40 सीटों पर 50 हजार फार्म

गर्वनमेंट कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर के धीरज बताते है कि जीसीए में आर्किटेक्चर हैजिन पर एसईई के थ्रू एडमिशन होते हैपिछले कुछ सालों में आर्किटेक्चर की डिमांड काफी तेजी से बढ़ी हैयही वजह है कि लास्ट ईयर इन 40 सीटों पर 50 हजार से ज्यादा कैंडीडेंट्स ने एप्लाई किया थाधीरज बताते है कि सिटी में करीब गर्वनमेंट कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर समेत चार प्राइवेट इंस्टीट्यूट में आर्किटेक्चर की डिग्री दी जाती हैजीसीए समेत यहां पर 120 सीटें हैजो पहले राउंड की काउंसिलिंग में ही फुल हो जाती है

सिविल की डिमांड भी बढ़ी

सीतापुर रोड स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो एम खान बताते है कि पिछले कुछ सालों में सिविल इंजीनियरिंग में स्टूडेंट्स का रूझान तेजी से बढ़ा हैलास्ट ईयर काउंसिलिंग में भी देखा गया था कि आईटी और कम्प्यूटर साइंस से पहले स्टूडेंट्स सिविल इंजीनियरिंग ब्रांच को चुन रहे थेप्रो खान बताते है कि आईईटी में सिविल इंजीनियरिंग की 60 सीटें है जो सबसे पहले फुल हो जाती हैउन्होंने बताया कि गर्वनमेंट सेक्टर के साथ रियल इस्टेट में बूम आने की वजह से सिविल इंजीनियर्स की डिमांड में इजाफा हुआ हैउन्होंने बताया कि सिटी में इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी से बढ़ रहा हैजिसकी वजह से सिविल इंजीनियर्स की डिमांड भी बढ़ रही हैजीबीटीयू के एक अधिकारी बताते है कि सिटी में 60 से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज चल रहे हैजिसमें 2700 से ज्यादा सिविल इंजीनियरिंग की सीटें हैउनका कहना है कि कम्प्यूटर साइंस और आईटी की सीटें भले ही खाली रह जाएं लेकिन सिविल इंजीनियरिंग सीटें फुल ही रहती है

बदल रहा है लखनऊ

डीएलएफ कामर्शियल कॉम्प्लेक्स लिमिटेड के एक सीनियर ऑफीसर के मुताबिक लखनऊ अब काफी बदल चुका हैकुछ साल पहले जिन सिविल इंजीनियरों को बेहतर नौकरी नहीं मिल पाती थी वह विदेश का रुख करते थेअब सिविल इंजीनियरों की बड़ी संख्या लखनऊ के रियल एस्टेट में अपनी सेवा दे सकेंगेउनके लिए कई ऑप्शन खुले हैंवह पिछले दो सालों से यहां कंस्ट्रक्शन कराने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वक्त अब आया हैडीएलएफ यहां 7,50,000 वर्ग फीट पर डीएलएफ प्लाजा का निर्माण कराने जा रही है

धड़ाधड़ खुल रहे हैं इंजीनियरिंग कालेज

यह बढ़ती मांग का ही नतीजा है कि शहर में 20 इंजीनियरिंग कॉलेज जल्द ही शुरू हो जाएंगेसिविल इंजीनियर बीके श्रीवास्तव ने बताया कि भूकंपरोधी मकानों की मांग को देखते हुए अपार्टमेंट के निर्माण में भी सिविल इंजीनियरों और आर्किटेक्ट की भूमिका बढ़ गई हैलोगों को मकान की बुकिंग कराने के पहले भूकंपरोधी होने की जानकारी ले रहे हैंउनके अनुसार कुछ बिल्डर भूकंपरोधी डिजाइन तैयार करने के लिए सिविल इंजीनियरों की अलग टीम ही रखते हैं, जो जगह के चयन से लेकर निर्माण तक में भूकम्प जोन आदि का ख्याल रख नींव को तैयार कराते हैं

