भोजपुरी लोगों में नहीं है एकता
भोजपुरी में कोई अश्लीलता नहीं है। अपने ही लोग झूठे आरोप लगाते हैं। हिंदी फिल्मों में भी आइटम सांग होते हैं। शीला को जवान और मुन्नी को बदनाम होते देखने पर लोगों को खुशी मिलती है तो भोजपुरी में आइटम सांग का विरोध क्यों होता है। ऐसा इसलिए है कि भोजपुरी सिनेमा में एकता नहीं है। यहां हर कोई एक दूसरे की टांग खींचने में लगा है। ऐसे लोग ही भोजीवुड पर अश्लीलता के आरोप लगाते हैं।

गोरक्षनगरी से शुरू हुआ था कैरियर
सीमा सिंह के लिए गोरखपुर लकी सिटी है। बिना डांस सीखे स्टेज शो करने वाली सीमा को 2007 में निरहुआ की एक फिल्म से मौका मिला। उसके बाद निर्माता- निर्देशक राजकुमार पांडेय की फिल्म 'लागल रहा ए राजा जी से उनका पूरा कैरियर चेंज हो गया। गोरखपुर में वह इसके पहले 'चुन्नू बाबू सिंगापुरी' और 'गरदा' की शूटिंग कर चुकी हैं लेकिन दर्शकों के बीच पहली बार आने का मौका मिला।

हिंदी मूवी के लिए स्लिम हो रही हैं सीमा
सीमा कहना है कि भोजपुरी की हीरोइन उसी को माना जाता है कि जिसका फिगर बोल्ड हो। हिंदी में भी काम का मौका मिल रहा है, बीहड़ से इसकी शुरूआत हो चुकी है। प्रशंसक कहते हैं कि मुझे स्लिम होना चाहिए इसलिए अब वजन घटाने पर ध्यान दे रही हंू। 'ठोक देबÓ से मेरा नया लुक नजर आएगा।

प्रैक्टिस ने दिलाया डांस का मुकाम
डांसर सीमा सिंह का कहना है कि वह कभी डांस की क्लास में नहीं गईं लेकिन प्रैक्टिस ने उनको इस मुकाम पर पहुंचा दिया। कोरियोग्राफर के मूवमेंट से परफार्मेंस को बेहतर करने का प्रयास करती हैं। मास्टर कानू मुखर्जी की देन है कि उनको दर्शक इतना पंसद कर रहे हैं। डांस की बदौलत हर साल पुरस्कार मिलते हैं। टीवी चैनल्स पर भी कई प्राइज जीत चुकी हैं।

फिल्म सिटी होने से बचेंगे खर्चे
फिल्म सिटी बेहद जरूरी है, इसके होने से फालतू के खर्च बच जाते हैं। गोरखपुर में सबसे ज्यादा जरूरत फ्लाइट फैसिलिटी की है। मुंबई से गोरखपुर आने के लिए कोई सीधी फ्लाइट नहीं है। यहां आने के लिए काफी तैयारी करनी पड़ती है। बचे हुए खर्चे का उपयोग मूवी के इम्प्रूवमेंट में हो सकेगा।

मैं तो आइटम में ही रहूंगी
आइटम सांग की देन है कि आज यूपी के इलाहाबाद सिटी की सीमा को लोग जानते हैं। आइटम गर्ल के फ्रेम से निकलने का मूड नहीं है। अलबत्ता खुद को हिंदी के साथ अन्य भाषाओं की फिल्मों में सफल साबित करना है।

 

report by : arun.kumar@inext.co.in