बंधकों के अंगों की तस्करी करके मुस्लिम समुदाय को देगा

अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने अपने आतंक को रोज नए आयाम देने के लिए फेमस आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के दस्तावेज का अंग्रेजी में अनुवाद करने का दावा करते हुए बताया है कि आईएस अपने पास बंधक बनाए गए लोगों के अंगों की तस्करी कर सकता है। हाल ही में आईएस की ओर से मानव अंगों को बेचने और दूसरों के शरीर में लगाने की मंजूरी दी गयी है जिसके बाद ये आशंका बढ़ गयी है। पता चला है कि आईएस की तरफ से 31 जनवरी, 2015 को एक फरमान जारी करके कहा गया है कि किसी मुसलमान की जान बचाने के लिए बंधकों के शरीर से अंगों को निकालना जायज है, भले ही इससे बंधक की जान को खतरा हो सकता हो। हालांकि किसी भी एजेंसी ने इस दस्तावेज की स्वतंत्र रूप से प्रामाणिक पुष्टि नहीं की है।

मई में बराबद हुआ था ये दस्तावेज

कहा जा रहा है कि ये दस्तावेज इसी साल मई में अमेरिकी सेनाओं ने पूर्वी सीरिया में की गई छापेमारी के दौरान बरामद किए थे। इसके अनुसार आईएस की रिसर्च और फतवा कमेटि का मानना है कि काफिर यानि गैर मुस्लिम की जिंदगी और उसके अंगों का सम्मान नहीं किया जाना चाहिए। और सजा माफी की की प्रक्रिया पुरी करने के बाद यदि बंधक के अंगों को निकालने से उसकी जान को खतरा हो तो भी ऐसा करने में कोई हर्ज नहीं है। जिस फतवे में ये बात कही गयी है उसकी संख्या 68 वीं बताई जा रही है।

अंग तस्करी की पुष्टि नहीं होती

हालाकि यह दस्तावेज इस बात की पुष्टि नहीं करता कि यहां बात आतंकी संगठन मानव अंगों की तस्करी में शामिल है या फिर वो बंधकों के अंग इस्तेमाल करके अपने आतंकियों को बचाने की बात कर रहा है। लेकिन अमेरिकी एजेंसियों का ऐसा मानना है कि जंग में घायल लड़ाकों को बचाने और कमाई करने जैसे दोनों उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आईएस मानव अंगों की तस्करी कर सकता है। इससे पहले इराकी सरकार भी ये आरोप लगा चुकी है कि आईएस पैसा कमाने के लिए बंधकों के शरीर से अंगों को निकाल कर बेच रहा है। इस दस्तावेज में 'काफिर' की परिभाषा भी स्पष्ट नहीं की गयी है। ऐसा लगता है कि आईएस द्वारा चुने गए मुस्लिमों के अलावा सभी लोगों जैसे ईसाइयों, शिया मुस्लिमों,व अन्य धर्मो को मानने वालों के साथ साथ उसके विचारों से सहमति न रखने वाले सुन्नी मुस्लिमों को भी काफिर करार दिया जायेगा।

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