- सपा विधायकों ने धान और आलू के साथ किया मुख्य द्वार पर प्रदर्शन

- दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि के बाद विधानसभा हुई स्थगित

- बुधवार को 15 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट लाएगी सरकार

LUCKNOW : विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पहले दिन मंगलवार को सपा विधायकों ने कानून-व्यवस्था और किसानों के मुद्दे को लेकर विधानसभा के मुख्य द्वार के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया। सपा विधायकों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया। तत्पश्चात सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद खीरी जिले के निघासन क्षेत्र के विधायक राम कुमार वर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के निधन पर शोक प्रकट किया गया। सदन ने दोनों नेताओं को श्रद्धांजलि दी और दो मिनट मौन रहकर मृत आत्मा की शांति के लिए कामना की। इसके बाद विधानसभा बुधवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

सरकार विरोधी नारे लगाए

विधानसभा के मुख्य द्वार पर स्थित चौधरी चरण सिंह की मूर्ति के पास सपा विधायक सुबह 9.30 बजे ही हाथों में नारे लिखी तख्ती लेकर धरने पर बैठ गए। वे बुलंदशहर में इंस्पेक्टर की हत्या, गन्ना और आलू किसानों की समस्या तथा कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार पर हमलावर थे और अपने साथ गन्ना, गेहूं और टोकरी में आलू लेकर आए थे। कुछ सदस्यों ने आलू की माला भी पहनी थी। सपा विधायकों ने 'नारा लगाओ जोरों से, देश बचाओ चोरों से'। 'भाजपा राज का खुल्ला खेल-गैस, राशन, महंगा तेल'। 'लाठी गोली की सरकार-नहीं चलेगी, नहीं चलेगी'। इनका नेतृत्व सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, इकबाल महमूद, आलम बदी, नरेंद्र सिंह वर्मा, उज्ज्वल रमण सिंह, अमिताभ बाजपेयी, राकेश सिंह, नफीस अहमद, आनंद सिंह भदौरिया आदि कर रहे थे।

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चर्चा से भाग रही सरकार : कांग्रेस

वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने शीतकालीन सत्र को सिर्फ चार दिन तक सीमित करके यह प्रमाणित किया है कि वह जनहित के मुद्दों से बचने के लिए चर्चा से भाग रही है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार गठन के पश्चात 90 दिन सदन चलाने का वादा किया था। हकीकत यह है कि 50 प्रतिशत भी सदन की कार्यवाही नहीं चली। शीतकालीन सत्र को छोड़कर मात्र 21 दिन ही सदन की कार्यवाही चली। सरकार गंभीर मुद्दों जैसे बेरोजगारी, किसानों की समस्या, ध्वस्त कानून व्यवस्था और अभी हाल ही में बुलंदशहर में भड़के दंगे पर चर्चा से बचने के लिए सत्र को सीमित कर मात्र चार ही दिन में समाप्त करना चाहती है।