तेजी से बढ़ रहा graph
गौर करें तो स्टेट में पिछले दस सालों में करीब 7,500 केसेज रिपोर्ट हुए हैं। जिसमें से केवल 2012 में ही करीब 800 से ज्यादा रेप केसेज सामने आए हैं। अगर बात की जाए ईस्ट सिंहभूम डिस्ट्रिक्ट की तो यहां पर भी इयर बाई इयर रेप केसेज बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2011 में जहां डिस्ट्रिक्ट में कुल 39 रेप केसेज दर्ज किये गए, वहीं 2012 में यह लगभग डेढ़ गुना बढ़ गया। इस वर्ष आंकड़ा 56 पहुंच गया। 2013 में जनवरी से लेकर अब तक करीब 25 रेप केसेज रिपार्ट किये जा चुके हैं।

बढ़ रहे चाइल्ड रेप के केसेज
हर साल दर्ज किये जाने वाले रेप केसेज में एक चौथाई से भी ज्यादा केसेज नाबालिगों के साथ होते हैं। और तो और इनमे से आधे से ज्यादा केसेज में तो विक्टिम की एज दस साल से भी कम होती है। सिटी एसपी कार्तिक एस का कहना है कि चाइल्ड रेप के मामलों का बढऩा काफी शर्मनाक है। लोगों को सोच बदलने की जरूरत है।

आरोपित होता है करीबी या रिलेटिव
चाइल्ड रेप केसेज को लेकर सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि करीब आधे से ज्यादा केसेज में आरोपी या तो कोई करीबी होता है या फिर कोई रिश्तेदार। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अकॉर्डिंग इंडिया में लगभग 53 परसेंट चाइल्ड किसी-न-किसी फॉर्म में चाइल्ड अब्यूज को फेस करते हैं। इनमें से केवल छह परसेंट ही सेक्सुअली असॉल्टेड होने की रिपोर्ट दर्ज करते हैं। इनमें से 50 परसेंट केसेज ऐसे होते हैं जिनमें सेक्सुअली असॉल्ट करने वाला कोई-न-कोई क्लोज रिलेटिव होता है। एग्जापल के तौर पर संडे को परसुडीह और कदमा थाने में दो रेप केस दर्ज किए गए। दोनों में ही रिलेटिव्स आरोपित हैं.  कदमा वाले केस में तो भाई ने ही अपनी बहन की इज्जत तार-तार कर दी।

मेंटल कंडीशन रहती disturb
सिटी एसपी कार्तिक एस का कहना है कि किसी भी बच्ची के साथ रेप करना विकृत सोच को दर्शाता है। ऐसे केसेज में ज्यादातर में या तो लिटरेसी का अभाव होता है या फिर उसकी मेंटल कंडीशन डिस्टर्ब होती है। वहीं सिटी की साइकोलॉजिस्ट डॉ। निधि श्रीवास्तव का कहना है कि यह एक बीमारी है। ऐसे केसेज में आरोपी की साइकोलॉजिकल कंडीशन ठीक नहीं होती।
आरोपित कई दिनों से किसी न किसी बात को लेकर अपसेट रहता है। लाइफ में फेलियर होना, बचपन में या कभी भी किसी तरह के हुए अपमान को भूल न पाना, सेक्सुअल लाइफ से अपसेट रहना आदि इसके रीजंस हो सकते हैं। इस भड़ास को आरोपी किसी न किसी पर निकालने की कोशिश करता है। बच्चे काफी कमजोर होते है और मासूम भी। ऐसे में आरोपित इसी बात का फायदा उठाता है।

'चाइल्ड रेप अपने-आप में ही विकृत सोंच को दर्शाता है। ज्यादातर केसेज में तो आरोपी करीबी या फिर कोई जानने वालों होता है। पुलिस लगातार ऐसे केसेज को रोकने की हर संभव कोशिश करती है। ऐसे में लोगों को अपनी सोंच बदलने की जरूरत है.'
-कार्तिक एस, एसपी

'ये एक तरह की बीमारी है। चाइल्ड रेप के केस में आरोपी की साइकोलॉजिकल कंडीशन डिस्टर्ब होती है। ऐसे केसेज में आरोपी के मन में किसी न किसी चीज को लेकर काफी भड़ास भरी होती है। किसी बात को लेकर उसमें काफी गुस्सा भरा होता है और वह रेप जैसी घिनौनी हरकत में बाहर आता है.'
-निधि श्रीवास्तव, साइकोलॉजिस्ट

Report by: rajnish.tiwari@inext.co.in