JAMSHEDPUR: स्टील सिटी में ग्राउंड वाटर का लेबल नीचे होने के चलते चिंतित सरकार लोगों को रेन वाटर हारवेस्टिंग लगाने पर जोर दे रही है। रेन वाटर हारवेस्टिंग के प्रति सजग होकर शहर के लेाग अनमोल कहे जाने वाले पानी को संग्रहित कर अभियान में सहयोग कर जल को बचा सकते हैं। बारिश के दिनों में बारिश का पानी बेकार न होने पाएं इसके लिए लोग पहले से ही तैयारी कर बारिश का जल बचा सकते हैं।

खेतों में यूज हो सकता है पानी

बारिश के जल को एकत्र कर खेती के काम में प्रयोग किया जा सकता है। बता दें कि 300 वर्ष मीटर की छत के लिए वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम लगाने में 1000 से 20000 तक खर्च आ सकता है। जिससे बारिश के दौरान छत पर गिरे हुए पानी को पाइप के माध्यम से टैंक में स्टोर किया जा सकता है। जिससे कुछ दिन बाद गमलों या खेती के काम में भी प्रयोग किया जा सकता है। बारिश के दौरान बर्तनों को बाहर रखकर पानी स्टोर कर सकते है।

पानी को करें स्टोर

जमशेदपुर में भूगर्भ जल बेहद दूषित होने के कारण शहर के 60 से 70 प्रतिशत लोग प्यूरीफायर लगाकर पानी पीते है। शहर के पानी में अर्सेनिक की मात्रा ज्यादा होने पर लगभग एक लीटर पानी प्यूरीफायर करने में लगभग 4 लीटर पानी की बर्बादी होती है जिसे लेाग आम तौर पर नाली में बहा देते हैं। इस पानी का उपयोग वाटर हारवेस्टिंग या पेड़ पौधे पर डालने, घर की धुलाई करने, कपड़ा धुलने या बर्तन माजने में किया जा सकता है। जिससे हर घर लगभग 100 लीटर पानी बचाया जा सकता है।

सरकार भी दे सकती है सहयोग

शहर में भूगर्भ जल दूषित होने के चलते शहर की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली स्वर्णरेखा नदी से ही शहर में जल की आपूर्ति की जाती है। शहर में मानगो, टाटा, मोहरदा, और बागबेड़ा में पानी की सप्लाई की जाती है। नदी से निकलने वाले कच्चे पानी का शोधन करने में हर दिन लाखों लीटर पानी नालों में बहा दिया जाता है। जिसका उपयोग व्यापारिक कार्यो में किया जा सकता है। जिससे पानी की बर्बादी के साथ ही पैसे की बचत हो सकती है।

भूगर्भ खजाने से गायब हुआ जल

देश में नदियों का दायरा तेजी से सिमटता जा रहा है। कभी पूरे साल भरी रहने वाली स्वर्णरेखा और खरकई नदिया आज खुद पानी को तरह रही है। शहर में दिन प्रति दिन बढ़ रही गर्मी और बारिश न होने के कारण नदियों का जल सूखता जा रहा है। जिससे एक बार शहर के सामने जल संकट के रूप में आ चुका है। दिन प्रतिदिन कम हुई बारिश और बांध बनाकर नदियों के पानी को व्यापारिक कार्यो में उपयोग करने से नदियों का जल आज टेल तक पहुंच ही नहीं पा रहा हैं। शहर में कभी पूरे साल भरी रहने वाली नदियां गर्मी आते ही दम तोड़ दे रही है। जिसका सीधा प्रभाव भूगर्भ जल पर पड़ा है।