रांची (नदीम अख्तर) बतौर गुरु रांची निवासी पद्मश्री मुकुंद नायक इरफान को याद करते हुए भावुक हो जाते हैं। वे कहते हैं कि इरफान अपने ग्रैजुएशन के सभी साथियों में सबसे ज्यादा प्रतिभावान थे। मुकुंद नायक केवल हफ्ते भर ही स्पेशल क्लास के लिए एनएसडी गए थे। इस दौरान इरफान के साथ उनकी खूब बनी। उस दौर में जो मिलना हुआ, उसे न इरफान भूले और न ही मुकुंद नायक।

ट्रेडिशनल आर्ट के कद्रदान

मुकुंद नायक बताते हैं कि पहली मुलाकात में ही इरफान ने उनका दिल जीत लिया था। उन्होंने क्लास में एक नागपुरी गीत सुनाया, &अम्बा मंजरे मधु मानलय रे।।&य, तो पूरी क्लास में से एक ही आवाज आई, जो इरफान की थी। उन्होंने न केवल गीत के अनुवाद का अनुरोध किया, बल्कि इसके लेखक और संगीत देने वाले के बारे में भी पूरी जानकारी ली। अन्य स्टूडेंट्स जैसे विपिन और दूसरे साथियों ने भी दिलचस्पी ली, लेकिन इरफान ही थे जो क्लास खत्म होने के बाद भी मुकुंद नायक के पीछे-पीछे गए और घंटो बैठकर झारखंड क्षेत्र (तत्कालीन दक्षिण बिहार) की संस्कृति, सभ्यता, लोक कला और वाद्य यंत्रों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने मुकुंद नायक से लोक गीतों के संग्रह के बारे में भी जानकारी ली और झारखंड की भाषाओं के बारे में भी तीन दिनों तक लगातार जानकारी हासिल की थी।

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में ही दिख गई थी इरफान की प्रतिभा

लाठी चलाना भी सीखा

मुकुंद नायक बताते हैं कि उन्होंने इरफान को झारखंड के पारंपरिक लाठी खेल की भी शिक्षा दी। इसे उन्होंने दो दिनों के एक्स्ट्रा प्रयास से सीखा और जाते-जाते मुकुंद नायक से यह भी कहा था कि आपके घर आऊंगा, तो इसकी एडवांस ट्रेनिंग लूंगा। मुकुंद नायक अफसोस जताते हैं कि इरफान उस एडवांस ट्रेनिंग के लिए नहीं आ पाए।

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ऐसे पहुंचे थे एनएसडी

मुकुंद नायक बताते हैं कि वे 1985 में लोक कला को लेकर काफी संघर्ष कर रहे थे। स्थानीय कलाकारों को जुटाकर बड़े-बड़े आयोजनों में अपनी प्रस्तुतियां देने जाते थे। इसी कड़ी में 1985 के शुरुआत में ही जमशेदपुर में एनएसडी ने एक स्पेशल वर्कशॉप का आयोजन किया था। इसमें मुकुंद नायक को गाने और नृत्य मंडली के साथ अपने पारंपरिक नृत्य को प्रस्तुत करने का मौका मिला था। तब एनएसडी के चेयरमैन सुरेश अवस्थी हुआ करते थे। उन्होंने मुकुंद नायक की प्रस्तुति के बाद उन्हें एनएसडी में स्पेशल क्लास लेने के लिए आमंत्रित किया था। इस आमंत्रण को स्वीकार करते हुए पद्मश्री नायक वहां गए थे और इसी दौरान एक बेहतरीन कलाकार के उदय का गवाह भी बने।

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