कानपुर। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के अगले सीजन के लिए खिलाड़ियों की नीलामी गुरुवार को कोलकाता में संपन्न हुई। इस बार जहां फ्रेंचाइजी ने विदेशी खिलाड़ियों पर ज्यादा भरोसा जताया। वहीं युवा चेहरे पर भी दांव खेला। राजस्थान राॅयल्स ने 17 साल के युवा भारतीय बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल को 2.4 करोड़ रुपये में खरीदा। यशस्वी को अगले साल होने वाले अंडर-19 वर्ल्डकप के लिए भी भारतीय टीम में चुना गया है।

कैसे चर्चा में आए यशस्वी

बाएं हाथ के बल्लेबाज यशस्वी जायसवाल पहली बार साल 2015 में चर्चा में आए थे। तब गिल्स शील्ड क्रिकेट टूर्नामेंट के एक मैच में यशस्वी ने बल्ले से जहां तिहरा शतक जड़ा था वहीं गेंदबाजी करते हुए उन्होंने 13 विकेट चटकाए थे। स्कूल लेवल टूर्नामेंट में किसी भी खिलाड़ी का एक मैच में हाईएस्ट स्कोर और सबसे ज्यादा विकेट का रिकाॅर्ड यशस्वी के नाम दर्ज है। यही नहीं इस साल विजय हजारे ट्राॅफी में यशस्वी ने 154 गेंदों में 203 रन की पारी खेली थी। इसी के साथ वह लिस्ट ए क्रिकेट में डबल सेंचुरी लगाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बन गए।


काफी संघर्ष भरा रहा है जीवन

उत्तर प्रदेश के भदोही में एक साधारण परिवार में जन्में यशस्वी ने बचपन में ही क्रिकेटर बनने का सपना देख लिया था। इस सपने को पूरा करने यशस्वी मुंबई आ गए। उस वक्त उनकी उम्र 11 साल थी। मगर यहां उन्हें रहने का उचित ठिकाना नहीं मिला।& पिछले साल हुए इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, 'मैं यह सोचकर मुंबई आया था कि मुझे यहीं से क्रिकेट खेलना है। मैं एक टेंट में रहता था जहां बिजली, पानी और टॉयलेट की व्यवस्था नहीं थी। सबसे ज्यादा दिक्कत तब आई जब खर्च के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में मैंने पानी पूरी (गोलगप्पे) बेचने शुरु कर दिए थे। दिन में प्रैक्टिस कर रात में गोलगप्पे का ठेला लगाता था। साथी खिलाड़ी कभी-कभी मेरे पास गोलगप्पे खाने आ जाते थे, मुझे उस वक्त काफी बुरा लगता था कि लेकिन यह जरूरी था।'


तीन साल में 51 शतक

यशस्वी जायसवाल को ट्रेनिंग देने वाले उनके कोच ज्वाला सिंह बचपन से ही यशस्वी की प्रतिभा के कायल थे। क्रिकइन्फो से बातचीत में ज्वाला सिंह ने बताया, 'यशस्वी 11-12 साल का रहा होगा, जब मैंने उसे पहली बार बैटिंग करते देखा। वह ए-डिविजन बॉलर के खिलाफ इतना अच्छा खेल रहा था कि मैं उससे प्रभावित हुआ बिना नहीं रह सका। मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया यह लड़का कई मुश्किलों से गुजर रहा है, इसका कोई कोच नहीं है। इसके माता-पिता भी यहां नहीं रहते।' खैर बाद में ज्वाला सिंह ने यशस्वी को ट्रेनिंग देने का फैसला किया। ज्वाला सिंह का दावा है कि बाएं हाथ के बल्लेबाज यशस्वी ने पिछले तीन साल में 51 शतक जमाए हैं और अपने लेग स्पिन के सहारे 300 से ज्यादा विकेट भी चटकाए हैं। उनका मानना है कि यशस्वी इसी तरह बड़े टूर्नामेंटों में रन बनाता रहा, तो उसे टीम इंडिया में जगह बनाने से कोई नहीं रोक सकता।

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