डीजल की 'साढ़े पांची' की मार झेल रहे पटनाइट्स

Patna: महंगाई डायन एक बार फिर कॉमन मैन को खाए जा रही है। डीजल की कीमत में साढ़े पांच रुपए की वृद्धि क्या हुई, हींग से लेकर हल्दी तक महंगा हो गया है। पान से लेकर चाय तक की कीमत बढ़ गई है। पांच किलो का एक पैकेट आटा जो 115 रुपए में आता था, डीजल में प्राइस हाइक के दूसरे दिन ही 135 रुपए हो गया. 

रिटेल स्टोर्स ने खुद ही बढ़ा दिए
दुकानों में सामान के भाव अचानक से बढ़ गए हैं। हद तो यह है कि गवर्नमेंट व मंडी ने ये रेट नहीं बढ़ाए, रिटेल स्टोर्स ने खुद ही प्राइस इंक्रीज कर दिए हैं। अफसोसजनक है कि हर लेवल पर मुनाफाखोरी चरम पर है और राजनीति सिर्फ पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर हो रही है। रिलेटेड डिपार्टमेंट भी केंद्र या राज्य सरकारों की तरह इस लूट को मौन समर्थन देती दिख रहा है. 

राजधानी की अधिकांश फेमस दुकान भी कैशमेमो नहीं देता है, कोई मांगता भी नहीं है। स्वाभाविक है कि ऐसे शॉप्स पर गवर्नमेंट का कोई कंट्रोल नहीं है। ये अपना पूरा कारोबार ही नकली बिल और वाउचर पर करते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि अधिकतर सरकारी विभागों से मिलीभगत होती है। यही हाल मंडियों का भी है। किसान से औने-पौने दामों में खरीदा और खूब दाम बढ़ाकर हॉलसेलर को दिया। कस्टमर तक आते-आते मुनाफाखोरी इतनी बढ़ जाती है कि$ 10 रुपए का सामान 35-40 में सेल होता है। जब भी डीजल और पेट्रोल की कीमत बढ़ती है, दुकानदार अपने सभी आइटम्स की कीमत बढ़ा देते हैं। भले ही इसका वास्तविक असर कीमतों पर पड़े या नहीं। हमेशा इसकी मार झेलती है बेचारी जनता। पान से लेकर चाय तक की कीमत बढ़ गई है। जो पान पहले 5 रुपए में मिल रहा था, वह 7 रुपए को हो गया है। 4 रुपए की चाय अब 5 रुपए में मिलती है।   
मनमाना रेट में दे रहे सामान
शिवपुरी रोड नंबर-1ए के मकान नंबर 16 में रहने वाले अनंत एक निजी कंपनी में सेल्स मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि 14 सितम्बर को ही मैंने अरवा चावल 28 रुपए प्रति किलो लिया था। अब शुक्रवार को वही चावल 32 रुपए प्रति किलो हो गया। दुकानदार ने पूछने पर कहा कि पेट्रोल-डीजल का रेट भी डेली बढ़ रहा है, तो चावल क्यों नहीं बढ़ेगा। अब एक सप्ताह के अंदर ही सामान की कीमत में करीब 20 परसेंट तक इजाफा हो गया है। हर चीज पर 20 से 40 परसेंट रेट बढ़ा दिया गया है। अब तो सैलरी इस तरह से बढ़ती नहीं कि इन रेट को मैनेज किया जाए। अनंत कहते हैं कि यदि यह डीजल का अफेक्ट है, तो ट्रांसपोर्टेशन के बाद सामान की कीमत बढऩी चाहिए थी। नया प्राइस नए माल पर लागू होना चाहिए था, पर दुकानदारों ने तो पुराने स्टॉक पर ही मनमाना रेट लागू कर दिया है. 
5 का पान 7 रुपए में 
डीजल की कीमत में वृद्धि का असर पान पर भी दिखने लगा है। हरा पत्ता व मगही पान 5 से 7 रुपए का हो गया है, वहीं मीठा पत्ता 7 से 10 रुपए हो गया। पान दुकानदार नगीना सिंह उर्फ पंडित जी ने बताया कि पान का पत्ता और मसाला महंगा हो गया है, इसलिए हमलोगों को भी रेट बढ़ाना पड़ गया।  
कोल्ड ड्रिंक्स हुआ 'गर्म'
कोल्ड ड्रिंक्स पर भी डीजल का साइड अफेक्ट हुआ है। 200 एमएल कोल्ड ड्रिंक्स पहले 10 रुपए में मिलता था, जो अब 12 रुपए का हो गया है। इसी तरह से दूसरे कोल्ड ड्रिंक्स का दाम भी बढ़ गया है। दुकानदारों का कहना है कि डीजल का रेट बढ़ गया है और बिजली नहीं रहने पर जेनरेटर से फ्रिज चलता है, इसलिए ज्यादा तो लेना ही होगा.
सुबह का नाश्ता भी महंगा
कॉमन मैन का सुबह का नाश्ता भी महंगा हो गया है। जो कचौड़ी पहले चार रुपए में मिलती थी, अब पांच रुपए का हो गया है। नाश्ते का जो प्लेट 12 रुपए में आता था, 15 रुपए का हो गया है। यहां भी दुकानदारों का वही तर्क डीजल महंगा, तो ये क्यों नहीं. 
सत्तू का स्वाद भी घट गया
इस महंगाई ने सत्तु का स्वाद कड़वा कर दिया है। मिडिल क्लास के लोग सत्तू बहुत चाव से पीते थे, पर अब इसे भी महंगाई की नजर लग गई। 7 रुपए ग्लास वाला सत्तु अब 9 रुपए का हो गया है। कहीं-कहीं तो 10 रुपए में भी मिल रहा है. 
2.89 रुपए अंडा पटनाइट्स को मिलता है 6 रुपए में
जो लोग सुबह-सुबह ब्रेड-ऑमलेट का नाश्ता करते थे, उनके लिए डीजल ने परेशानी बढ़ा दी है। डीजल का रेट बढ़ते ही दुकानदारों ने प्रति अंडा एक रुपए कीमत बढ़ा दी है। अब मार्केट में 6 रुपए में एक अंडा मिल रहा है। जबकि ऐसा है नहीं। अंडे का फंडा कुछ अलग ही है। पटना आते-आते एक अंडे की कीमत 2.89 रुपए हो जाती है, जो कस्टमर के हाथ में जाते-जाते 6 रुपए का बन जाता है। दरअसल, पटना में आंध्र प्रदेश व पंजाब से अंडा आता है। आंध्र प्रदेश में एक अंडा की कीमत 2.80 रुपए होती है। आंध्र प्रदेश से पटना का भाड़ा 65 हजार रुपए है। एक ट्रक में 757344 अंडे रहते हैं। आंध्र प्रदेश से चलते वक्त एक ट्रक अंडे की कीमत 2120563 रुपए होती है। पटना पहुंचने पर इसमें 65 हजार रुपए भाड़ा जोडऩे पर इसकी कीमत 2185563 रुपए प्रति ट्रक आ जाती है। ऐसे में पटना में एक अंडे की कीमत 2.89 रुपए आती है, जबकि मार्केट में यही अंडा 6 रुपए प्रति पीस बेचा जा रहा है। दुकानदार इसका कारण डीजल के बढ़े रेट बताते हैं। जो भी हो, महंगाई की मार तो कॉमन मैन ही झेलता है. 

