नई दिल्ली (एएनआई)। जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर को अपने 15 गैर मुस्लिम छात्रों को जानबूझकर फेल करने के बारे में ट्वीट करने पर सस्पेंड कर दिया गया है। उनके ट्वीट पर सोशल मीडिया पर सार्वजनिक नाराजगी के बाद, विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर पर कड़ा एक्शन लिया। जामिया विश्वविद्यालय के एक सहायक प्रोफेसर अबरार अहमद ने बुधवार को ट्विटर पर कहा था कि उन्होंने 15 गैर-मुस्लिम छात्रों को असफल करने के लिए चुना है, जिन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ आंदोलन का समर्थन नहीं किया।

यूनिवर्सिटी ने निलंबन की ट्विटर पर दी जानकारी

जामिया यूनिवर्सिटी ने प्रोफेसर को सस्पेंड करने की जानकारी ट्विटर पर भी दी। यूनिवर्सिटी ने अपने अफिशल ट्विटर अकाउंट पर लिखा, 'असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अबरार अहमद ने एक परीक्षा में 15 गैर-मुस्लिम छात्रों को फेल करने के लिए सार्वजनिक डोमेन में ट्वीट किया। यह सीसीएस कंडक्ट रूल्स के तहत सांप्रदायिक विद्वेष को उकसाने वाला एक गंभीर कदाचार है। विश्वविद्यालय ने उन्हें निलंबित कर दिया और आगे की जांच जारी है।' बुधवार को प्रोफेसर के ट्वीट ने तुरंत ट्विटर पर लोगों को उनके खिलाफ कार्रवाई का आह्वान करते हुए कहा कि ऐसे सांप्रदायिक व्यवहार को राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

यहां पहले भी छात्र कर चुके हैं प्रदर्शन

जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने दिसंबर से सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर विरोध प्रदर्शन देखा है। 15 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था और दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर छात्रों के साथ कथित तौर पर मारपीट की थी। बता दें विश्वविद्यालय के गेटों के बाहर विरोध प्रदर्शन बड़ी संख्या में हुए। मगर कोरोना वायरस के फैलने के खतरों पर अब इसे बंद कर दिया गया है।

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