- दून के कई मंदिरों में सैटरडे को भी धूमधाम से मनाई गई श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

- झांकियां रहीं आकर्षण का केंद्र, नन्हे कान्हाओं ने मोहा मन

DEHRADEUN: नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की जैसे भजनों के साथ ही दून के कई मंदिरों में नंदोत्सव की खुशियां मनाई गई तो कई मंदिरों में रात 12 बजते ही कान्हा के जन्मोत्सव की खुशियां मनाई। दरअसल स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय की परंपरा के अनुसार अलग-अलग दिन शहर में जन्माष्टमी की धूम रही।

भगवान कृष्ण के गूंजे जयघोष

पटेलनगर स्थित श्री श्याम सुंदर मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई। यहां रात 12 बजते ही भव्य आतिशबाजी एवं कन्हैया लाल की जय के जयघोष लगाए गए। 150 बाल रूप में कृष्ण बनकर आए बच्चों को उपहार दिए गए। प्रांगण में राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती एवं मटकी फोड़ ग्वालो की सुंदर झांकियां प्रस्तुत की गई। राधा-कृष्ण की झांकियों के स्वरूप में सजे बच्चे बीच-बीच में जूस पीते बेहद आकर्षक लग रहे थे। इस मौके पर भूपेंद्र चड्डा, पंकज चांदना आदि उपस्थित थे।

मोर नृत्य ने मोहा मन

सहारनपुर चौक स्थित श्री पृथ्वीनाथ मंदिर में रुड़की से आई नटराज एंड टोली ने मोर नृत्य से सबका मन मोह लिया। इस मौके पर लंगूर बने युवाओं की उछल-कूद ने सबको उनकी ओर आकर्षित किया। बीच-बीच में लोटे में पानी खत्म नहीं होने, टोकरे में फल आ जाने जैसे मैजिक भी दिखाए गए। इस मौके पर नंदोत्सव की खुशियां मनाई गई। सभी ने नंदा घर आनंद भयो जैसे जयकारे लगाए। मंदिर के सेवादार संजय गर्ग ने बताया कि उत्तराखंड में आपदा प्रभावितों की सहायता के लिए धनराशि एकत्रित की जा रही है जो कि डीएम के माध्यम से प्रभावितों तक पहुंचाई जाएगी। इसके साथ ही राधा-कृष्ण मंदिर, प्राचीन गंगा मंदिर आदि में नंदोत्सव मनाया गया।

यहां भी जन्मे कान्हा

गीता भवन में भी कान्हा जी के जन्म की खुशियां सैटरडे को ही मनाई गई। इस मौके पर कान्हा की विशेष झांकियां सजाई गई थी। मंदिर के पंडित भगवती प्रसाद थपलियाल ने बताया कि नक्षत्र के हिसाब से जन्माष्टमी का पर्व सैटरडे को मनाया गया। इसके साथ ही कालिका भवन में भी सैटरडे को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया गया।

नन्हे कान्हा को लेकर पहुंचे

मंदिरों में हर कोई अपने नन्हे कान्हाओं को बेहद ही खूबसूरत अंदाज में सजाकर लाया। दरअसल अधिकतर मंदिरों में सुंदर कान्हा को पुरस्कार भी दिए जाने थे, इसलिए भी लोगों में अपने बच्चे को सबसे खूबसूरत बनाने की होड़ थी। वहीं राधा-रानी भी यहां आकर्षक अंदाज में सजकर पहुंची थी। मंदिरों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया था। साथ ही मंदिर के बाहर भी खास सजावट की गई थी।