-आज है व‌र्ल्ड डिजेबल्ड डे

-डिस्ट्रिक्ट में है 35 हजार से ज्यादा डिजेबल लोग

-रेलवे स्टेशन, हॉस्पिटल, गवर्नमेंट ऑफिसेज में नहीं हैं सुविधाएं

JAMSHEDPUR : विकलांगता उन्मूलन और डिजेबल्स की सुविधाओं के लिए हर साल सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन इनकी सुविधाओं में इजाफा नहीं हो रहा है। डिस्ट्रिक्ट में 35 हजार से ज्यादा डिजेबल हैं। फुटपाथ हो या गवर्नमेंट ऑफिसेज, स्कूल हो या कॉलेज कहीं भी इनके लिए विशेष सुविधाएं नजर नहीं आती हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा पिछले वर्षो में 4247 स्पेशल पर्सन्स को सर्टिफिकेट उपलब्ध कराया गया। इसमें हड्डी रोग के 2270, ईएनटी के 753, नेत्र रोग के 535 और मानसिक रोग के 695 शाि1मल हैं।

मानगो, बिरसानगर में ज्यादा

बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान द्वारा शहर के अलग-अलग एरियाज में स्पेशल लोगों पर एक सर्वे किया है। इसमें सबसे अधिक स्पेशल पर्सन्स की पुष्टि मानगो में हुई है। वहीं दूसरे स्थान पर बिरसानगर और तीसरे स्थान पर एमजीएम क्षेत्र में पाया गया है। सर्वे में कुल 1483 स्पेशल पर्सन्स की पुष्टि हुई है। इनमें 817 लड़का और 666 लड़कियां शामिल हैं। बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के सर्वे के अनुसार 1483 में से सिर्फ 640 स्पेशल पर्सन्स को ही सरकारी सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

Box matter

ये है डिस्ट्रिक्ट में स्पेशल पर्सन्स की संख्या (सेंसस से प्राप्त आंकड़े)

Type of disability No। of disabled persons

In seeing 5420

In hearing 9169

In speech 2348

In movemnent 7863

Mental retardation 1935

Mental illness 1325

Multiple disability 3538

total 35838

बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान द्वारा किए गए सर्वे में पाए गए स्पेशल पर्सन्स

स्थान कुल लड़का लड़की

साकची भ्9 फ्भ् ख्ब्

सोनारी म्0 फ्9 ख्क्

कदमा फ्9 ख्भ् क्ब्

बिष्टुपुर म्फ् फ्0 फ्फ्

जुगसलाई 80 फ्9 ब्क्

बागबेड़ा 8म् फ्7 ब्9

परसुडीह 90 ब्9 ब्क्

सुंदरनगर ब्0 ख्ख् क्8

पोटका क्0ख् म्भ् फ्7

गोविंदपुर 9भ् म्0 फ्भ्

टेल्को 8फ् ब्0 ब्फ्

गोलमुरी ब्8 ख्ब् ख्ब्

सीतारामडेरा भ्9 ब्0 क्9

सिदगोड़ा 7ख् भ्0 ख्ख्

बिरसानगर क्08 ब्0 म्8

मानगो क्9भ् क्00 9भ्

उलीडीह 7क् भ्0 ख्क्

एमजीएम क्0फ् भ्0 भ्फ्

बर्मामाइंस फ्0 ख्ख् 08

कुल क्ब्8फ् 8क्7 म्म्म्

देश्ा में स्पेशल पर्सन्स की स्थिति एक नजर

- फुटपाथ, सरकारी कार्यालय, धार्मिक स्थान, स्कूल और विश्वविद्यालय, विकलांग व्यक्तियों के उपयोग व सहूलियत के लिहाज से असहज व असुविधाजनक है।

- विकलांग प्रमाण जारी पत्र करने में स्वास्थ्य विभाग की ओर से मनमानी।

- शिक्षा और रोजगार पाने में सामने आने वाली समस्याएं।

- विकलागों को कृत्रिम अंग उपलब्ध नहीं कराना।

- उंचाई ज्यादा होने के कारण विकलांगों को ट्रेनों में चढ़ने में परेशानी होती है।

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विदेशों में स्पेशल पर्सन्स को मिलने वाली सुविधा

- सार्वजनिक इस्तेमाल की जगहों जैसे फुटपाथ, बस स्टॉप, जन-शौचालय, स्कूल, कालेजों, सरकारी या निजी सभी कार्यस्थवलों, पार्किग एरिया में विकलांगों को लेकर बने दिशानिर्देशों का पालन जरूरी।

- फुटपाथ पर इस तरह कि पट्टियां और रैलिंग्स लगाई जाती हैं कि व्हीलचेयर पर बैठा और नेत्रहीन व्यक्ति भी सुगमता से सड़क पार कर सके।

- सभी बस स्टैंडों पर व्हीलचेयर पर बैठे व्यक्ति के लिए जगह निर्धारित है। बस रुकने पर सबसे पहले विकलांग व्यक्तियों का प्रवेश होता है। इसके लिए बस दरवाजों में विशेष प्रकार के हाइड्रॉलिक लिफ्टर लगे हैं, जिनकी सहायता से व्यक्ति व्हीलचेयर पर बैठे ही बस के अंदर सुरक्षित व बिना असुविधा के पहुंच पाता है।

- विकलांगों को ध्यान में रखते हुए खास तरह के अस्पताल तैयार किए गए हैं। इन अस्पतालों में कोई भी विकलांग व्यक्ति अकेले यहां पहुंच सके।