23 साल लगे मामले की सुनवाई पूरी होने में, कोर्ट ने सुरक्षित रखा है फैसला

PRAYAGRAJ: सिविल लाइंस में गोलियों की बौछार कर मौत के घाट उतारे गए विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड की सुनवाई 23 वर्ष बाद शुक्रवार को पूरी हुई। अपर जिला जज बद्री प्रसाद पांडेय ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। फैसला 31 अक्टूबर को सुनाया जाएगा। हाईप्रोफाइल इस वारदात में पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया व इनके भाई सूरजभान और उदयभान सहित रामचंद्र त्रिपाठी पर हत्या करने का आरोप है।

13 अगस्त 1996 को हुई थी घटना

यह सनसनीखेज घटना 13 अगस्त 1996 को शाम सात बजे सिविल लाइंस बाजार स्थित पैलेस सिनेमा के पास हुई थी। एके-47 से की गई फायरिंग में विधायक जवाहर पंडित, उनके ड्राइवर गुलाब यादव, राहगीर कमल कुमार दीक्षित की मौके पर ही मौत हो गई थी। पंकज कुमार श्रीवास्तव, कल्लन यादव भी घायल हो गए थे। केस की विवेचना कर सिविल लाइन पुलिस व सीबीसीआईडी ने आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया। मुकदमे के दौरान कुछ समय तक हाईकोर्ट से हुए स्थगन आदेश पर कार्यवाही नहीं हो सकी।

अधिवक्ता ने पेश की लिखित बहस

अभियुक्तों की तरफ से उनके अधिवक्ता ने शुक्रवार को लिखित बहस पेश किया। साथ ही हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की विधि व्यवस्थाएं पेश करने के लिए समय मांगा। कोर्ट ने फैसला के लिए अग्रिम तिथि घोषित करते हुए कहा कि बचाव पक्ष इसी बीच जो दाखिल करना चाहता हो उसे दाखिल कर दे।

अभियोजन ने 18 व बचाव पक्ष ने 156 गवाह पेश किया

जवाहर पंडित हत्याकांड में अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाबचंद्र अग्रहरि ने 18 गवाह पेश किए। बचाव पक्ष की ओर से 156 गवाह पेश करके अपने को निर्दोष साबित करने की कोशिश की गई। कोर्ट द्वारा केस के फैसले की तिथि मुकर्रर करने से वादी व बचाव पक्ष, दोनों खेमें के दिलों की धड़कनें बढ़ गई हैं। सभी फैसले के परिणाम को लेकर तरह-तरह के कयास लगाने में जुटे हैं।