नई दिल्ली (आईएएनएस)। Jeetendra on son Tusshar:78 साल के हो चुके वेटेनर एक्टर जीतेंद्र का कहना है कि लॉकडाउन और उम्र ने उन्हें एहसास दिलाया है कि जब वह एक व्यस्त अभिनेता थे, तो वे अपने दोनों बच्चों एक्टर तुषार कपूर, और बेटी एकता कपूर, जो एक निर्माता हैं, के साथ समय बिताने से चूक गए।

तुषार पर है गर्व

पिछले महीने अपने परिवार के साथ क्वॉरंटीन स्पेशल जन्मदिन मना चुके जीतेंद्र ने बताया, अब वे कन्सट्रक्शन की फील्ड में काम कर रहे हैं, जहां उन्हें केवल वर्कर्स को गाइड करके आदेश देना होता है बाकि काम स्टाफ ही करती है। ऐसे में वे काम के लिए घर से बाहर ज्यादा नहीं जाते हैं और इसीलिए इन दिनों चल रहे लॉकडाउन से उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ा है, लेकिन एक चीज उन्होंने लॉकडाउन के दौरान सीखी है। वो ये है कि जब वे एक बिजी एक्टर थे तो अपने बच्चों को ज्यादा समय नहीं दे पाते थे, इस काम में वे चूक गए। जब वे तुषार को अपने बेटे के साथ देखते हैं तो उनको एहसास होता है कि वह क्या मिस कर गए। तुषार को देख कर उनको गर्व महसूस होता है। वह एक शानदार पिता है, वे उसके एक प्रतिशत भी नहीं थे।यह वो एहसास है जो उम्र और लॉकडाउन के साथ आया है। जीतेंद्र कहते हैं कि आखिरकार, आप अपने अंतिम क्षण तक सीखते हैं।

वक्त बदला है सिक्योर फील करते हैं एक्टर

जीतेन्द्र का साठ के दशक से नब्बे के दशक तक एक्टिव एक्टिंग करियर था। एक समय था जब उनकी एक साल में नौ फिल्में तक रिलीज होती थीं। उन दिनों को याद करते हुए जीतेंद्र कहते हैं कि वे एक मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि से आये हैं। इसीलिए वे काफी इनसिक्योर फील करते थे इसीलिए वो चाहते थे कि एक जगह पर सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक काम करना शुरू करें, फिर 1:00 बजे से शाम 5 बजे तक दूसरी जगह पर, फिर शाम 6 बजे से 10 बजे तक तीसरी शिफ्ट में का रें। जब भी सिर्फ दो शूटिंग हुआ करती थीं, तो वे बेरोजगार महसूस करते थे। वे कहते हैं कि अब देखिए कैसे चीजें बदल गई हैं! एक्टर एक साल में एक फिल्म करते हैं, और वे खुश, आरामदायक और आत्मविश्वास से भरा हुआ महसूस करते हैं।

बदल गया रिलीज पैर्टन

जीतेंद्र ने ये भी कहा कि देश में फिल्मों को रिलीज करने का पैटर्न भी बदल गया है।जब मुंबई या दिल्ली में फिल्म रिलीज होती है, तो एक साथ रिलीज नहीं होती थीं। 'दो रास्ते' मूवी का एग्जांप्ल देते हुए, जो राजेश खन्ना की एक बहुत बड़ी हिट थी, उन्होंने बताया कि इसे पहले मुंबई में और फिर 10 महीने बाद दिल्ली में रिलीज किया गया। अब दो सप्ताह के भीतर, सब कुछ खत्म हो जाता है।पिछले कुछ वर्षों से, जीतेन्द्र टेलीविजन पर रियलिटी शो में दिखाई देते रहे हैं। आखिरी बार बड़े पर्दे पर वे 2007 में "ओम शांति ओम" में अपने कई दोस्तों के साथ एक गीत में नजर आये थे। इसके बाद वह अपनी बेटी एकता कपूर के प्रोडक्शन, "बारिश 2" में दिखाई दिए, जो हाल ही में एलटीबालाजी और ZEE5 पर रिलीज हुई।

डिजिटल डेब्यु

"बारिश 2" के साथ जीतेंद्र ने डिजिटल दुनिया में अपनी शुरुआत की। इस बारे में बात करते हुए वे कहते हैं कि एक अभिनेता जीवन भर एक एक्टर ही रहता है। आप उसके सामने कैमरा रख कर उसे अभिनय करने के लिए कहेंगे तो वो अभिनय करेगा, लेकिन इतने लंबे समय के बाद उनके लिए एक्टिंग करना उनके लिए काफी डिफरेंट था। हांलाकि बालाजी का एक हिस्सा होने के नाते, यह घर वापसी जैसा था, और उनके को-एक्टर और बाकी क्रू मेंबर्स का बिहेवियर काफी फ्रेंडली था। वे अपने लिए सम्मान और प्यार के महसूस कर सकते थे और सेट की वाइब्स पॉजिटिव एनर्जी से भरी थीं। शुरूआत में उनको थोड़ा स्ट्रगल करना पड़ा जैसे वे लंबी लाइनों को ठीक से याद नहीं कर पा रहे थे, लेकिन निर्देशक इतने शानदार थे कि उन्होंने जीतू जी को सहज महसूस कराया।

कभी ना नहीं कहना

ये पूछने पर कि क्या इस एक्सपीरियेंस के बाद उनका फिर से एक्टिंग में लौटने और आगे भी काम करते रहने का मन कर रहा है, जीतेंद्र ने कहा कभी ना, नहीं कहना चाहिए। टीवी शो "क्यूंकी सास भी कभी बहू थी" में सालों पहले कैमियो कर चुके जीतेंद्र का कहना है कि जब भी बेटी एकता ने बुलाया उन्होंने कभी उसको मना नहीं किया। वे कहते हैं कि आपको कभी नहीं पता होता कि अगली बाक क्या सामने होगा इसलिए ना नहीं बोलना चाहिए। उनके अनुसार बचपन में फिल्में देखते हुए उन्होंने तय किया कि वे एक्टिंग करेंगे और वे एक अभिनेता बन गए। उनका शौक ही पेशा बन गया। उनका मानना है कि यह बहुत खूबसूरत चीज है।

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