जमशेदपुर (ब्यूरो)। जनाब! ऐसी स्कूली वैन को फौरन करें बैन। जी हां, स्टील सिटी जमशेदपुर में जिस तरह स्कूली बच्चों को पुरानी अनफिट वैन में ढोया जा रहा है, वो कतई सही नहीं है। बच्चों को भेड़-बकरियों की तरह वैन में ठूंस-ठूस कर बैठाया जा रहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि जितना हो सकता है, यानी जरूरत से ज्यादा बच्चों को बैठाया जा रहा है और वे मासूम चूं तक नहीं करते, क्योंकि उन्हें तो कुछ पता ही नहीं। उन्हें लगता है कि ऐसे ही ठूंस कर स्कूल जाना होता है और वे इसे अपनी नियति मान चुके हैं। इतना ही नहीं, स्कूली वाहन की न तो स्पीड लिमिट नजर आती है और न ही मासूम बच्चों की सुरक्षा ही दिखती है। आलम यह है कि 19 सीट वाली टाटा विंगर में 30 बच्चे बेखौफ बैठाये जा रहे हैं। बच्चे बैठाकर, लटकाकर, अटकाकर ढोये जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि दुर्घटनाएं नहीं हो रही हैं, हादसे भी हो रहे हैं। इसके बावजूद बच्चों की सुरक्षा का ख्याल किसी को नहीं है। प्रशासन की तो बात करनी भी बेमानी है। ट्रैफिक पुलिस या यूं कहें कि पुलिस तो हेलमेट जांच करने और परिवहन विभाग कॉमर्शियल व्हीकल्स का चालान काटने में ही व्यस्त है। बच्चों की सुरक्षा से किसी को कोई सरोकार नहीं है।

ड्राइवर सीट पर भी बच्चे

जिला परिवहन विभाग द्वारा पूर्व में हुई बैठक के बाद स्कूली वाहनों के लिए सीटिंग क्षमता का निर्धारण किया गया था। अब आपको बता दें कि जिस 7 सीटर वैन में 12 साल से कम उम्र के 9 बच्चों को बैठाने का नियम है, उस वैन में दोगुने से ज्यादा बच्चे बैठाए जाते हैं। वैन के रुकने के बाद जब बच्चे उतरते हैं तो आप गिनते-गिनते थक जाएंगे, क्योंकि वाहन चालक उसमें इतने बच्चों को ठूंस लेते हैं, जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते। इतना ही नहीं, आगे यानी ड्राइवर की बगल वाली सीट पर भी 2 से तीन बच्चे बैठाए जाते हैं। यहां तक कि ड्राइवर भी अपनी सीट पर बच्चों को बैठा लेता है।

बच्चियां भी ड्राइवर सीट पर

नियम के तहत ड्राइवर वाली बगल सीट पर लड़की को नहीं बैठाया जा सकता है। लेकिन वैन हो या ऑटो, कहीं भी इस नियम का पालन नहीं हो रहा है। छात्राओं को ड्राइवर अपनी सीट के साथ ही बगल वाली सीट पर बैठा रहे हैं, लेकिन इसे भी देखने वाला कोई नहीं है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

-बसों में स्कूल, वैन का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए।

-वाहन का उपयोग स्कूली गतिविधियों व परिवहन के लिए ही करना है।

-वाहन का कलर पीला हो, जिसके बीच में नीले रंग की पट्टी पर स्कूल का नाम होना चाहिए।

-वाहन चालक को न्यूनतम पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए।

-वाहनों में जीपीएस डिवाइस लगी होनी चाहिए, ताकि ड्राइवर को कोहरे व धुंध में भी रास्ते का पता चल सके।

-सीट के नीचे स्कूल बैग रखने की व्यवस्था होनी चाहिए।

-वाहन में अग्निशमन यंत्र रखा हो।

-वाहन में प्राथमिक उपचार के लिए फस्र्ट एड बॉक्स उपलब्ध हो।

-स्कूली बस में ड्राइवर व कंडक्टर के साथ उनका नाम व मोबाइल नंबर भी लिखा हो।

-बस के अंदर सीसीटीवी भी इंस्टॉल होना चाहिए, ताकि दुर्घटना के बारे में पता लगाया जा सके।

-किसी भी ड्राइवर को रखने से पहले उसका वेरिफिकेशन कराना जरूरी है।

-बस चालक के अलावा एक सह चालक साथ में होना जरूरी है।

-चालक का कोई चालान नहीं होना चाहिए और न ही उसके खिलाफ कोई मामला हो।

- बस में एक महिला शिक्षक भी होनी चाहिए।

परमिट भी फेल

जहां तक नियमों की बात है तो उसका पालन कहीं नहीं हो रहा है। ज्यादातर स्कूलों में बिना परमिट अवैध रूप से स्कूल वैन और ऑटो दौड़ रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों से संबद्ध वाहनों का परिवहन विभाग से परमिट लेना जरूरी है, लेकिन यहां तो ज्यादातर स्कूलों में बिना परमिट ही वैन दौड़ाई जा रही है। सिटी में एक भी वैन या ऑटो को स्कूल में चलाने का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है।

अनफिट वैन हादसे की वजह

दरअसल, वाहनों की हर साल फिटनेस जांच इसलिए कराई जाती है ताकि उनमें मिलने वाली खामियों को दूर किया जा सके। एलपीजी से चलने वाले वाहनों की गैस किट की जांच भी फिटनेस जांच कराते वक्त की जाती है, ताकि किट में कोई गड़बड़ी हो तो उसे दूर किया जा सके। फिटनेस जांच न होने के कारण गैस किट की जांच भी नहीं होती है। यदि किट में लीकेज होती है तो खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है।

जहां मन, वहीं मारी ब्रेक

सड़कों पर अब स्कूल बस और वैन चालक मनमानी करते हैं। बिना स्टॉपेज के कहीं भी गाड़ी खड़ी कर देते हैं। स्कूल बस के लिए तो कई स्टॉपेज भी तय नहीं है। मनमाने तरीके से ठहराव के कारण अक्सर जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। गर्मी के दिनों में छात्र-छात्राओं को ज्यादा परेशानी होती है।

स्पीड भी कम नहीं, हो रहे हादसे

स्कूली बच्चों के लिए स्पीड लिमिट का कोई मानक भी नहीं है। इस कारण स्कूली वाहन चालक मनमाने तरीके से ड्राइव करते हैं। इस कारण कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। कई बार ऑटो से बच्चे गिर चुके हैं। कुछ दिन पहले जुगसलाई में एक स्कूली वाहन चालक एक बाइक सवार को धक्का मारकर भाग निकला। दुर्घटना में एक स्कूली बच्चे की मौत हो गई थी। आज तक उक्त बस चालक पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

वाहन व उनकी सीटिंग कैपासिटी

वाहन सीटिंग कैपासिटी अंडर 12

मारुति वैन ड्राइवर सहित 7 9

टाटा विंगर ड्राइवर सहित 14 19

ऑटो रिक्शा ड्राइवर सहित 5 6

ऑटो रिक्शा विक्रम ड्राइवर सहित 7 9

टाटा मैजिक ड्राइवर सहित 8 10

टाटा सुमो ड्राइवर सहित 10 10