- साइबर एक्सपर्ट न होने से नहीं सुलझा पाते मामले

- साइबर क्राइम से संबंधित साल में आते हैं 70-80 केस

Meerut : साइबर क्राइम के मामलों को सुलझाने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है। हर साल सोशल नेटवर्किंग और साइबर व‌र्ल्ड से संबंधित करीब 70-80 शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन इसमें से आधे से भी कम मामलों में ही जांच हो पा रही है। ताज्जुब की बात तो ये है कि जिन सोशल नेटवर्किंग के मामलों को सुलझाने में सोशल नेटवर्किंग साइट मददगार साबित हो सकती है वो ही आजकल अपडेट नहीं हो रही है। ऐसे में पुलिस के लिए साइबर क्राइम को रोकने में पूरी तरह से नाकाम है।

पुलिस के टालू जवाब

'सर, मेरा लैपटाप चोरी हो गया है। मैंने नजदीक के पुलिस थाने पर शिकायत दर्ज करा दी है, लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी जांच शुरू नहीं हो पाई है'

'सर, एक अननोन पर्सन मुझे सोशल नेटवर्किंग साइट पर मुझे परेशान कर रहा है। प्लीज इसे रोकने का प्रयास कीजिए.'

इस तरह के तमाम सवालों के जवाब पाने के लिए लोग पुलिस के पास जा रहे हैं, लेकिन वहां से उन्हें टालने के लिए सिर्फ वक्त दिया जा रहा है। हर सवाल के जवाब में सिर्फ यही कहा जा रहा है कि नजदीकी पुलिस थाने पर संपर्क करें। दरअसल, हकीकत यह है कि मेरठ की पुलिस साइबर व‌र्ल्ड के शातिरों से बुरी तरह हार रही है। ये तब है जबकि मेरठ में साल-दर-साल ऑनलाइन ठगी या अन्य तरीकों से किए जाने वाले फ्रॉड के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

एक्सपर्ट नहीं, सुलझाए कौन?

पुलिस के पास ऑनलाइन समस्या दूर कराने के लिए कोई ऑप्शन नहीं है। साइबर सेल होते हुए भी न के बराबर है, क्योंकि वहां पर कोई एक्सपर्ट आदमी नहीं है। एक्सपर्ट की तलाश की कोई कोशिश भी नहीं की जाती है और न ही पुलिस डिपार्टमेंट का कोई अधिकारी और कर्मचारी इस विधा में पारंगत होने की इच्छा जता रहा है। ये हालत तब है जब हर महीने करीब आधा दर्जन इस तरह के मामले आ रहे हैं।

आधे मामले भी नहीं सुलझ रहे

साइबर क्राइम के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं, उस तेजी से पुलिस तैयार नहीं हो रही। साइबर अपराधों के लिए अलग से सेल बनाया गया है, लेकिन यहां छोटे-मोटे मामलों में भी प्रॉपर जांच नहीं हो पा रही। ज्यादातर मामले फाइलों में ही दबा दिए जाते हैं। हद तो ये है कि सालाना दर्ज होने वाली शिकायतों में से आधी भी पुलिस की साइबर सेल नहीं सुलझा पा रही है, जिन मामलों के तार विदेशों से जुड़े होते हैं, उन्हें सुलझाने की तो उम्मीद ही नहीं दिखती।

चोरी के मोबाइल भी ट्रेस नहीं

जिस तरह साइबर अपराधों को सुलझाने में पुलिस नाकाम हो रही है, कभी वैसा ही हाल चोरी के मोबाइल ट्रेस करने के मामलों में भी था। मोबाइल तक पहुंचने का पूरा सिस्टम होने के बावजूद पुलिस की मोबाइल नेटवर्क कंपनियां से दूरी बनी हुई है। अब भी इस सिस्टम में सुधार की दरकार है, लेकिन कोई भी इस पर ध्यान देने को तैयार नहीं है।

साइबर सेल के इंचार्ज का ट्रांसफर दो दिन पहले ही हुआ है। अब लोग क्राइम करने के लिए लोग इंटरनेट और साइबर व‌र्ल्ड का सहारा लेने लगे हैं। साइबर से जुडे़ मामलों को सुलझाने का पूरा प्रयास किया जाता है।

- मनीष कुमार मिश्रा, सीओ, क्राइम