-महानिरीक्षक निबंधन ने जिलाधिकारी को जांच कमेटी बना कर जांच करने का दिया निर्देश

- सिटी के आधा दर्जन से ऊपर बिल्डरों ने 20 करोड़ से अधिक का लगाया है चूना

GORAKHPUR: गोरखपुर में खेती की जमीन खरीदकर अपार्टमेंट बनाने और उसके बिजनेस के रूप में यूज करने का मामला प्रकाश में आया है। अनुमान है कि इससे करीब 20 करोड़ रुपए का नुकसान सरकार को हुआ है। शासन के पास पहुंची शिकायत के बाद महानिरीक्षक निबंधक ने डीएम को कमेटी गठित कर जांच कराने का आदेश दे दिया है। इससे शहर के बड़े-बड़े बिल्डरों में हड़कंप मच गया है। जांच में खुलासा हुआ है कि गोरखपुर के लगभग आधा दर्जन से अधिक नामी गिनामी बिल्डर हैं, जिन्होंने गवर्नमेंट को जमीन की रजिस्ट्री में 20 करोड़ से अधिक के स्टांप का चूना लगाया गया है। शासन के निर्देश पर डीएम ने मामले की जांच का जिम्मा एडीएम सिटी व एडीएम एफआर को दिया है। साथ ही एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने काे कहा है।

20 करोड़ से अधिक हुई स्टांप की चोरी

शुरुआती जांच के मुताबिक, सिटी के आधा दर्जन नामी-गिनामी बड़े बिल्डरों ने आवासीय भूखंडों को खेती की जमीन दिखाकर सरकार को 20 करोड़ से अधिक के स्टांप शुल्क की चोरी की है। स्टांप शुल्क चोरी का यह मामला उप महाप्रबंधक पंजीयन और उपायुक्त स्टांप की जांच में पिछले दिनों प्रकाश में आया था। बताया गया है कि जांच के दौरान एक बिल्डर पर करीब चार करोड़ के स्टांप चोरी का मुकदमा भी दर्ज कराया गया। साथ ही आधा दर्जन बिल्डरों पर स्टांप चोरी का परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण पूरा हो जाने के बाद संबंधित बिल्डरों पर भी स्टांप चोरी के मुकदमे दर्ज कराए जाएंगे।

राजस्व विभाग में मचा है हड़कंप

एक व्यक्ति ने डीआईजी स्टांप के कार्यालय में कुछ बिल्डरों द्वारा स्टांप चोरी की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद यह मामला प्रकाश में आया। मामला प्रकाशन आने के बाद राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया। बिल्डर्स आवासी जमीन को खेती की जमीन दिखाकर रजिस्ट्री बैनामा कराते हैं। इससे स्टांप शुल्क में खेती की भूमि दिखाने पर भारी कमी आ जाती और इसका पूरा फायदा बिल्डर्स उठाते हैं। जानकारों की मानें तो बिल्डरों से रजिस्ट्रीय विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से यह खेल हुआ है। इससे सरकार को भारी राजस्व की क्षति हुई है।

क्या है नियम

कृषि भूमि पार्सल पर आपकी पूर्ण स्वामित्व के बावजूद आप खेती वाले भूमि का उपयोग अपार्टमेंट के निर्माण के लिए नहीं कर सकते हैं। जब तक सरकार आपको ऐसा करने की अनुमति न दे। कानून के प्रावधानों के तहत, उपजाऊ कृषि भूमि का उपयोग कृषि उद्देश्यों के लिए ही किया जा सकता है। यानी आवासीय, वाणिज्यिक या औद्योगिक उपयोग के अलावा किसी उद्देश्य के लिए इसका उपयोग करने के लिए मालिक को संबंधित अधिकारियों से अनुमोदन प्राप्त करना होगा और भूमि उपयोग को बदलना होगा।

55 एकड़ से ऊपर का है मामला

निबंधन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, इन छह बिल्डरों के सिटी के विभिन्न एरियाज में खेती की जमीन का इस्तेमाल किया गया है। प्रत्येक के पास करीब दस एकड़ से उपर के जमीन का इस्तेमाल किया गया है। इस प्रकार करीब 55 एकड़ से उपर जमीन है जिनका घालमेल का मामला है। जिसकी जांच चल रही है।

वर्जन

सिटी के छह बिल्डरों की जांच चल रही है। इन सभी के चार साल के डाक्यूमेंट्स रजिस्ट्रार से मांगे गए हैं। एक की जांच लगभग पूरी भी हो गई है। बाकी पांच की जांच भी जल्द पूरी हो जाएगी। इनके विरुद्ध स्टांप वाद दर्ज कराया जाएगा।

रामानंद सिंह, उप महानिरीक्षक निबंधन, गोरखपुर