जीसैट-11 की रिलॉन्चिंग समेत तमाम सैटेलाइट्स स्पेस में भेजेगा इसरो
चेन्नई (आईएएनएस) इंडियन स्पेस एजेंसी ISRO इस साल के आखिरी महीनों में जमकर बिजी रहने वाला है, यानी इस साल इसरो आंध्र प्रदेश के अपने श्रीहरिकोटा लांच सेंटर से भारी संख्या में रॉकेट स्पेस में भेजेगा। यह जानकारी इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी है। इसरो द्वारा इस साल लॉन्च किए जाने वाले तमाम सैटेलाइट्स में जीसैट-11 का भी नाम है। यह वही सैटेलाइट है जिसे फ्रांस के फ्रेंच गुयाना रॉकेट पोर्ट से लॉन्च करने को भेजा गया था लेकिन फिर उस लॉन्च रोक दिया गया और आगे की टेस्टिंग और बदलाव के लिए उसे वहां से वापस इसरो में मंगाया गया है। इसरो के अधिकारियों के बतावे जीसैट-11 इस साल के अंत तक फिर से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा और यह लांच भारत से नहीं बल्कि फ्रेंच गुयाना रॉकेट पोर्ट से ही होगा।

2 विदेशी सैटेलाइट समेत अंतरिक्ष में भेजेगा 3 इंपॉर्टेंट स्वदेशी सैटेलाइट
इसरो के चेयरमैन K. Sivan ने आईएएनएस को बताया कि इस साल के अंतिम महीनों में हम बहुत बिजी रहने वाले हैं क्योंकि हम स्पेस में अपने तीन रॉकेट लॉन्च करेंगे। जिनमें पोलर सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल पीएसएलवी और जियो सिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल जीएसएलवी (GSLV Mk II and Mk III) शामिल हैं। और यह लॉन्चिंग सितंबर महीने से शुरू होगी। इसरो चेयरमैन के मुताबिक सितंबर में वह अपने पीएसएलवी रॉकेट के साथ दो विदेशी सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में भेजेंगे। इसका उद्देश्य देश के लिए विदेशी मुद्रा कमाना है।

इस साल इसरो अंतरिक्ष में इतने रॉकेट भेजेगा कि इंड‍िया वाले देखते ही रह जाएंगे

पहली बार लॉन्च होगा देश का सबसे भारी और ताकतवर रॉकेट
इसके बाद अक्टूबर 2018 में पीएसएलवी रॉकेट फिर से उड़ान भरेगा और इंडियन रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट और कई विदेशी सैटेलाइट्स को धरती की कक्षा में स्थापित करेगा। अक्टूबर महीने में ही हम भारत का सबसे भारी रॉकेट 640 टन का जीएसएलवी मार्क 3 लॉन्च करेंगे जो कि GSAT-29 और Ka x Ku मल्टी बीम और ऑप्टिकल कम्युनिकेशन पेलोड के साथ लेकर अंतरिक्ष में जाएगा।

एयरफोर्स के लिए लॉन्च करेगा जीसैट-7A
इसरो के मुताबिक अक्टूबर में होने वाले इस भारी भरकम स्पेस लॉन्च का उद्देश्य होगा भारत के गांव गांव में मौजूद विलेज रिसोर्स सेंटर यानी (VRC) को डिजिटल दुनिया से जोड़ना। इसके बाद नवंबर 2018 में इसरो जीएसएलवी मार्क 2 रॉकेट छोड़ेगा जोकि जीसैट-7A को लेकर धरती की कक्षा में स्थापित करेगा। यह सैटेलाइट खास तौर पर इंडियन एयर फोर्स के इस्तेमाल के लिए बनाया गया है। इसरो चेयरमैन के मुताबिक इसरो ने इससे पहले जीसैट-7 अथवा रुक्मिणी सैटेलाइट इंडियन नेवी के लिए लांच किया था और अब हम एयरफोर्स की कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी को इस सेटेलाइट से और भी मजबूत बनाएंगे।

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