- भैरोघाट पंपिंग स्टेशन से गंगा बैराज के बीच डाली जा रही वाटर लाइन डालने के बीच में आ रही अवैध बस्ती नहीं टूटेगी, जल निगम बदलेगा डिजाइन

-10.14 करोड़ से पूरा होना था प्रोजेक्ट, डिजाइन चेंज होने से टोटल कॉस्ट बढ़कर हुई 15.71 करोड़, प्रोजेक्ट भी 7 महीने से ज्यादा हो गया है लेट

KANPUR : जज निगम अफसरों के बिना सोचे समझे और प्रॉपर होमवर्क के काम शुरू करने की आदत ने सरकार को 5 करोड़ को झटका दे दिया है। इसके साथ ही जनता को पेरशानी अलग से झेलनी पड़ रही है। दरअसल सिटी की वाटर सप्लाई में कोई प्रॉब्लम न हो, इसके लिए अमृत योजना के तहत भैरोघाट पंपिंग स्टेशन से गंगा बैराज तक 1500 एमएम की वॉटर लाइन डाली जा रही है, लेकिन जल निगम अफसरों ने प्रोजेक्ट की डिजाइन बनाते वक्त अवैध बस्ती का ख्याल नहीं रखा। बस्ती तक तो लाइन डाल दी गई लेकिन बस्ती वालों के विरोध के चलते लाइन आगे नहीं बढ़ पा रही है। प्रोजेक्ट भी 7 महीने लेट हो चुका है।

अब परमियापुरवा के पास स्थित बस्ती न तोड़ने के फरमान के बाद जल निगम को अपनी डिजाइन चेंज करनी पड़ रही है जिसकी वजह से प्रोजेक्क् कॉस्ट पांच करोड़ रुपए से ज्यादा बढ़ गई है। पहले ये प्रोजेक्ट 10.14 करोड़ में पूरा होना था, जबकि अब यही प्रोजेक्ट 15.71 करोड़ से पूरा होगा। फिलहाल रिवाइज इस्टीमेट स्टेट लेवल टेक्निकल कमेटी (एसएलटीसी) से पास हो चुका है।

इसलिए बढ़ी कॉस्टिंग

पूरे प्रोजेक्ट में कॉस्टिंग इसलिए बढ़ गई कि 565 मीटर ट्रेंचलेस टेक्निक से अब लाइन डाली जाएगी। ये टेक्निक तिगुनी महंगी है। इसमें ऊपर खुदाई न कर जमीन के अंदर ही अंदर लाइन डाली जाएगी। अटल घाट को क्रॉस करते हुए ये लाइन जाएगी, इसलिए पहले 75 मीटर में इस टेक्निक का यूज होना था। लेकिन बस्ती का अतिक्रमण न तोड़ना पड़े, इसके लिए अब बड़े एरिया में ये लाइन पड़ेगी। इसकी वजह से 5 करोड़ कॉस्ट बढ़ गई। 13 फरवरी को एसएलटीसी से रिवाइज इस्टीमेट को मंजूरी मिलने के बाद अब हाईपावर कमेटी में इस्टीमेट भेजा गया है। उम्मीद की जा रही है कि मार्च के पहले हफ्ते में इसे मंजूरी मिल जाएगी।

15 जून तक वाटर सप्लाई

इस प्रोजेक्ट को पहले 31 दिसंबर 2019 तक पूरा होना था, लेकिन पिछले 7 महीने से काम बंद था। बैराज इकाई, जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर एनके जौहरी के मुताबिक 15 जून तक वाटर सप्लाई का टारगेट रखा गया है। जुलाई से पहले 3 महीने काम करने के लिए बेहद मुफीद होते हैं। मंजूरी मिलते ही काम शुरू होगा। अभी तक प्रोजेक्ट का 60 परसेंट काम ही पूरा हो पाया है।

नहीं होगी पानी की कमी

इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद गंगा में पानी की कमी होने के चलते बंधा बनाकर पंपिंग स्टेशन की तरफ पानी मोड़ा जाता था, लेकिन इसके बाद सीधे गंगा बैराज की तरफ से पानी आएगा। बैराज पर 113 मीटर की गहराई में लाइन डाली जा रही है। बंधा बनाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। कानपुराइट्स को रोजाना 200 एमएलडी की वॉटर सप्लाई होगी।

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वाटर लाइन को खतरा

गंगा में बंधा बनाने को लेकर 1500 एमएम पाइप लाइन के ऊपर पड़ी बिना मंजूरी मिट्टी की खुदाई की जा रही है। प्रोजेक्ट मैनेजर के मुताबिक सिंचाई विभाग गंगा में बंधा बना रहा है। कई बार चेतावनी के बाद भी वाटर लाइन के ऊपर से मिट्टी की खुदाई की जा रही है। इससे लाइन की स्टैबिल्टिी को खतरा हो गया है।

ये हाेगा फायदा

- गर्मियों में गंगा पर बंधा बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

- गंगा बैराज से पानी मिलने पर साफ पानी मिलेगा।

- पानी की किल्लत पूरी तरह से दूर हो जाएगी।

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एक नजर में प्रोजेक्ट

-15.71 करोड़ रुपए हुई प्रोजेक्ट की कुल कॉस्ट

-1861 मीटर लाइन गंगा बैराज से भैरोंघाट तक पड़ेगी

-1500 एमएम की पाइप लाइन डाली जा रही है

-100 मीटर पाइप लाइन बस्ती की वजह से बढ़ानी पड़ी

-565 मीटर पाइप ट्रेंचलेस डालने से बढ़ी 5 करोड़ कॉस्ट

-6 महीने से बस्ती की वजह से रुका है प्रोजेक्ट

-200 एमएलएडी वॉटर सप्लाई शहर को मिल सकेगी

-1.50 करोड़ रुपए हर साल जल निगम को होगी बचत

-15 जून तक वाटर सप्लाई शुरू करने का टारगेट

'' बीच में आ रही अवैध बस्ती को तोड़ा नहीं गया। इसकी वजह से ट्रेंचलेस पाइप लाइन डालनी पड़ रही है। जिससे 5 करोड़ रुपए कॉस्ट बढ़ गई है। उम्मीद है कि रिवाइज इस्टीमेट को मार्च में मंजूरी मिल जाएगी.''

एनके जौहरी, प्रोजेक्ट मैनेजर, बैराज इकाई, जल निगम।