जमशेदपुर (ब्यूरो): ग्रेजुएट कॉलेज के हिंदी विभाग में &वर्तमान समय में भक्तिकालीन साहित्य की प्रासंगिकता&य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कॉलेज की प्राचार्या डॉ। मुकुल खंडेलवाल उपस्थित थीं। उन्होंने कहा कि भक्तिकालीन साहित्य की प्रासंगिकता एक बार फिर से दिखाई पड़ती है। जिस तरह से आज सामाजिक समरसता बिगड़ रही है, राजनीतिक स्वार्थ के चलते धर्म, जाति और पंथ के आधार पर समाज में कटुता को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह देश हित में नहीं है। कहा कि भक्तिकालीन साहित्य सर्जना के समय भी यही स्थिति थी। उस समय के साहित्य रचना ने जिस तरह से समाज के बीच समरसता कायम रखने में सफलता पाई थी, इसलिए आज उस साहित्य की आवश्यकता बढ़ गई है।

राजनीतिक फायदे के लिए

मुख्य वक्ता प्रो। राकेश कुमार पांडेय ने कहा कि वर्तमान समय चुनौतियों से भरा हुआ है। आज राजनीतिक साजिश न सिर्फ समाज को तोडऩे का काम कर रही है, बल्कि स्वार्थ वश ऐसे विचार को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो धार्मिक और जातिगत खाइयों को बढ़ावा देने का काम करेंगी। कहा कि दुर्भाग्य है कि जिस भक्तिकालीन साहित्य ने समाज को बांधकर मजबूती प्रदान करने का काम किया था, राजनीतिक फायदे के लिए बेवजह के आरोप लगाकर उसी साहित्य को जलाया जा रहा है।

रचना करने की जरूरत

पांडेय ने कहा कि ऐसे समय में साहित्यकार और साहित्य प्रेमियों का दायित्व है कि विखंडन के कागार पर खड़े समाज को बचाने के लिए भक्तिकालीन साहित्य के जैसी साहित्य की रचना करें और कबीर, तुलसी, सुर, जायसी, रसखान, रहीम जैसे कवियों द्वारा प्रदत अनमोल साहित्य से समाज को आलोकित करें। वर्तमान समय में विखंडित हो रहे समाज और राष्ट्र के लिए भक्तिकालीन साहित्य ही समाज को एकजुट करने में सहायक होंगे।

इनकी रही मौजूदगी

संगोष्ठी में छात्रा श्रुति चौधरी, सोनी कुमारी और अमीषा कुमारी ने भी अपने विचार रखे। संगोष्ठी की अध्यक्षता हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ। भारती कुमारी, संचालन हेमलता कुमारी और धन्यवाद ज्ञापन अनामिका कुमारी ने किया। संगोष्ठी में, काजल सिंह, अनुभा कुमारी, मानसी कुमारी, सोनी सिंह, सेतु कुमारी, सपना कुमारी सहित अन्य छात्राएं उपस्थित थीं।