जमशेदपुर (ब्यूरो): साकची स्थित श्री अग्रसेन भवन में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन गुरुवार को कथावाचक पंडित मनीष शंकर ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, श्रीराम जन्म, गजेन्द्र मोक्ष, समुद्र मंथन, वामन प्रसंग की कथा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने भागवत कथा का महत्व बताते हुए प्रभु श्री राम एवं श्री कृष्ण जन्म प्रसंग का इतना सुंदर बखान किया की पंडाल में सभी लोग भावविभोर हो गए।

पापों का अंत

उन्होंने कहा कि कलयुग में भागवत कथा सुनने से जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही जन्म जन्मांतर के पापों का अंत भी होता है। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण पूर्ण रूप से भगवान विष्णु एवं राम के ही अवतार थे, पर इनका जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। उस समय दुष्ट कंस का शासन था। इसलिए उनका जन्मोत्सव गोपनीय तरीके से ही मनाया जाता था, लेकिन जब भगवान श्रीकृष्ण एवं बलराम ने अपने 14वें वर्ष में मामा कंस का वध किया तब से इनका जन्मोत्सव भव्यता से मनाया जाने लगा।

अधर्म से मुक्ति दिलाई

कथा वाचक ने कहा कि श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो अपने आप जेल के ताले खुल गए और वासुदेव की बेडिय़ां खुल गईं। एक टोकरी में लेकर यमुना नदी को पार कर यशोदा मां और नंदलाल के पास छोड़ जाते हैं। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने दुष्टों का नाश करने के लिए ही धरती पर जन्म लिया था। इस धरती को अधर्म से मुक्ति दिलाई। राम जन्म के प्रसंग के दौरान श्रीराम विवाह प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मां सीता के विवाह के लिए हो रहे धनुष यज्ञ प्रकरण के दौरान जब कोई भी राजा धनुष नहीं तोड़ पाए तो राजा जनक परेशान हो गए। इसके बाद गुरू की से भगवान राम ने धनुष को तोड़ा।

पांचवें दिन शुक्रवार को महाराज श्री नंदोत्सव, कृष्ण जन्म बधाई, श्री गिरिराज पूजन, अन्नकुट सहित माखन चोरी एवं अन्य बाल लीला की कथा का प्रसंग सुनाएंगे।

इनकी रही मौजूदगी

अग्रवाल (नोपाका) परिवार गांवाड़ी निवासी द्वारा आयोजित भागवत कथा में चौथे दिन गुरुवार को कथा में प्रमुख रूप से शंकर लाल अग्रवाल, शिवशंकर अग्रवाल, आनन्द अग्रवाल, विश्वनाथ अग्रवाल, शंभू खन्ना, विनोद खन्ना, कैलाशनाथ अग्रवाल, दमोदर प्रसाद अग्रवाल, अमरचंद अग्रवाल, श्रवण कुमार अग्रवाल उपस्थित थे।