जमशेदपुर (ब्यूरो): जिला प्रशासन द्वारा सही तैयारी और नियमों को थोपने की मनमानी के कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट योजना या तो धरातल पर नहीं उतर पा रही है या फिर शुरू होने के बाद योजना का बुरा हश्र हो रहा है। अब एक बार फिर से जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमिटी (जेएनएसी) सीएनजी बस और इलेक्ट्रिक ऑटो का परिचालन करने की तैयारी कर रहा है। योजना शुरू भी नहीं हुई, लेकिन इसपर सवाल उठने लगे हैं।

खड़े-खड़े सड़ गईं 50 बसें

वर्ष 2010 में भी जेएनएनयूआरएम के तहत सिटी में 50 बसें चलाई गई थीं। एसएचजी और कुछ संगठनों को बसों के परिचालन का जिम्मा दिया गया था, लेकिन धीरे-धीरे योजना पर ग्रहण लगना शुरू हुआ और पूरी योजना ठप पड़ गई। आज योजना के तहत आईं सभी 50 बसें बारीडीह स्टैंड में खड़े-खड़े सड़ गई हैं। इन बसों की खरीदारी पर 4.5 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।

अब सीएनजी बस चलाने की तैयारी

अब जेएनएसी सीएनजी बसों को चलाने की तैयारी कर रहा है। सर्वे हो चुका है। किराया और रूट निर्धारण का काम चल रहा है। हालांकि इसके परिचालन को लेकर नियम ऐसे बनाए गए हैं। वैसे जमशेदपुर शिक्षित बेरोजगार मिनी बस एसोसिएशन ने बसों को चलाने का जिम्मेवारी देने की मांग की थी, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है।

ये है स्थिति

सिटी में 15 हजार से ज्यादा ऑटो चल रहे हैं। सभी को सीएनजी में बदलने का आदेश दिया गया था। पिछले साल यानी अप्रैल 2022 से जांच की बात कही गई थी। अब तक केवल करीब 800 ऑटो ही सीएनजी में बदले गए हैं। इसके अलावा करीब 500 इलेक्ट्रिक ऑटो हैं। इसके अलावा ड्रेस कोड और बैज लगाने की बात थी, लेकिन जिला प्रशासन एक भी नियम को लागू नहीं करवा पाया। वहीं डीजल और पेट्रोल ऑटो का परमिट सिटी के लिए नहीं है। इस भीड़ में 31 इलेक्ट्रिक ऑटो चालकों का क्या हश्र होगा, इसपर मंथन किए बिना योजनाएं बना ली जा रही हैं। जानकारों का कहना है कि सबसे पहले सिटी से पेट्रोल और डीजल ऑटो को बाहर करना होगा या सख्ती से उन्हें सीएनजी में परिवर्तित करने का नियम लागू करना होगा। इसके बाद ही सीएनजी और इलेक्ट्रिक ऑटो का प्रभावी ढंग से परिचालन हो सकेगा।

जेएनएसी ने खरीदे 31 इलेक्ट्रिक ऑटो

जेएनएसी इलेक्ट्रिक ऑटो का परिचालन भी करने को तैयार है। इसके लिए 31 ऑटो की खरीदारी भी कर ली गई है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि बिना किसी तैयारी के ही इन ऑटो की खरीदारी कर ली गई है। इनमें से एक ऑटो जेएनएसी ऑफिस में पड़ा है, तो बाकी सिदगोड़ा में रखे गए हैं। अभी तक ये ऑटो किसी को चलाने के लिए नहीं दिए गए हैं। वैसे अक्षेस ने इन ऑटो को चलाने के लिए इच्छुक ऑटो चालकों व अन्य से आवेदन मांगे गए थे। आवेदन महिला, पुरुष या किन्नर कोई भी कर सकता है, लेकिन कुछ ही आवेदन आए। मामला फंसता देख पिछले दिनों अक्षेस ने एक बैठक भी बुलाई, लेकिन उपस्थित लोगों ने सिक्योरिटी मनी और प्रतिदिन की देय राशि को ज्यादा बताते हुए आवेदन करने से इंकार कर दिया।

राशि की समीक्षा कर रहा अक्षेस

अब अक्षेस द्वारा सिक्योरिटी मनी और प्रतिदिन की देय राशि की समीक्षा कर उसे कम करने के बाद दोबारा आवेदन की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही जा रही है। हालांकि स्थिति यह है कि ऑटो चालक इसे लेने को तैयार नहीं हैं।

पूर्व की बैठक के बाद ऐसा महसूस हुआ कि सिक्योरिटी मनी और अन्य राशि ज्यादा है। दूसरी बार सभी स्टेक होल्डर के साथ बैठक कर इसमें सुधार किया गया है। राशि भी कम की गई है। अब फाइल संबंधित प्राधिकार को भेजा जाएगा। बहुत जल्द ही शहर में इलेक्ट्रिक ऑटो दौड़ेंगी। इसी तरह सीएनजी बसों की प्रक्रिया में भी तेजी लाई जा रही है।

संजय कुमार, स्पेशल ऑफिसर, जेएनएसी