जमशेदपुर: पूरे देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग हो रही है। उत्तर प्रदेश सरकार इससे संबंधित बिल ड्राफ्ट कर रही है तो राज्यसभा में कुछ सांसदों ने इसके लिए प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है। इसके अलावा कई दूसरी संस्थाओं जनसंख्या नियंत्रण कानून के पक्ष में हस्ताक्षर अभियान चला रही हैं। ऐसे में इस मुद्दे पर चर्चा करना तो लाजमी हो ही जाता है। अगर हम जनसंख्या नियंत्रण की बात करें तो यहां सवाल उठता है कि यह जिम्मेवारी किसकी है, जाहिर है जनसंख्या पर नियंत्रण की जिम्मेवारी महिला और पुरुष दोनों की ही है, लेकिन हमारे पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं की चलने ही नहीं दी जाती। पुरुष केवल अपनी ही चलाते हैं। यही कारण है कि जनसंख्या पर नियंत्रण की जिम्मेवारी भी पुरुषों ने महिलाओं के कंधे पर ही डाल अपने कर्तव्य की इति श्री समझ ली है। ऐसा हम नहीं कह रहे, सरकारी आंकड़े ही चीख-चीख कर ये सच्चाई बयां कर रहे हैं।

बर्थ कंट्रोल के हैं कई ऑप्शन

जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए कई तरह के साधन उपलब्ध हैं। महिलाओं के लिए कॉपर टी, बर्थ कंट्रोल पिल्स, फीमेल कंडोम और बंध्याकरण तो पुरुषों के लिए भी कंडोम और नसबंदी जैसे उपाय हैं। हालांकि अब तो मेल बर्थ कंट्रोल पिल्स भी बाजार में आ गए हैं। हालांकि पुरुष ये सब नहीं करना चाहते। वे चाहते हैं कि यह जिम्मेवारी भी अकेले महिला ही उठाए। चाहे या अनचाहे रूप से महिलाएं ये जिम्मेदारी उठा भी रही हैं।

कैसे धरातल पर उतरेगी योजना

पुरुषों का कहना है कि नसबंदी कराने से कमजोरी होती है, तो यहां सवाल यह उठता है कि क्या बंध्याकरण से महिलाओं को कमजोरी नहीं होगी। हालांकि ऐसा कुछ नहीं है। डॉक्टरों का कहना है कि नसबंदी आदि से कोई कमजोरी नहीं होती। यह मन की भ्रांति है, जिसे दूर करने की जरूरत है। वे कहते हैं कि इसके लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है तभी फैमिली प्लानिंग की योजना पूरी तरह से धरातल पर उतरेगी।

3038 बंध्याकरण व नसबंदी सिर्फ 43

पूर्वी सिंहभूम जिला स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को देखें तो विगत एक साल में 3038 महिलाओं का बंध्याकरण हुआ, जबकि पुरुषों की संख्या 43 ही है। पुरुषों में नसबंदी को लेकर काफी निराशाजनक स्थिति देखने को मिल रही है। अप्रेल 2020 से मार्च 2021 तक कुल 15,252 महिलाओं के बंध्याकरण का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन आंकड़ा 3038 तक ही पहुंच सका। वहीं 813 पुरुषों का लक्ष्य था जो संख्या 43 तक ही सिमट कर रह गया।

168 लोकसभा सांसदों के हैं दो से ज्यादा बच्चे

राजनेताओं की बात करें तो जनसंख्या बढ़ाने में वे भी पीछे नहीं हैं। लोकसभा सांसदों के आंकड़ों के अनुसार, कुल 540 में से 168 सांसदों के दो से ज्यादा बच्चे हैं। इनमें से 105 सांसद भाजपा के हैं। भाजपा के इन 105 सांसदों में से 66 के तीन बच्चे, जबकि 26 सांसदों के चार और 13 सांसदों के पांच बच्चे हैं। इसी तरह तीन सांसदों, एआईयूडीएफ के मौलाना बदरुद्दीन अजमल, जदयू के दिलेश्वर कमैत और अपना दल के पकौड़ी लाल के सात-सात बच्चे हैं। हालांकि इस मामले में बिहार के पूर्व सीएम और पूर्व सांसद लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी को नहीं भूला जा सकता। उनके 9 बच्चे हैं।

बंध्याकरण

प्रखंड लक्ष्य लक्ष्य प्राप्त प्रतिशत

बहरागोड़ा 186 141 12

चाकुलिया 856 265 31

धालभूमगढ़ 662 83 12

डुमरिया 441 41 09

घाटशिला 920 339 37

जुगसलाई 1874 89 05

मुसाबनी 789 110 14

पटमदा 1377 71 07

पोटका 1415 79 06

शहरी क्षेत्र 7042 1820 26

कुल 6252 3038 19

नसबंदी

बहरागोड़ा 59 00 00

चाकुलिया 34 01 02

धालभूमगढ़ 34 02 06

डुमरिया 22 03 14

घाटशिला 46 06 12

जुगसलाई 94 04 04

मुसाबनी 38 01 03

पटमदा 54 00 00

पोटका 71 04 06

शहरी क्षेत्र 352 22 06

कुल 813 43 5.3

जनसंख्या नियंत्रण के कई साधन हैं। बंध्याकरण और नसबंदी के लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। नसबंदी से कमजोरी होने की बात गलत है। इसके लिए लोगों को आगे आना चाहिए।

-डॉ। साहिर पाल, एसीएमओ