढेरों ऐसे मौके आए जब सचिन ने खेल भावना को बनाए रखा। 2011 वर्ल्ड कप की बात है, टूर्नामेंट का 42वां मुकाबला भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेला जा रहा था। भारतीय टीम पहले बैटिंग कर रही थी। गौतम गंभीर और सचिन तेंदुलकर ओपनिंग करने आए। वेस्टइंडीज की तरफ से पहला ओवर फेंकने आए रामपाल। इस ओवर की छठी गेंद पर सचिन स्ट्राइक पर थे, रामपाल की गेंद सचिन के बल्ले का बाहरी किनारा लेते हुए विकेटकीपर के दस्तानों में चली गई। गेंदबाज ने तेज अपील की मगर अंपायर ने सचिन को नॉट आउट दे दिया। इसके बावजूद सचिन बल्ला उठाकर चल दिए, क्योंकि सचिन को पता था कि गेंद उनके बैट से छुई है। सचिन के इस फैसले के बाद विश्व क्रिकेट में उनकी खूब तारीफ हुई।

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गिलक्रिस्ट ने वर्ल्डकप सेमीफाइनल में दिखाई थी ईमानदारी

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम को भले ही खेल भावना का उल्लंघन करने के लिए जाना जाता हो, मगर एक पूर्व कंगारू खिलाड़ी ऐसा भी है जिसकी ईमानदारी के किस्से सुनाए जाते हैं। बाएं हाथ के महान ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट ने भी एक मैच में ऐसी ही खेल भावना का परिचय दिया था। 2003 वर्ल्डकप सेमीफाइनल की बात है, श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया आमने-सामने थीं। पहले बल्लेबाजी कंगारू की थी, ओपनिंग करने आए गिलक्रिस्ट श्रीलंकाई स्पिनर अरविंद डि सिल्वा का सामना कर रहे थे। छठवें ओवर की दूसरी गेंद पर अरविंद की एक गेंद पर गिलक्रिस्ट ने स्वीप मारने की कोशिश की मगर गेंद उनके बल्ले में न लगकर ग्लव्स को छूती हुई हवा में उछल गई, फिर क्या विकेटकीपर कुमार संगाकारा ने बिना कोई गलती किए गेंद पकड़ ली और आउट की अपील करने लगे। मगर अंपायर ने नॉट आउट दे दिया, इधर अंपायर का फैसला आया उधर गिलक्रिस्ट बल्ला बगल में दबाए मैदान के बाहर जाने लगे। गिलक्रिस्ट को पता था कि वह आउट हैं और उन्होंने खेल भावना का सम्मान करते हुए वापस पवेलियन लौट गए।

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