कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Jagannath Rath Yatra 2023 : हर साल की तरह इस साल भी ओडिशा के पुरी शहर में 'जगन्नाथ रथ यात्रा' धूमधाम से निकाली जा रही है। इस साल जगन्नाथ यात्रा 20 जून से शुरू होकर 1 जुलाई को समाप्त होगी। रथ यात्रा, जिसे भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के रथ उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। इस बार भगवान जगन्नाथ की 146वीं रथ यात्रा है। इसमें लाखों लोगों की भीड़ होती है। इसमें देश ही नहीं विदेश से भी लोग शामिल होने आते हैं। पुरी में भगवान जगन्नाथ, भगवान विष्णु के अवतार, उनके भाई-बहनों भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के साथ विश्व प्रसिद्ध मंदिर के गर्भगृह में साल भर उनकी पूजा की जाती है, लेकिन आषाढ़ के महीने में उन्हें तीन किलोमीटर की अलौकिक रथ यात्रा से गुंडिचा मंदिर लाया जाता है। हर साल भगवान जगन्नाथ आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन यात्रा पर जाते हैं।

दिव्य रथों पर भव्य यात्रा

हर साल भगवान जगन्नाथ आषाढ़ मास के शुक्ल की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपनी मौसी के घर यात्रा पर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। यहां पर कुछ दिन विश्राम करते हैं। रथ यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से तीन दिव्य रथों पर भव्य रूप से निकाली जाती है। तीन रथों में सबसे आगे भगवान जगन्नाथ, बीच में सुभद्रा तथा पीछे बलराम का रथ होता है। भगवान बलराम के रथ का रंग लाल, देवी सुभद्रा काली या लाल रंग और में जगन्नाथ भगवान लाल या पीले रंग के रथ पर सवार होते हैं।

ये हैं रथों की खासियत

भगवान जगन्नाथ जी के रथ की ऊंचाई 44.2 फीट होते है। वहीं बलभद्र जी के रथ की ऊंचाई 43.2 फीट और सबसे छोटा रथ, छोटी बहन देवी सुभद्रा जी का होता है। सुभद्रा जी के रथ की ऊंचाई 42.3 फीट है। जगन्नाथ जी के विशालकाय स्वर्णमंडित रथ में घंटा, घडि़याल बजते रहते हैं। बता दें कि रथयात्रा में शामिल रथों को नीम की पवित्र लड़कियों से बनाया जाता है। खास बात है कि इसमें किसी तरह की कील आदि नहीं लगायी जाती है। मान्यता है कि शुभ कार्य में शामिल चीजों में कील आदि लगाना अशुभ होता है।

डिसक्लेमर

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