प्रापर्टी बूम ने संवारे दिन

रुद्राक्ष ग्रुप के संजीव जायसवाल का कहना है कि प्रापर्टी बूम ने सिविल इंजीनियरों के दिन संवार दिए हैंआर्किटेक्ट और सर्वेयरों को भी फायदा हुआ हैपांच-सात साल पहले तक सिविल इंजीनियरिंग का क्षेत्र बेकारी से जूझने लगा थालड़के डिग्री तो ले रहे थे, लेकिन नौकरी के पद पर नजर नहीं आ रहे थेस्थिति यह हुई कि देश भर के कई महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग कॉलेजों में पहुंचने वाले छात्र सिविल इंजीनियरिंग की तरफ मजबूरी में ही नामांकन लेते थेस्थिति यह हो गई थी कि नौकरी न मिल पाने के कारण सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर लोग विदेश जाने लगे थेलेकिन अब अच्छे दिन लौट आए हैं

रिएल स्टेट मार्केट में बढ़ी डिमांड

प्रापर्टी कंसल्टेन्ट मनीष शुक्ला के अनुसार प्राधिकरणों के साथ ही रियल एस्टेट मार्केट में सिविल इंजीनियरों और आर्किटेक्ट की काफी मांग हैशहर में एलएनटी, डीएलफ, ईमार एमजीएफ, यूनीटेक और ओमेक्स जैसे ग्रुप कंस्ट्रक्शन कराने के लिए उतर रहे हैंपहले जहां बिल्डर एक प्रोजेक्ट पर एक ही सिविल इंजीनियर से काम चलाते थेवहीं आज एक बड़े प्रोजेक्ट पर दो से चार इंजीनियर और आर्किटेक्ट लगे होते हैंडिजाइन पर विशेष ध्यान दिए जाने के कारण अब प्राधिकरणों में भी कई सिविल इंजीनियर रखे गए हैं.

लखनऊ का बढ़ रहा है दायरा

- सीतापुर रोड, फैजाबाद रोड, सुलतानपुर रोड, रायबरेली रोड, कानपुर रोड पर हैं कई रियल इस्टेट कंपनियों के प्रोजेक्ट

- आर्किटेक्ट के बीच बढ़ा कम्प्टीशन

- हर आदमी बनवाना चाह रहा है बेहतरीन नक्शा

- कम फीस पर बेहतर सुविधाओं का दावा

- अब आर्किटेक्ट भी रिजेक्ट कर रहे हैं दूूसरे शहरों से आ रहे ऑफर

- 2000 रुपए से लेकर 10 हजार रुपए है फीस

- साइट का लेते हैं जिम्मा और बनवाते हैं पूरा मकान

- शहर में 250 से ज्यादा आर्किटेक्ट

क्या कहते हैं जानकार

बिजनेसमैन अनिल कपूर कहते हैं कि चार साल पहले एक मकान बनवाया थाउस समय तो आर्किटेक्ट से नक्शा बनवाने की जरूरत ही नहीं समझीलेकिन अब यह समय की जरूरत हैएक अच्छी कॉलोनी में बसाने के लिए जरूरत है एक सिस्टेमिटक नक्शे कीइसीलिए वह जानकीपुरम में अपने प्लॉट पर मकान बनवा रहे हैं और वो भी नक्शे के मुताबिकवहीं वास्तुशास्त्री राजीव शुक्ला कहते हैं कि पहले लोग वास्तु का ध्यान ही नहीं रखते थे लेकिन अब मकान बनवाते समय वह वास्तु का पूरा ध्यान रखते हैंयह समय के जरूरी भी हैदूसरी ओर आर्किटेक्ट सुपर्णा कहती हैं कि माडुलर किचेन और एंटीक टाइप के पुराने स्ट्रक्चर की डिमांड इस समय जोरो पर हैमार्डन टेक्नोलॉजी के फ्लैट इस समय पसंद किए जा रहे हैं