जमशेदपुर (ब्यूरो) : बच्चों की सेफ्टी ही फस्र्ट प्रायोरिटी होनी चाहिए। स्कूल व्हीकल्स का सिर्फ पेपर ही नहीं, बल्कि कंडीशन भी दुरुस्त होना चाहिए। साथ ही नशेबाज को स्कूल व्हीकल की स्टेरिंग कभी भी नहीं सौंपी जानी चाहिए। यह कहना है शहर के स्कूली बच्चों के पेरेंट्स का। सेफ्टी का मीटर डाउन सीरीज के आखिरी दिन दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से जमशेदपुर कॉलिंग में बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों के पेरेंट्स, जनप्रतिनिधि और सोशल वर्कर्स समेत सिटी के महत्वपूर्ण लोगों ने अपनी बातें रखीं।

जरूरी कदम उठाने का वादा

इस मामले में डीटीओ दिनेश रंजन ने भी बच्चों की सेफ्टी के लिए हर जरूरी कदम उठाने का वादा किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए स्कूलों में भी जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। बता दें कि दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से पिछले एक सप्ताह से बच्चों की सेफ्टी को लेकर लगातार खबरें प्रकाशित की गईं, जहां कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।

लापरवाही बर्दाश्त नहीं

छोटे-छोटे बच्चे भी वाहन से स्कूल आना-जाना करते हैं। ऐसे में बच्चों की सेफ्टी ही बस चालक की फस्र्ट प्रायोरिटी होनी चाहिए। कई बार देखा गया है कि स्कूली वाहन चालक नशे में धुत होकर वाहन चलाते हैं, जो काफी खतरनाक है। बस चालकों की लापरवाही के कारण कई बार एक्सीडेंट के मामले भी सामने आ चुके हैं। स्कूल बस ड्राइवर के साथ ही स्कूली वैन और ऑटो चालकों की लापरवाही के कारण कई गंभीर हादसे भी हो चुके हैं। इन हादसों में जान भी जा चुकी है, लेकिन सख्ती न होने के कारण मामले में कुछ भी नहीं हो पाता है। स्कूल वैन हो या बस सभी के पेपर अप-टू-डेट होने जरूरी हैं। गाड़ी बिल्कुल फिट होनी चाहिए, बस और वैन के लिए तैयार गाइडलाइंस का अक्षरश: पालन होना चाहिए। अभिभावकों ने कहा कि कई स्कूली बसें ऐसी हैैं, जिनकी खिडक़ी में आज भी जाली नहीं लगी है। खिडक़ी में लोहे की जाली लगानी चाहिए। इसके साथ ही स्कूली वाहन में फस्र्ट एड बॉक्स होने की बात भी कही गई, जो ज्यादातर स्कूली वाहनों में नहीं है।

जो बातें निकल कर आईं सामने

स्कूल प्रबंधन और पेरेंट्स को भी हो नोटिस

समय-समय पर यातायात जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। इस अभियान में स्कूल प्रबंधन, पुलिस प्रशासन एवं अभिभावक का होना भी अति आवश्यक है। इस अभियान में संकल्प लेना चाहिए कि क्षमता से अधिक बच्चों को किसी भी वाहन में न बैठाया जाए। अगर ऐसा होता है तो पुलिस प्रशासन यातायात नियम के खिलाफ कार्रवाई करें और स्कूल प्रबंधन और अभिभावक को भी नोटिस जानी चाहिए, ताकि सारे लोगों के मन में यह भय उत्पन्न रहे कि अगर मेरी गलती होगी तो मुझपर भी कार्रवाई की जा सकती है।

विनिता देवी, उप मुखिया

जो दोषी, सभी पर हो कार्रवाई

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के द्वारा स्कूली बच्चों की सुरक्षा से संबंधित समाचार को प्रकाशित कर स्कूल प्रबंधन, पुलिस प्रशासन और अभिभावकों का ध्यान आकृष्ट कराने का कार्य किया जा रहा है, ताकि स्कूली बच्चे सुरक्षित रहें। बच्चों की सेफ्टी के लिए तीनों पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। समय-समय पर स्कूल प्रबंधन, पुलिस प्रशासन एवं अभिभावक पर भी कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि बच्चे की सुरक्षा के साथ छोटी सी भी लापरवाही न हो सके।

