मिडटर्म इलेक्शंस में जीते अबे

जापानी प्राइम-मिनिस्टर शिंजो अबे को मिडटर्म इलेक्शंस में भारी बहुमत से जीत हासिल हुई है. अबे ने इस चुनाव को अपनी आर्थिक नीतियों पर जनमत संग्रह करार दिया था. जनता के बीच ‘अबेनॉमिक्स’ के नाम से मशहूर हुई ये नीतियां शुरू में तो कारगर साबित हुईं लेकिन बाद में जापान की अर्थव्यवस्था मंदी के भंवर में फंस गई. गौरतलब है कि इन चुनावों के लिए जापानियों ने भारी बर्फबारी के बीच रविवार मतदान किया.

मतदान प्रतिशत ने लगाया सवालिया निशान

जापान के मिडटर्म इलेक्शंस में जापानी जनता ने ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया. इस वजह से मतदान प्रतिशत भी काफी कम रहा. इससे अबे के अपनी नीतियों के बारे में ‘जनमत संग्रह’ कराने के दावे पर भी सवालिया निशान लग गया. मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद मीडिया में आए एग्जिट पोल में सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) और उसकी सहयोगी कोमितो को आसान जीत मिलती दिखाई गई. गठबंधन को संसद के निचले सदन में दो-तिहाई बहुमत हासिल करते बताया गया. टीवी असाही के अनुसार गठबंधन को 475 में से 333 सीटें मिलीं जबकि टीबीएस ने उन्हें 328 सीटें दी हैं.

अबे की जीत के पीछे विकल्प का अभाव

जापान के फेमस न्यूजपेपर 'निक्केई' के इंटरनेट संस्करण की खबर के अनुसार एलडीपी ने अकेले दम पर 290 से 310 सीटें जीतीं और गठबंधन आसानी से दो तिहाई (317 सीट) बहुमत हासिल करने की दिशा में बढ़ चुका है. टोक्यो की वासेदा यूनिवर्सिटी में राजनीति के प्रोफेसर मसारू कोहनो ने कहा, ‘मतदान प्रतिशत रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहा लेकिन हम फिर भी इसे प्रधानमंत्री अबे के लिए भारी जीत करार दे सकते हैं. कम मतदान का कारण संभवत: कोई विकल्प न होना रहा.’ अबे के चार वर्षीय कार्यकाल के बीच में ये मध्यावधि चुनाव में ऐसे वक्त पर कराया गया जब जापान की अर्थव्यवस्था सुस्ती में फंस चुकी है. हालांकि ‘अबेनॉमिक्स’ के पहले दो उपायों का कुछ असर जरूर दिखा है. शेयर बाजार में तेजी के अलावा सालों बाद कीमतों में उछाल देखने को मिला. अबे कहते हैं कि यह आर्थिक विकास के चक्र की शुरुआत है. इसके बाद लोगों की आमदनी में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.

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