-बेल्डीह क्लब में 'जल संसाधनों के सतत विकास' पर हो रही कार्यशाला

JAMSHEDPUR: टाटा स्टील रूरल डेवलेपमेंट सोसाटी और नेचुरल रिसोर्सेस डिवीजन (एनआरडी) ने मिलकर बेल्डीह क्लब में 'जल संसाधनों के सतत विकास' पर दो दिवसीय कार्यशाला शुक्रवार को शुरू हुई। इसमें ग्रामीण विकास मंत्रालय, झारखंड के प्रधान सचिव एनएन सिन्हा, टाटा स्टील के वीपी कॉरपोरेट सर्विसेज सुनील भास्करन, टाटा स्टील के नेचुरल रिसोर्सेस डिपार्टमेंट के चीफ टीएस सुरेश कुमार व सीएसआर चीफ बिरेन भूटा के दिशा-निर्देशन में सिंहभूम में जल संरक्षण व संसाधनों पर काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं व अन्य सरकारी संगठनों के बुद्धिजीवी लगातार दो दिनों तक जल संसाधनों के सतत विकास पर मंथन करेंगे व जल संरक्षण के उपाय भी ढूंढेंगे।

तीन सत्र का था पहला दिन

शुक्रवार को कार्यशाला का पहला दिन तीन सत्र का था। इसे उद्घाटन सत्र, परिचयात्मक सत्र व तकनीकी सत्र में विभाजित किया गया था। परिचयात्मक सत्र में सीजीडब्ल्यूबी, पटना के डायरेक्टर इंचार्ज सह वैज्ञानिक जीके रॉय ने भारत और झारखंड में सतही व भूगर्भ जल के परिवेश पर प्रकाश डाला, जबकि पीएमयू के डायरेक्टर कालोल साहा ने राष्ट्रीय जल नीति के बारे में बताया। झारखंड स्टेट वाटर शेड मिशन के सीईओ बी। निजलिंगप्पा ने वाटरशेड के उद्देश्य और वाटरशेड मैनजमेंट पर जानकारी दी। तकनीकी सत्र में रांची विवि के सहायक प्रोफेसर नितिश प्रियदर्शी ने सतही जल संसाधन को कोल्हान के परिपेक्ष्य में विस्तार से बताया। इस दौरान प्रदान संस्था के टीम को-ऑर्डिनेटर प्रेम प्रकाश ने गोला में तैयार जलछाजन को केस स्टडी के तौर पर प्रस्तुत किया। पहले दिन के अंतिम सत्र में टीएसआरडीएस के एसएन नंदी और देबदूत मोहंती ने वर्षा जल को जमा करने में किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया।

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यह जलवायु परिवर्तन का ही असर है कि झारखंड में दो माह बारिश हुई, फिर नहीं हुआ। नतीजतन सरकार को राज्य में सूखा घोषित करना पड़ा। वर्षा जल के अभाव में झारखंड में एक फसली खेती की जा रही है। यहां दो-तीन फसली खेती का प्रयास होना चाहिए। यह तभी संभव होगा जब जल संचयन के लिए गंभीर प्रयास किए जाएंगे। सरकार जल सरंक्षण के लिए चार हजार करोड़ की योजना बना रही है।

-एनएन सिन्हा, प्रधान सचिव, ग्रामीण विकास, झारखंड सरकार

आज के दौर में जल संरक्षण हम सभी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। हम

टाटा स्टील में कम से कम पानी का प्रयोग करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। कंपनी शहर में री-साइकिल प्लांट बैठा रही है, ताकि अनुपयोगी जल को क्00 फीसद उपयोग लायक बनाया जा सके। दो माह में यह प्लांट कमीशन हो जाएगा।

-सुनील भास्करन, वीपी सीएस, टाटा स्टील