राकेश चौबे

क्षमता से ज्यादा बच्चे न बैठाए जाएं

स्कूली बच्चों को स्कूल ले जाने के दौरान वाहन में उन्हें एक तरह से जबरन ही बैठाया जाता है। करीब-करीब हर वाहन में सीट से ज्यादा बच्चों को बैठाया जाता है, जो कि बिल्कुल गलत है। ऐसे वाहनों को चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है। इसके साथ ही साथ स्कूल प्रबंधन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि इस तरह क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाने की दोबारा गलती कोई न कर सके। इसके लिए अभिभावक को भी जागरूक होने की जरूरत है।

मायावती टुडू

स्कूली वाहनों की भी हो जांच

थोड़ा सा पैसा बचाने के लिए अभिभावक जानते हुए भी उसी वाहन को चुनते हैं जिस वाहन में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया जाता है। पैसों की खातिर वाहन चालक एवं मालिक स्कूली बच्चों को जबरन चालक के अगल-बगल, पीछे और बीच की सीट पर ठूंस-ठूंस कर बैठाते हैं। वहीं, पुलिस प्रशासन मूकदर्शक बनी रहती है। पुलिस प्रशासन दो पहिया वाहनों के सारे कागजात की जांच करती है, मगर टेंपो और चार पहिया वाहनों की जांच नहीं की जाती। इस मामले में वरीय पदाधिकारी को पुलिस प्रशासन पर तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है। बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए पैसों की चिंता छोड़ देने की आवश्यकता है। साथ ही साथ स्कूल प्रबंधन पर भी कर्रवाई करने की जरूरत है, ताकि स्कूल प्रबंधन भी अपनी जिम्मेवारी को समझ सके।

शीलू सिंह, समाजसेवी

स्कूल प्रबंधन, प्रशासन और अभिभावक तीनों हैं जिम्मेवार

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा इन दिनों स्कूली बचों की सुरक्षा से संबंधित जो समाचार प्राथमिकता के साथ प्रकाशित किया जा रहा है, वह काफी सराहनीय है। अब तक देखा जा रहा है कि सारे जिम्मेवार लोग अपने बचाव के लिए कार्रवाई की बात तो करते हैं, मगर कार्रवाई नहीं की जाती है। स्कूल बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल प्रबंधन, पुलिस प्रशासन और अभिभावक तीनों की जिम्मेवारी है। स्कूल आवागमन के दौरान स्कूली बच्चों के साथ किसी भी प्रकार की घटना घटती है, तो तीनों पूर्ण रूप से जिम्मेदार होंगे। इसलिए तीनों के ऊपर समयानुसार कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि तीनों लोग अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी पूर्वक निर्वाह कर सकें।

संगीता पात्रो, पंचायत समिति सदस्य

जागरूकता अभियान नहीं सख्त कार्रवाई की जरूरत

जब तक स्कूल प्रबंधन और पुलिस प्रशासन पर ठोस और कड़ी कार्रवाई नहीं होती है, तब तक स्कूली बच्चे अपने-आप को असुरक्षित महसूस करते रहेंगे। क्योंकि जितना भी आप जागरुकता अभियान चलाकर समझाने का प्रयास करें, टेंपो, वैन वाले क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाएंगे ही। ऐसा वे लोग कसम खाकर बैठे हैं। जरूरत पर ऊंची पैरवी भी करवाने से नहीं चूकते हैं। इसलिए जब तक ठोस और कड़ी कार्रवाई नहीं होती है तब तक टेंपो, वैन चालक नहीं सुधरेंगे। इसके लिए अभिभावक को भी सजग और जागरूक होने की जरूरत है। उन्हें ऐसे ऑटो और वैन में अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहिए।

सोमवारी पात्रो

परमिट रिन्यूअल के लिए भेजा जाएगा नोटिस

स्कूल वाहनों में बच्चों की सेफ्टी को लेकर जिला प्रशासन सतर्क है और इसके लिए कार्रवाई भी चल रही है। रोड सेफ्टी की मीटिंग में भी डीएसई को स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाने के लिए कहा गया है। सभी बस ओनर्स को बस की परमिट रिन्यूअल के लिए आरटीए के जरिए नोटिस भेजा जाएगा। बसों की फिटनेस देख कर ही परमिट रिन्यूअल किया जाता है। इसके साथ बस में सुरक्षा से संबंधित सभी बिंदुओं पर जांच की जाएगी। इतना ही नहीं स्कूलों के साथ भी बैठक और कार्यशाला आयोजित कर सेफ्टी की जानकारी देते हुए उन्हें जागरूक किया जाएगा।

दिनेश रंजन, डीटीओ, जमशेदपुर