- वेबसाइट हैक कर निकलता था कंफर्म टिकट, बस्ती जिले से हुआ गिरफ्तार

- मुंबई, बंगलुरु तथा लखनऊ की सीबाआई टीम ने संयुक्त रूप से की छापेमारी

- 16 लाख कैश सहित 10 लैपटॉप, 80 सिमकार्ड व 16 बैंकों के पासबुक मिले

GORAKHPUR/BASTI (JNN):

रेल टिकट बुकिंग की ऑथराइज्ड वेबसाइट आईआरसीटीसी बहुत सिक्योर और सिस्टमैटिक मानी जाती है। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस वेबसाइट को चोरी-छिपे हैक करके कंफर्म ई-टिकट निकालने का खेल लम्बे वक्त से चल रहा है। इस खेल में एक बड़ा गैंग काम कर रहा है जिसके एक एक्टिव हैकर और कथित मास्टरमाइंड को सीबीआई टीम ने गुरुवार को प्रदेश के बस्ती जिले से गिरफ्तार किया है। मुंबई, बंगलुरु तथा लखनऊ की सीबीआई टीम ने संयुक्त छापेमारी कर ये सफलता हासिल की। गिरफ्तार युवक हामिद अशरफ बस्ती के कप्तानगंज का निवासी है। उसके पास से 10 लैपटॉप, 16 लाख रुपये कैश के साथ करीब 80 सिम कार्ड और 17 बैंक अकाउंट्स के पासबुक बरामद किए हैं। इन अकाउंट्स में 50 लाख से ज्यादा रकम जमा है। टीम पूछताछ के लिए हामिद अशरफ को अज्ञात स्थान पर ले गई है।

सेकेंड्स में बनते थे सैकड़ों टिकट

भले ही आपको आईआरसीटीसी पर अपने अकाउंट्स से टिकट बुकिंग में कई मिनट लगें लेकिन हैकर इसी साइट से औसत 30 सेकेण्ड्स में सैकड़ों टिकट बना लेते थे। साइट हैकिंग के जरिये ये पहले से तैयार टिकट संबंधित डिटेल आफलाइन मोड में तैयार करते थे और जैसे ही सर्वर काम शुरू करता, ये टिकट बुकिंग करने में सफल हो जाते थे। छापेमारी करने वाली टीम की माने तो कंफर्म टिकट बेचने के लिए युवक ने देश भर में पांच हजार से ज्यादा सेंटर बना रखे थे। टिकट मुंहमांगे दाम पर बेचे जाते थे। अगल-अलग शहरों में टिकट दलाल को एक नेटवर्क इसके लिए काम करता था।

इंटर का स्टूडेंट है युवक

चौंकाने वाली बात ये भी है कि गिरफ्तार किया गया युवक हामिद अशरफ इंटरमीडिएट का स्टूडेंट है। बस्ती जिले में पुरानी बस्ती एरिया के दक्षिण दरवाजा मोहल्ले में वह अपने मामा के घर से नेटवर्क का संचालन करता था। उसके शातिर तौर-तरीके का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह 30 सेकेंड में सैकड़ों टिकट निकला लेता था। उसके पास से बरामद 10 लैपटॉप में तमाम ऐसे सॉफ्टवेयर्स भरे पड़े हैं जिनकी मदद से वह इस खेल को अंजाम देता था। सीबीआई टीम ने छापेमारी के दौरान हामिद के घर वालों व रिश्तेदारों से भी पूछताछ की।

टिकट के अलावा हैकिंग सॉफ्टवेयर भी बेचता था हामिद

हामिद ने वेबसाइट हैकिंग के अपने सक्सेसफुल सॉफ्टवेयर की बिक्री भी शुरू कर दी थी। सॉफ्टवेयर बेचने के इस खेल में मुंबई, बंगलुरु तथा लखनऊ के काफी लोग जुड़े हुए हैं। कुछ टिकट दलालों की गिरफ्तारी के बाद जीआरपी को सबसे पहले सॉफ्टवेयर के जरिये वेबसाइट हैकिंग की जानकारी मिली। उसने ये सूचना सतर्कता विभाग को दी। सतर्कता विभाग ने मामला गंभीर देख रेल मंत्रालय को सूचित किया। वहां से जांच सीबीआई को मिली। सीबीआई की जांच में ही खेल के मास्टरमाइंड हामिद अशरफ के बस्ती में बैठ नेटवर्क संचालन की सूचना मिली। इसके बाद तीनों टीमों ने संयुक्त रूप से छापा मारा।

सॉफ्टवेयर कंपनी भी निशाने पर

सीबीआई सूत्रों की माने तो हैकर्स के इस खेल में अफसरों की निगाह उस सॉफ्टवेयर कंपनी पर भी है जिसने आईआरसीटीसी की वेबसाइट तथा टिकट बुकिंग का सॉफ्टवेयर तैयार किया है। अफसरों का मनाना है बिना सॉफ्टवेयर कंपनी के डेवलपर्स की मदद के लिए ऐसे हैकिंग सॉफ्टवेयर डेवलप करना संभव नहीं कि साइट भी हैक हो जाए और किसी को पता भी न चले। इस मामले में अभी और भी लोग गिरफ्तार किए जा सकते हैं क्योंकि ये खेल काफी बड़ा है।

ऑनलाइन मौजूद हैं अवैध सॉफ्टवेयर

ऑनलाइन तमाम ऐसी वेबसाइट्स हैं जो रेल टिकट बुकिंग के लिए अवैध सॉफ्टवेयर की सर्विस देने का दावा करती हैं। इसमें कुछ तो टिकट बुकिंग की संख्या पर यूजर से चार्ज लेती हैं। जैसे दो टिकट की बुकिंग के लिए चार्ज 2000 और चार टिकट के लिए 2400. छह टिकट के लिए 2800 तथा 12 के लिए 4400. ब्लैक टीएस नामक एक वेबसाइट टिकट बुकिंग में हेल्प करने वाले सॉफ्टवेयर्स की मुश्किलों को दूर करने का दावा करती है। ये वेबसाइट टिकट बुकिंग के पेमेंट में वन टाइम पासवर्ड (ओटीएस) की बाध्यता खत्म करने का दावा करती है। वहीं तत्काल डॉट कॉम नामक वेबसाइट ऐसे सॉफ्टवेयर्स प्रोवाइड करने का दावा करती है जिसके जरिये आप तत्काल टिकट भी बुक कर सकते हैं।

ऐसे होता था पूरा खेल

- हामिद अपने सॉफ्टवेयर में पहले ही टिकट से जुड़ी सारी इंफार्मेशन जैसे पैसेंजर का नाम, उम्र, यात्रा तिथि, ट्रेन नम्बर फीड कर लेता था।

- बुकिंग के लिए सर्वर शुरू होने के साथ साइट को हैक कर लिया जाता था और पहले से तैयार टिकट जनरेट करने के लिए डाटाबेस साइट पर अपलोड किया जाता था।

- साफ्टवेयर के जरिये एक साथ सैकड़ों टिकट का पेमेंट होता था और पीएनआर जनरेट हो जाते थे। टिकट को बाद में प्रिंट किया जाता था।

- टिकट के ऑर्डर हामिद के नेटवर्क से आते थे और टिकट डिलेवरी के बाद रुपये अकाउंट में जमा करा दिए जाते थे।