- जीतन राम मांझी के मित्र अवधेश शर्मा ने कहा, खेत पर खुद कुदाल उठाने वाले नेता हैं जीतनराम

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PATNA: जीतनराम मांझी के बारे में ठीक ही कहा गया कि वे काबिल, संतुलित और अनुभवी हैं। जीतनराम मांझी से मेरी मुलाकत उस समय हुई, जब मुख्यमंत्री आवास की बैठक में शामिल होने के बाद वे लगभग तीन बजे बाहर निकल रहे थे। तभी सीएम हाउस में मेरी मुलाकात उनसे हुई। मैंने पूछा कौन होगा अगला सीएम? जीतन मुस्कुराए हमेशा की तरह। कहा, नहीं मालूम। मैंने पूछा, आप होंगे क्या? ये पूछते ही और मुस्कुराए। कहा किसी को नहीं मालूम। नीतीश जी ही जानते हैं। यह कहते हुए वे आगे बढ़ गए।

वे जरूर आते

उनके साथ मेरे कई पुराने संस्मरण भी हैं। जनता दरबार में अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा कल्याण मामलों की सुनवाई होती तो वे जरूर आते। एक युवक था, जो पिछड़ी जाति से आता था। उसने जनता दरबार में ही मुझसे आग्रह किया कि मुझे स्कॉलरशिप की अगली किस्त नहीं मिल रही। मेरी खबर को दिखा दीजिए ना। मैंने उसकी खबर दिखायी, लेकिन उसे फिर भी स्कॉलरशिप नहीं मिली। कुछ दिनों बाद वो युवक फिर मुझे जनता दरबार में दिखा। इस बार उसने कहा, सर मंत्री जी से कहकर स्कॉलरशिप दिलवा दीजिए ना, मेरी पढ़ाई छूट जाएगी। इस बार मैं उस युवक को लेकर जीतन राम जी के पास गया। उन्होंने कहा पहले मिल चुका है तो इस बार भी मिलना ही चाहिए स्कॉलरशिप। उन्होंने तुरंत अपने अधिकारियों से कहा कि इस छात्र की बात सुनिए और तुरंत स्कॉलरशिप की व्यवस्था कीजिए, नहीं तो इसकी पढ़ाई मुश्किल में पड़ जाएगी। इसके बाद से वह छात्र मुझे जनता दरबार में नहीं दिखा।

लोगों ने उन्हें खूब वोट किया

हाल के दिनों में पिछड़े छात्रों को स्कॉलरशिप की राशि नियमित नहीं मिलने से जीतन राम मांझी खुद भी दुखी थे। विधानसभा चुनाव में भी मैं मखदुमपुर गया था। वहां लोगों ने उन्हें खूब वोट दिया था। अपने इलाके में खासे पोपुलर हैं वे। जीतन राम मांझी के मित्र जहानाबाद मुखिया संघ के अध्यक्ष अवधेश शर्मा भी बहुत खुश हैं। फोन पर उन्होंने बताया कि हम तो अब सीएम के क्षेत्र के लोग हो गए। वे कहते हैं कि बहुत मिलनसार स्वभाव के हैं जीतनराम। सभी जाति-संप्रदाय में पोपुलर हैं। पढ़े लिखे, सरल स्वाभाव के हैं वे। गांव में खुद से कुदाल उठाकर खेती करने से भी उन्हें जरा भी गुरेज नहीं होता। कभी मंत्री होने का अहम ही नहीं हुआ उन्हें। जीतनराम मांझी मुख्यमंत्री बनने इससे उनके आसपास के इलाके में भी खुशी है। टेहटा निवासी मोनू कहते हैं कि उनसे मिलना जनता के लिए सबसे आसान है, यही उनकी सबसे बडी़ खासियत है। लोगों के हर सुख दुख में वे ऐसे खड़े हो जाते हैं जैसे वे उनके घर-परिवार के हैं।