रिटेल स्टोर्स ने खुद ही बढ़ा दिए
दुकानों में सामान के भाव अचानक से बढ़ गए हैं। हद तो यह है कि गवर्नमेंट व मंडी ने ये रेट नहीं बढ़ाए, रिटेल स्टोर्स ने खुद ही प्राइस इंक्रीज कर दिए हैं। अफसोसजनक है कि हर लेवल पर मुनाफाखोरी चरम पर है और राजनीति सिर्फ पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर हो रही है। रिलेटेड डिपार्टमेंट भी केंद्र या राज्य सरकारों की तरह इस लूट को मौन समर्थन देती दिख रहा है. राजधानी की अधिकांश फेमस दुकान भी कैशमेमो नहीं देता है, कोई मांगता भी नहीं है। स्वाभाविक है कि ऐसे शॉप्स पर गवर्नमेंट का कोई कंट्रोल नहीं है। ये अपना पूरा कारोबार ही नकली बिल और वाउचर पर करते हैं। कहना गलत नहीं होगा कि अधिकतर सरकारी विभागों से मिलीभगत होती है। यही हाल मंडियों का भी है। किसान से औने-पौने दामों में खरीदा और खूब दाम बढ़ाकर हॉलसेलर को दिया। कस्टमर तक आते-आते मुनाफाखोरी इतनी बढ़ जाती है कि$ 10 रुपए का सामान 35-40 में सेल होता है। जब भी डीजल और पेट्रोल की कीमत बढ़ती है, दुकानदार अपने सभी आइटम्स की कीमत बढ़ा देते हैं। भले ही इसका वास्तविक असर कीमतों पर पड़े या नहीं। हमेशा इसकी मार झेलती है बेचारी जनता। पान से लेकर चाय तक की कीमत बढ़ गई है। जो पान पहले 5 रुपए में मिल रहा था, वह 7 रुपए को हो गया है। 4 रुपए की चाय अब 5 रुपए में मिलती है।   

