ईश्वर शरण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के इतिहास विभाग में राष्ट्रीय संगोष्ठी

ALLAHABAD: औपनिवेशिक शासकों से मुक्ति के बाद इन संरचनाओं का पुननिर्माण ही विऔपनिवेशीकरण है। औपनिवेशीकरणप्रक्रिया का प्रस्थान बिंदु मैकाले मिनट्स था। जिसने भारतीयों के ऐसे वर्ग को तैयार करने का प्रयास किया, जो रक्त से भारतीय हो, लेकिन चेतना स्तर पर अंग्रेज हो। ये बातें मंगलवार को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के संघटक महाविद्यालय ईश्वर शरण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के इतिहास विभाग में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ। आनंद शंकर सिंह ने कही। इसके पहले सभी गेस्ट ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलित करके संगोष्ठी की शुरुआत की। कार्यक्रम की समन्वयक डॉ। रचना सिंह ने संगोष्ठी की रूपरेखा पर प्रकाश डाला।

70 वर्षो बाद भी मानसिक गुलाम

शाषी निकाय के अध्यक्ष आरके श्रीवास्तव ने कहा कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी हम मानसिक गुलाम हैं। डॉ। बालमुकुंद पाण्डेय ने कहा कि इतिहास को हिस्ट्री में परिवर्तित करना ही सबसे बड़ा औपनिवेशिक आघात था, जिससे हम अपनी संस्कृति को भूल गए हैं। इस दौरान दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राकेश सिन्हा, प्रो। रजनीश कुमार शुक्ल आदि ने भी विचार रखे। कुलपति इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रो। रत्तन लाल हांगलू अध्यक्षता की। डॉ। धीरेन्द्र द्विवेदी ने सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।