-मार्च में आयेगी टीम, कॉलेज में प्रिंसिपल ने आयोजित की बैठक

JAMSHEDPUR: को-अपरेटिव कॉलेज के स्टूडेंट्स और टीचर्स के लिए अच्छी खबर है। यूजीसी की ऑटोनोमस संस्था राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यापन परिषद (नैक) ने झारखंड के एकमात्र कॉलेज के रूप में जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज का चयन किया है। इससे संबंधित पत्र कॉलेज को प्राप्त हो चुका है। अब नैक की मान्यता प्राप्त करने के लिए को-ऑपरेटिव कॉलेज का मैनेजमेंट एकजुटता के साथ काम करने को तैयार हो गया है। गुरुवार को को-ऑपरेटिव कॉलेज में प्रिंसिपल डॉ। एसएस रजी की अध्यक्षता में आपातकालीन बैठक का आयोजन किया गया। इसमें सभी विभागों के विभागाध्यक्ष व प्रोफेसर उपस्थित थे। बैठक में प्रिंसिपल ने बताया कि यह कॉलेज के लिए सौभाग्य की बात है उसे नैक ने चयन किया है। अब कॉलेज के सभी सदस्यों को नैक की मान्यता को प्राप्त करने के लिए उसकी सारी अहर्ताओं को पूरा करने का सामूहिक प्रयास करना होगा। अहर्ताओं को पूरा करने के लिए नैक की टीम मार्च में कॉलेज का भ्रमण करेगी और प्रत्येक चीज का काफी बारीकी से अध्ययन करेगी। टीम के सकारात्मक रिपोर्ट के बाद कॉलेज को नैक की मान्यता मिलेगी। नैक की मान्यता मिलने के बाद कॉलेज को सीधे यूजीसी से फंडिंग प्राप्त हो जायेगी। यह मान्यता पांच साल के लिए मिलेगी। बैठक में आधारभूत संरचनाओं व ऐजुकेशनल आवश्यकताओं की पूर्ति को ले व्यापक विचार मंथन किया गया।

परचेज व बिल्डिंग कमिटी की हुई बैठक

नैक की टीम के दौरे को लेकर को-ऑपरेटिव कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। एसएस रजी की अध्यक्षता में परचेज व बिल्डिंग कमिटी की आपातकालीन बैठक गुरुवार को आयोजित की गई। इसमें नैक की अहर्ताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक भरीदारी व बिल्डिंग की मरम्मतीकरण व अप-टू-डेट करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

ऐसे मिल सकती है नैक से मान्यता

क्। एजुकेशनल : स्टूडेंट्स के पठन-पाठन की स्थिति, डिपार्टमेंट की स्थिति, कोर्स नियमानुसार चल रहे हैं या नहीं, स्टूडेंट्स की एटेंडेंश व एग्जाम का रिजल्ट।

ख्। आधारभूत संरचना : क्लास रूम, टॉयलेट की व्यवस्था, कॉमन रूम, साइकिल स्टैंड, कैंटीन, हॉस्टल।

फ्। एलुमिना : पासआउट होने वाले स्टूडेंट्स कहां काम कर रहे हैं, उनसे बातचीत भी होगी।

गेस्ट हाउस का निर्माण अनिवार्य

को-ऑपरेटिव कॉलेज में नैक की मान्यता के लिए गेस्ट हाउस का निर्माण भी जरूरी है। इसके पीछे नैक का तर्क यह है कि बाहर से आने वाले प्रोफेसरों के पीछे विश्वविद्यालय पर आर्थिक रूप से बोझ न पड़े। सिर्फ टीए में काम चल जाए। ये प्रोफेसर कॉलेज के गेस्ट हाउस में ही रूकेंगे। कॉलेज मैनेजमेंट द्वारा कर्मचारी आवास को तत्काल गेस्ट हाउस में बदलने पर विचार कर रहा है। इसके लिए निर्देश भी जारी किये जा चुके हैं।