अधिकारों का मिल रहा फायदा
इन दिनों संविधान द्वारा महिलाओं को दिये गए अधिकारों का मिस यूज भी हो रहा है। एडवोकेट सुरेश पांडे बताते हैं कि डौरी प्रॉहिबिशन एक्ट, डोमेस्टिक वॉयलेंस एक्ट, स्त्रीधन और आइपीसी के तहत महिलाओं के लिए बनाए गए एक्ट्स को कई महिलाओं द्वारा हथियार की तरह यूज किया जा रहा है। इन एक्ट्स को महिलाओं की सहूलियत के लिए बनाया गया है, पर इसका मिस यूज ही हो रहा है।

पति आखिर करें भी तो क्या
हाल ही में मेंस राइट्स मूवमेंट्स द्वारा किये गए एक सर्वे के अकॉर्डिंग इंडियन पुलिस द्वारा पुरुषों पर होने वाली डोमेस्टिक वॉयलेंस और एक्सटॉर्सन के केसेज न के बराबर फाइल किये जाते हैं। जबकि सेक्शन 498 ए (जिसमें महिलाएं पीडि़ता होती हैं) के तहत दर्ज होने वाले केसेज की संख्या ज्यादा है। मेंस राइट्स मोमेंट्स के महिलाओं के लिए बनाए गए तमाम लॉ में कई सारी कमियां हैं। इसके अलावा मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स की ओर से भी डौरी रिलेटेड ऑफेंसेज में इंवेस्टिगेशन के दौरान पुलिस द्वारा मनमाने ढंग से अरेस्ट करने के अगेंस्ट कई सारे नोटीफिकेशन और सर्कुलर जारी किये जा चुके हैं। साकची महिला थाना की इंचार्ज एम। गुडिय़ा ने बताया कि कई बार हमारे यहां डोमेस्टिक वॉयलेंस के ऐसे केसेज आते हैं जो झूठे होते हैं। जिनका मकसद केवल बदला लेना होता है। इतना ही नहीं कई बार तो मेंस वॉयलेशन के केसेज भी आते हैं। जिनमें वाकई में पीडि़त को उनकी वाइफ व घर वाले एक्सप्लॉयेट करते हैं। पर ऐसे केसेज की संख्या काफी कम है। एडवोकेट सुरेश पांडे की मानें तो वॉयलेशन अगेंस्ट वूमेंस के ज्यादातर केसेज झूठे होते हैं। कई वूमेंस केवल अपने हसबैंड को सबक सिखाने के लिए ऐसे केस दायर करती हैं।

Middle class families में ज्यादातर होते ऐसे वाकिये
ऐसे वाकिये मिडिल क्लास फैमिलीज में ज्यादा होते हैं। एडवोकेट सुरेश पांडे बताते हैं कि 50 परसेंट से भी ज्यादा केसेज में विक्टिम मिडिल क्लास से बिलांग करने वाले होते हैं। वहीं साइकैट्रिस्ट निधि श्रीवास्तव बताती हैं कि मिडिल क्लास में इस तरह के केसेज होने के लैक ऑफ एजुकेशन, लैक ऑफ कोऑर्डिनेशन, ऑर्थोडॉक्स मेंटैलिटी जैसे कई रीजंस हैं। उन्होंने बताया कि मिडिल क्लास फैमिलीज की वूमेंस टीवी से काफी इंफ्लुएंस्ड होती हैं। जिसकी वजह से उनकी नीड्स हाई हो जाती है, जिन्हें हसबैंड फुलफिल नहीं कर पाते। ऐसे में महिलाएं हसबैंड को एक्सप्लॉएट करने लगती हैं।

'हमारे यहां कई ऐसे केसेज आते हैं, जिनमें वाइफ द्वारा हसबैंड को एक्सप्लॉएट किया जाता है। वैसे कई डोमेस्टिक वॉयलेंस के केसेज झूठे होते हैं। जिनका मकसद केवल बदला लेना होता है.'
-एम। गुडिय़ा, थाना इंचार्ज, साकची महिला थाना

'सिटी में पिछले कुछ सालों में मेल डोमेस्टिक वॉयलेंस के केसेज में 20 परसेंट तक का इजाफा हुआ है। जिनमें से 50 परसेंट से ज्यादा केसेज में विक्टिम मिडिल क्लास फैमिली से बिलांग करने वाला होता है.'
-सुरेश पांडे, एडवोकेट, जमशेदपुर

'मिडिल क्लास फैमिलीज की वूमेंस टीवी से काफी ज्यादा इंफ्लुएंस्ड होती हैं। जिससे उनकी नीड्स हाई हो जाती है। इसे हसबैंड फुलफिल नहीं कर पाते। ऐसे में वो हसबैंड को एक्सप्लॉएट करने लगती हैं। जो कई बार मारपीट तक पहुंच जाती है.'
-डॉ। निधि श्रीवास्तव, साइकैट्रिस्ट

Report by: rajnish.tiwari@inext.co.in