मनमाना रेट में दे रहे सामान
शिवपुरी रोड नंबर-1ए के मकान नंबर 16 में रहने वाले अनंत एक निजी कंपनी में सेल्स मैनेजर हैं। उन्होंने बताया कि 14 सितम्बर को ही मैंने अरवा चावल 28 रुपए प्रति किलो लिया था। अब शुक्रवार को वही चावल 32 रुपए प्रति किलो हो गया। दुकानदार ने पूछने पर कहा कि पेट्रोल-डीजल का रेट भी डेली बढ़ रहा है, तो चावल क्यों नहीं बढ़ेगा। अब एक सप्ताह के अंदर ही सामान की कीमत में करीब 20 परसेंट तक इजाफा हो गया है। हर चीज पर 20 से 40 परसेंट रेट बढ़ा दिया गया है। अब तो सैलरी इस तरह से बढ़ती नहीं कि इन रेट को मैनेज किया जाए। अनंत कहते हैं कि यदि यह डीजल का अफेक्ट है, तो ट्रांसपोर्टेशन के बाद सामान की कीमत बढऩी चाहिए थी। नया प्राइस नए माल पर लागू होना चाहिए था, पर दुकानदारों ने तो पुराने स्टॉक पर ही मनमाना रेट लागू कर दिया है. 

5 का पान 7 रुपए में 
डीजल की कीमत में वृद्धि का असर पान पर भी दिखने लगा है। हरा पत्ता व मगही पान 5 से 7 रुपए का हो गया है, वहीं मीठा पत्ता 7 से 10 रुपए हो गया। पान दुकानदार नगीना सिंह उर्फ पंडित जी ने बताया कि पान का पत्ता और मसाला महंगा हो गया है, इसलिए हमलोगों को भी रेट बढ़ाना पड़ गया।  

कोल्ड ड्रिंक्स हुआ 'गर्म'
कोल्ड ड्रिंक्स पर भी डीजल का साइड अफेक्ट हुआ है। 200 एमएल कोल्ड ड्रिंक्स पहले 10 रुपए में मिलता था, जो अब 12 रुपए का हो गया है। इसी तरह से दूसरे कोल्ड ड्रिंक्स का दाम भी बढ़ गया है। दुकानदारों का कहना है कि डीजल का रेट बढ़ गया है और बिजली नहीं रहने पर जेनरेटर से फ्रिज चलता है, इसलिए ज्यादा तो लेना ही होगा।

सुबह का नाश्ता भी महंगा
कॉमन मैन का सुबह का नाश्ता भी महंगा हो गया है। जो कचौड़ी पहले चार रुपए में मिलती थी, अब पांच रुपए का हो गया है। नाश्ते का जो प्लेट 12 रुपए में आता था, 15 रुपए का हो गया है। यहां भी दुकानदारों का वही तर्क डीजल महंगा, तो ये क्यों नहीं. 

सत्तू का स्वाद भी घट गया
इस महंगाई ने सत्तु का स्वाद कड़वा कर दिया है। मिडिल क्लास के लोग सत्तू बहुत चाव से पीते थे, पर अब इसे भी महंगाई की नजर लग गई। 7 रुपए ग्लास वाला सत्तु अब 9 रुपए का हो गया है। कहीं-कहीं तो 10 रुपए में भी मिल रहा है. 

2.89 रुपए अंडा पटनाइट्स को मिलता है 6 रुपए में
जो लोग सुबह-सुबह ब्रेड-ऑमलेट का नाश्ता करते थे, उनके लिए डीजल ने परेशानी बढ़ा दी है। डीजल का रेट बढ़ते ही दुकानदारों ने प्रति अंडा एक रुपए कीमत बढ़ा दी है। अब मार्केट में 6 रुपए में एक अंडा मिल रहा है। जबकि ऐसा है नहीं। अंडे का फंडा कुछ अलग ही है। पटना आते-आते एक अंडे की कीमत 2.89 रुपए हो जाती है, जो कस्टमर के हाथ में जाते-जाते 6 रुपए का बन जाता है। दरअसल, पटना में आंध्र प्रदेश व पंजाब से अंडा आता है। आंध्र प्रदेश में एक अंडा की कीमत 2.80 रुपए होती है। आंध्र प्रदेश से पटना का भाड़ा 65 हजार रुपए है। एक ट्रक में 757344 अंडे रहते हैं। आंध्र प्रदेश से चलते वक्त एक ट्रक अंडे की कीमत 2120563 रुपए होती है। पटना पहुंचने पर इसमें 65 हजार रुपए भाड़ा जोडऩे पर इसकी कीमत 2185563 रुपए प्रति ट्रक आ जाती है। ऐसे में पटना में एक अंडे की कीमत 2.89 रुपए आती है, जबकि मार्केट में यही अंडा 6 रुपए प्रति पीस बेचा जा रहा है। दुकानदार इसका कारण डीजल के बढ़े रेट बताते हैं। जो भी हो, महंगाई की मार तो कॉमन मैन ही झेलता है.