द्मड्डठ्ठड्डद्मह्मड्डद्भ.श्चड्डह्लद्धड्डद्म@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: आपके खून पसीने की कमाई पर ठगों की नजर है। थोड़ी सी लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है। शहर में इस साल 200 से अधिक लोग फर्जी कॉल्स के जरिए ठगी के शिकार हुए हैं। एटीएम पिन एक्सपायर करने और पासवर्ड बदलने के नाम पर सैकड़ों लोग ठगे गए हैं। ऐसे मामलों में पुलिस भी कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं होती है, क्योंकि ज्यादातर सेल नंबर फर्जी होते हैं। सेल नंबर को ट्रेस करने पर उनका लोकेशन भी स्टेट के बाहर का आता है। ऐसी स्थिति में पीडि़तों के पास हाथ मलने के सिवा और कोई दूसरा चारा नहीं है। ताजा मामला गोलमुरी थाना क्षेत्र का है। इस इलाके से दो लोग बैंक फोन कॉल्स के जरिए ठगी के शिकार हो गए। इस मामले में दोनों पीडि़तों की ओर से गोलमुरी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

केस 1

9 जुलाई-गोलमुरी स्थित एक बैंक का मैनेजर बता कर बारीडीह निवासी केबी धरीयाल से उनका एटीएम नंबर पूछा और कर ली ऑनलाइन खरीददारी। बैंक से 9999 हजार रुपये निकल गए। केबी धरीयाल ने गोलमुरी थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। तीन जुलाई की सुबह केबी धरीयाल के मोबाइल पर एक फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को गोलमुरी स्थित एक बैंक का मैनेजर बताते हुए कहा कि एटीएम कार्ड की जांच करने के नाम पर एटीएम का पासवर्ड मांगा।

केस 2

6 जुलाई- बिष्टुपुर पुलिस ने आईटी एक्ट के तहत संजय कुमार के बयान पर अज्ञात के खिलाफ बिष्टुपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज की है। प्राथमिकी के अनुसार संजय कुमार शेयर ट्रेडिंग का काम करता है। किसी ने उनका आईडी नंबर हैक कर लिया और एक लाख 80 हजार रुपए का नुकसान पहुंचाया। इसकी जानकारी जब संजय को हुई तो उन्होंने बिष्टुपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई।

केस 2

4 जुलाई-गोलमुरी स्थित एक बैंक का अधिकारी बताकर रूपिन्दर बख्सी से उनके एटीएम कार्ड का नंबर पूछा। इसके बाद उसके अकाउंट से देखते ही देखते 91 हजार रुपए की निकासी हो गई। घटना 4 जुलाई की है। रूपींदर बख्सी के बयान पर 12 जुलाई को प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

कैसे लीक होती है इन्फॉर्मेशन

बैंक अधिकारी बताते हैं कि जालसाजों तक इन्फॉर्मेशन कैसे लीक होती है यह जांच का विषय है। भला कॉल सटीक बैंक के कस्टमर्स के पास कैसे लग जाती है। ऐसा भी हो सकता है कि बैंकों में एटीएम रिन्यूअल और अन्य महत्वपूर्ण कामकाजों को देख रहे आउटसोर्स कर्मचारियों की मिली-भगत हो। हालांकि उनकी संलिप्तता अभी तक सामने नहीं है। यह सब जांच का विषय है।

एटीएम कार्ड सिर्फ आपका है

बैंक ऑफ इंडिया के कॉर्पोरेट ऑफिसर एसके मिश्रा का कहना है कि एटीएम कार्ड आपका है। इसलिए एटीएम कार्ड का पासवर्ड भी सिर्फ आपको मालूम होना चाहिए। किसी भी अनजान व्यक्ति को इसका पिन नंबर नहीं बताएं। बैंक की ओर से एटीएम पिन की मांग कभी नहीं की जाती है। बैंक की ओर से यदि कभी जरूरत पड़े तो कस्टमर्स को सीधा बैंक बुलाया जाता है। हमलोग हमेशा वन टू वन काम करते हैं। संबंधित बैंक और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर से कस्टमर्स को हमेशा इन्फॉर्मेशन भी प्रोवाइड कराया जाता है।

