जमशेदपुर (ब्यूरो): स्टैंड के रखरखाव और बस संचालकों की सुविधा के लिए स्टैंड का टेंडर निकालकर ठेकेदार को देने का निर्णय हुआ था, ताकि सारी व्यवस्था दुरुस्त हो सके, लेकिन बस संचालकों के साथ ही यहां आने वाले यात्रियों को भी कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। यात्री त्रस्त हैं, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है। इतना ही नहीं करीब दो साल होने को हैं और बस स्टैंड के लिए कोई नया टेंडर नहीं हुआ है।

टॉयलेट, पानी की सुविधा नहीं

मानगो बस स्टैंड की बात करें तो यहां यात्री सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। पूर्व के संवेदकों द्वारा स्टैंड की बेहतरी के लिए क्या-क्या किया गया, यह तो पता नहीं, लेकिन 2 साल से टेंडर नहीं होने के कारण फिलहाल जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमिटी (जेएनएसी) द्वारा स्टैंड का संचालन किया जा रहा है, लेकिन उसके द्वारा स्टैंड में कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। इससे बस संचालकों के साथ ही यात्रियों को भी खासी परेशानी हो रही है। स्टैंड में कोई टॉयलेट नहीं बनवाया गया है और न ही पानी की सुविधा ही दी गई है।

स्टैंड में गंदगी का अंबार

वहीं अगर साफ-सफाई की बात करें तो यह स्टैंड स्वच्छ भारत अभियान को मुंह चिढ़ा रहा है। गंदगी के कारण स्थिति पूरी तरह नारकीय बन गई है। स्टैंड में एक यूरिनल तो है, लेकिन वहां जाने के बाद बदबू और संक्रमण का खतरा मंडराता रहता है। सबसे ज्यादा परेशानी महिला यात्रियों को होती है, लेकिन इसकी शिकायत किससे करें यह किसी की समझ में नहीं आता।

कोई ऑफिस नहीं किससे कहें परेशानी

स्टैंड में अगर कोई समस्या हो तो कोई कार्यालय आदि भी नहीं है, जहां बस संचालक या यात्री अपनी शिकायत कर सकें। जेएनएसी हो या कांट्रेक्टकर, सभी को केवल राशि वसूलने से मतलब है, सुविधा मुहैया कराने को लेकर किसी को कोई सरोकार नहीं है।

जेएनएसी वसूल रहा शुल्क

अभी स्टैंड का टेंडर किसी के पास नहीं है और जेएनएसी द्वारा स्टैंड का संचालन किया जा रहा है। स्टैंड पर भले ही कोई सुविधा न हो, लेकिन जेएनएसी द्वारा बिना टेंडर के ही पार्किंग के तौर पर 250 रुपए प्रति बस वसूला जा रहा है। इसे लेकर बस संचालकों ने आपत्ति जताई है, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

किस गेट से जाएं, पता नहीं चलता

जेपी सेतु बस स्टैंड की स्थिति यह है कि अगर कोई अनजान यात्री जाता है तो उसे पता ही नहीं चलता कि अमुक जगह की बस उसे कहां मिलेगी, क्योंकि स्टैंड पर कोई मार्किंग, गेट नंबर या कुछ नहीं लिखा है। ऐसे में यात्री को काफी पूछताछ करनी पड़ती है और इसके लिए कोई सही व्यवस्था भी नहीं है।

बस स्टैंड टेंडर का यह है पूरा खेल

जेपी सेतु बस स्टैंड का पहली बार वर्ष 2014 में टेंडर हुआ था। इसकी बोली 36 लाख रुपए से शुरू हुई थी, जो बढ़ते-बढ़ते दोगुनी हो गई। उस वक्त गोल्डी तिवारी ने 78 लाख रुपए में स्टैंड का टेंडर लिया था। हालांकि बस संचालकों के मुताबिक उस वक्त स्थिति कुछ बेहतर थी, लेकिन वर्तमान में काफी परेशानी हो रही है। इसके बाद से दूसरे लोगों की भी इसमें रुचि बढ़ी और यही कारण है कि टेंडर राशि बढ़ती ही चली गई। आरटीआई एक्टिविस्ट सदन ठाकुर ने सूचना के अधिकार के तहत मामले में जानकारी निकाली। इसके मुताबिक वर्ष 2019 में मानगो बस सेतू पार्किंग का टेंडर दो करोड़ 25 लाख रुपये में सोनल इंटरप्राइजेज ने लिया था। हालांकि जिस जोश के साथ उसने टेंडर में बाजी मारी थी, उसे तेजी के साथ उसने हाथ भी खड़े कर दिए। जानकारी के मुताबिक 21 सितंबर 2019 को टेंडर लेने और नुकसान उठाने के बाद सोनल इंटरप्राइजेज ने 3 अक्टूबर को टेंडर सरेंडर कर दिया और इसके बाद दूसरे स्थान पर रहे निविदादाता राघवेंद्र प्रताप सिंह को 24 अक्टूबर 2019 को 2 करोड़ 18 लाख 30 हजार रुपये में निविदा दे दी गई। बस संचालकों और स्टाफ का आरोप है कि स्टैंड की स्थिति को बिगाडऩे का पूरा श्रेय राघवेन्द्र प्रताप सिंह को जाता है। उन्होंने ही बोली को बढ़ाकर स्थिति खराब कर दी। संचालकों का कहना है कि गोल्डी तिवारी पार्किंग शुल्क के तौर पर केवल 100 रुपए लेते थे, लेकिन ज्यादा कमाई के चक्कर में राघवेन्द्र प्रताप ने बोली बढ़ा दी और पार्किंग शुल्क को 150 रुपए कर दिया। यही नहीं बस है तो लोग सामान लेकर जाएंगे ही। कोई भी सामान हो वे इसके एवज में 100 रुपए लेने लगे। ऐसे में प्रति बस 250 रुपए का भुगतान करना पड़ रहा है।

अभी मानगो बस स्टैंड का संचालन जेएनएसी ही कर रही है। इसके टेंडर की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर इसे निविदादाता के हवाले कर दिया जाएगा।

-कृष्ण कुमार, स्पेशल ऑफिसर, जेएनएसी

बस स्टैंड पर यात्री सुविधाएं होनी चाहिए, लेकिन कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। यात्रियों को पेयजल और टॉयलेट को लेकर भी परेशानी झेलनी पड़ती है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।

-एस जायसवाल, पैसेंजर

मानगो बस स्टैंड में यात्री सुविधा के नाम पर कोई खास व्यवस्था नहीं है। विदेशों में स्टैंड पर रेस्ट रूम के साथ ही सेंट्रलाइज एसी वाले हॉल की भी व्यवस्था रहती है, लेकिन यहां ऐसी कोई बात नहीं है। एक कैंटीन तक नहीं है।

-प्रकाश बरुआ, पैसेंजर

लंबे समय से टेंडर नहीं होने के कारण व्यवस्था सही तरीके से नहीं संचालित रही है। अगर यात्री को अव्यवस्था की शिकायत करनी हो तो वह कहां जाए, यह समझ ही नहीं आता है।

प्रदीप मल्लिक, पैसेंजर