सिटी के डिफरेंट ड्राइविंग स्कूल्स में ड्राइविंग की ट्रेनिंग के लिए आने वालों में मैक्सिमम नंबर गल्र्स व वीमेंस की है। इतना नहीं ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाली वीमेंस के परसेंटेज में भी काफी इजाफा हुआ है।
इंतजार पसंद नहीं
पहले वीमेंस को मार्केटिंग के लिए जाने या किसी सोशल पार्टी में जाने के लिए ड्राइवर या किसी रिलेटिव का इंतजार करना पड़ता था। जैसे- जैसे टाइम चेंज होता गया वीमेंस की च्वाइस भी भी बदलती गई। वे अब खुद ही ड्राइविंग सीट पर बैठ कर अपना काम करना पसंद कर रही हैं। सिटी के डिफरेंट ड्राइविंग स्कूल में वीमेंस संख्या बढ़ती जा रही है।
30 percent से ज्यादा
सिटी के कार ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट नाग मोटर्स के ओनर अभिषेक नाग बताते हैं कि आज वीमेंस एम्पावरमेंट का जमाना है। पहले जहां हाई सोसाइटी की लेडिज और गल्र्स कार ड्राइविंग सीखने के लिए आती थीं, वहीं अब लोगों की च्वाइस चेंज हो गई है। अब अपर मिडिल क्लास और मिडिल क्लास की लेडीज भी कार ड्राइविंग सीखने के लिए आ रही हैं।  
Money saving भी factor
महंगाई के जमाने में भरोसेमंद ड्राइवर का मिलना काफी प्रॉब्लम का काम है। कई बार ड्राइवर मामूली काम के लिए एक्स्ट्रा चार्ज कर देते हैं। इस वजह से कई बार लोग अपनी कार के लिए ड्राइवर अफोर्ड नहीं कर पाते हैं। ऐसे में डेली रूटीन के काम के लिए हाउस वाइफ या वर्किंग वूमन कार ड्राइविंग की ट्रेनिंग लेना पसंद कर रही हैं।
DL की बढ़ी संख्या

हाल के दिनों में ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) बनवाने में लेडिज की संख्या बढ़ी है। साल 2005-06 में मात्र 735 महिलाओं ने एलएमवी लाइसेंस के लिए अप्लाई किया था। 2010-11 में इनकी संख्या में बहुत इजाफा हुआ है। इतना ही नहीं कई फैमिलीज ऐसे भी हैं, जो सोशल स्टेट्स मेंटेन करने के लिए ड्राइविंग सीख रही हैं। उनका मेन मोटो सोसाइटी में अपनी अलग पहचान बनाना है।
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पिछले कुछ सालों से ड्राइविंग सीखने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। आज वर्किंग वीमेंस के साथ-साथ मिडिल क्लास के लोग भी ट्रेनिंग के लिए आ रही हैं।
अभिषेक नाग, एमडी, नाग मोटर्स  

वह जमाना गया जब कार से कहीं भी जाने के लिए ड्राइवर के भरोसे रहना पड़ता था। अब लेडिज भी खुद ड्राइविंग करना पसंद कर रही हैं। दिन-ब-दिन उनकी संख्या बढ़ती जा रही है।
विक्की, ओनर, विक्की मोटर्स ट्रेनिंग सेंटर

पहले किसी काम के लिए कार से जाने पर फैमिली मेंबर्स के भरोसे रहना पड़ता था। अब मैंने खुद ही कार ड्राइव करना सीख लिया है। इससे कॉन्फीडेंस तो बढ़ता ही है, साथ ही पैसों की भी बचत हो
रही है।
संगीता दास, साकची