बैंक कर्मी के खिलाफ हुई थी प्राथमिकी

जुगसलाई थाना में 11 जून 2014 को एटीएम कार्ड से फर्जी निकासी के मामले में बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जुगसलाई स्थित किशोर टेक्सटाइल्स में काम करने वाले रंजीत वर्णवाल का आरोप लगाया था कि 26 व 27 मई को उनके खाते से छह हजार रुपए की निकासी होने पर उन्होंने बैंक मैनेजर से शिकायत की थी। इसके बाद उनके एटीएम कार्ड को लॉक करके नया एटीएम कार्ड जारी किया। लेकिन, 31 मई को दोबारा उनके खाते से 18 हजार रुपए की निकासी हो गई। यह निकासी पुराने एटीएम कार्ड से ही हुई थी।

एक साथ आए थे फर्जी कॉल्स

पिछले साल नवंबर में एसबीआई के कई क्सटमर्स को फर्जी फोन कॉल्स आए। मोबाइल फोने के थ्रू कॉलर ने कहा था कि वह एसबीआई के एटीएम हेडक्वार्टर से बोल रहा है। लोगों को पहले यह कहकर डराया कि अगर एटीएम रीन्यू नहीं कराया तो उनका एटीएम कैंसिल कर दिया जाएगा। जैसे ही ग्राहकों ने पूछा कि एटीएम दोबारा चालू कराने के लिए क्या करना होगा? जालसाजों ने एटीएम कार्ड का नंबर और पासवर्ड बताने के लिए कहा था, लेकिन ज्यादातर कस्टमर्स उनके झांसे में नहीं आए। बाद में उस नंबर पर कॉल किया गया तो नंबर स्वीच ऑफ बताने लगा।

पैसा निकालते समय ये बरतें सावधानी

-कार्ड को हमेशा सुरक्षित तरीके से रखें।

-पासवर्ड टाइप करते समय ध्यान रखें कि आपके पासवर्ड पर किसी की नजर तो नहीं है।

-समय-समय पर पासवर्ड चेंज करते रहें।

-पासवर्ड मोबाइल, पासबुक, डायरी या कहीं दूसरे जगहों पर लिखकर नहीं छोड़ें।

-एटीएम का पासवर्ड सपाट नहीं रखें।

बैंक से बार-बार किया जा रहा अलर्ट

आरबीआई के निर्देश पर आईसीआईसीआई, एसबीआई, बैंक ऑफ इंडिया सहित तमाम बैंकिंग ऑर्गनाइजेशन की ओर से ग्राहकों को इस बाबत अलर्ट जारी किया जा रहा है कि वे किसी भी व्यक्ति को अपना एटीएम नंबर या ओटीपी नहीं बताएं। बैंकों ने स्पष्ट कर दिया है कि बैंक की ओर से ग्राहकों को एटीएम नंबर या अन्य जानकारी मांगने के लिए कभी फोन नहीं किया जाता है।

ये हैं ठगी के आंकड़े

-300 चेहरा पहचानो प्रतियोगिता।

-190 बैंक एटीएम का पिन बदलने के नाम पर ठगी।

-ई-मेल के थ्रू 2.

-आईडी हैक कर ठगी 1.

(ये विभिन्न थानों में दर्ज आंकड़ें हैं, लेकिन ज्यादातर पीडि़त इन मामलों में थाने में शिकायत कराना मुनासिब नहीं समझते हैं.)

फोन कॉल्स के जरिए ठगी करने वाले गिरोह सक्रिय हैं। ज्यादातर कॉल्स फेक नंबरों से किए जाते हैं। उनका लोकेशन भी बाहर का बताता है। ऐसी स्थिति में सावधानी ही बचाव है। आरबीआई और तमाम बैंकों की ओर से यह प्रचारित भी किया जा रहा है कि किसी भी स्थिति में एटीएम और बैंक खातों का विवरण किसी न दें, हे वह आपका कितना भी नजदीकी क्यों न हो।

-चंदन कुमार झा, सिटी एसपी, जमशेदपुर

बैंक हमेशा वन टू वन काम करता है। बैंक की ओर से कभी किसी कस्टमर्स का पिन जानने के लिए फोन नहीं किया जाता है। यदि कोई भी प्रॉब्लम हो तो कस्टमर को लेटर लिखा जाता है।

एके मिश्रा, कॉर्पोरेट ऑफिसर, बीओआई