- मेहताब चौराहे पर दिन में कभी भी लग जाता है जाम

- दस कदम की दूरी पर है कैबिनेट मिनिस्टर का घर

- तैनात नहीं होता चौराहे पर टै्रफिक पुलिसकर्मी

Meerut : मेहताब चौराहा सिटी और कैंट इलाकों को जोड़ने वाला काफी महत्वपूर्ण चौराहा है। इस चौराहे के थोड़ी ही दूरी पर यूपी के कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर का घर है। बावजूद इसके इस चौराहे की काफी बुरी दशा है। कैंट बोर्ड ने पुलिस और आर्मी की मदद से वहां से इंक्रोचमेंट तो हटाया, लेकिन उसे ठीक करने में अभी तक नाकाम है। वहां अब दोबारा से धीरे इंक्रोचमेंट बढ़ रहा है। बात ट्रैफिक की करें तो स्थिति तब और ज्यादा खराब हो जाती है जब वेस्ट रोड स्थित स्कूलों की छुट्टी होती है। आइए आज इस चौराहे के बारे में बात करते हैं

कोई पुलिस वाला नहीं

जिस चौराहे के करीब प्रदेश का कैबिनेट मंत्री का घर हो वहां कोई ट्रैफिक पुलिस का कर्मचारी खड़ा न हो तो अजीब लगता है। लेकिन ये एक कड़वा सच है। इस चौराहे को ट्रैफिक मैनेज करने के लिए एक होम गार्ड तक नहीं है। जिससे ट्रैफिक जाम की स्थिति से इस चौराहे का हाल काफी बुरा हो जाता है। ताज्जुब की बात तो ये हैं कि इस चौराहे के बिल्कुल ही सामने प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी के विधायक का ऑफिस है।

स्कूल की छुट्टी पर अधिक जाम

स्थानीय लोगों की मानें तो इस चौराहे पर सबसे ज्यादा जाम दोपहर क्ख्:फ्0 बजे से एक बजे तक लगता है। स्थानीय लोगों के अनुसार ट्रैफिक चारों ओर से काफी ज्यादा होता ही है। वहीं वेस्ट एंड रोड के स्कूलों की छुट्टी का टाइम भी होता है। ऐसे में काफी भीड़ भूसामंडी रोड और मेहताब से आती है। ऐसे में दिल्ली रोड पर भी ट्रैफिक काफी ज्यादा होता है। इसलिए ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो जाती है।

इंक्रोचमेंट भी बड़ी समस्या

इस चौराहे की सबसे बड़ी समस्या पर बात करें तो वो है इंक्रोचमेंट। दुकानदारों और रेहड़ी पटरी लगाने वालों ने सड़कों को बुरा हाल किया हुआ है। भूसा मंडी रोड और मछेरान के रास्ते पर कैंट बोर्ड की महा ड्राइव भी लोगों में खौफ पैदा नहीं कर सकी है। अगर कैंट बोर्ड इंक्रोचमेंट हटाने के बाद चौराहे को ठीक करता तो दोबारा से इंक्रोचमेंट होना शुरू नहीं होता। इसके लिए कैंट बोर्ड और जिला प्रशासन को संयुक्त प्रयास करने की जरूरत है।

बेतरतीब ड्राइविंग

बेतरतीब ड्राइविंग भी इस चौराहे की सबसे बड़ी समस्या है। जो इस चौराहे लिए एक बड़ा अभिशाप बना हुआ है। जिसे सुधारने के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है स्कूल की छुट्टी होने के बाद काफी रफ ड्राइविंग करते हैं। जिन्हें रोकने और टोकने वाला भी कोई नहीं है। स्थानीय लोगों का मानना है कि कभी-कभी तो उन बच्चों का एक्सीडेंट होने से बच जाता है।

टेंपो और सिटी बस

टेंपो और सिटी बसों का आतंक इस चौराहे पर भी है। इस चौराहे पर भी टेंपो और सिटी कहीं भी रोककर खड़े हो जाते हैं। जिन्हें टोकने वाला कोई नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इसमें आम लोगों की भी गलती है कि वो चौराहे के बीच में टेंपो को रुकवाते हैं। अगर वो नहीं रोकते हैं चिल्लाते हैं। अगर एक स्टेंड बना दिया जाए तो काफी सुधार होने की उम्मीद है। कुछ ऐसा ही हाल सिटी बसों का है।

ये हो सकते हैं उपाय

- इंक्रोचमेंट हटना काफी जरूरी।

- पूरे दिन नहीं तो स्कूल की छुट्टी होने पर ट्रैफिक पुलिस कर्मी जरूरी।

- ट्रैफिक नियमों का पालन न करने वालों का चालान होना चाहिए।

- टेंपो और सिटी बसों के लिए स्टैंड होना चाहिए।

पब्लिक ओपिनियन

इस चौराहे पर जाम की असली वजह इंक्रेचमेंट है। अगर ये इंक्रोचमेंट हट जाए तो ट्रैफिक काफी स्मूद हो जाएगा। इसलिए प्रशासन और कैंट बोर्ड दोनों को कदम उठाना होगा।

- सुनील कुमार

स्कूल की छुट्टी होने के टाइम पर काफी जाम लगता है। क्योंकि चारों ओर से ट्रैफिक आता है और जिससे काफी प्रेशर बढ़ जाता है। ऐसे में वहां पर एक ट्रैफिक पुलिस कर्मी को होना काफी जरूरी है।

- सुनील पाली

यहां से सबसे जरूरी बात ये है कि ट्रैफिक सेंस की कमी। यहां पर लोग कहीं से भी किसी भी दिशा में आकर अपनी गाड़ी बीच में लेकर आ जाते हैं। जब तक यहां पर ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं होगा और कार्रवाई नहीं होगी जब तक सुधार नहीं होगा।

- अमित शर्मा