जमशेदपुर : कोरोना महामारी को देखते हुए पहली बार आदिवासी समुदाय सेंदरा पर्व को केवल पारंपरिक पूजा पाठ कर मना रहे हैं। दलमा में शिकार पर्व को मनाने के लिए दो गुट है। एक गुट है फकीर चंद्र सोरेन की अध्यक्षता वाली दलमा बुरू दिशुवा सेंदरा समिति आसनबनी जबकि दूसरा गुट है दलमा राजा के रूप में विख्यात राकेश हेम्ब्रम की अध्यक्षता वाली दलमा बुरू सेंदरा समिति गदड़ा। रविवार को दोनों ही गुट ने अलग-अलग स्थानों पर वन देवी देवताओं को बली देकर पूजा अर्चना किया। दोनो ही पूजा स्थल के आसपास वन विभाग के कर्मचारी दूर से ही नजर लगाए हुए थे। कहीं पूजा-पाठ करने के बाद सेंदरा समिति का क्या कार्यक्रम है। पूजा-पाठ करने के बाद दोनों सेंदरा समिति के लोग वापस लौट गए, इससे वनकर्मियों ने थोड़ी राहत की सांस ली है। हालांकि वनकर्मी पूरे रात दलमा में पेट्रो¨लग करेंगे, ताकि कोई शिकारी अंदर न प्रवेश कर जाए।

सुरक्षा दें देवी-देवता : दलमा राजा

दलमा बुरू सेंदरा समिति के अध्यक्ष सह दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम ने अपने सदस्यों के साथ दलमा की तराई फदलोगोड़ा में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए एक बकरा, चार मुर्गा, दो बतक व कबूतर का बली दिया। इस अवसर पर पूरे विधि विधान से पूजा करने के बाद दलमा राजा राकेश ह्रेम्ब्रम ने बताया कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण परंपरा को निभाने के लिए यह सांकेतिक पूजा की गई। उन्होंने बताया कि देवी देवताओं से यह मांगा कि जंगल में जो सूखी लकड़ी चुनने के लिए आते हैं, वे लोग दुर्घटना का शिकार न हों, इसके अलावा कोरोना से मुक्ति के लिए दलमा में बसे गांव, घर परिवार के लोग सुरक्षित व सुख-शांति से रहें। इस अवसर पर दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम, पुजारी (लायक) लाल मोहन गागराई, बुधेश्वर सॉय, लॉबिन भूमिज, रोशन हेम्ब्रम, रितेश पूर्ती आदि उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि बाहर यानि बंगाल, ओडिशा या अन्य दूर दराज से आने वाले लोग नहीं आ रहे हैं, जिसके कारण समिति के लोग पूजा कर वापस अपने घर जा रहे हैं। जंगल में सेंदरा करने नहीं जाएंगे। उन्होंने बताया कि पहले रात में सभी लोग रूक जाते थे और तड़के दलमा के अंदर प्रवेश कर जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।

सांकेतिक मना रहे सेंदरा पर्व : फकीर चंद्र सोरेन

दलमा बुरू दिशुवा सेंदरा समिति आसनबनी के अध्यक्ष फकीर चंद्र सोरेन अपने सदस्यों के साथ दलमा की तराई बांधडीह में वन देवी वे देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बकरी, मुर्गी व कबूतर का बली दिया। इस अवसर पर फकीरचंद्र सोरेन ने कहा कि वह देवी देवताओं से कोरोना महामारी से मानव जाति को मुक्त करने, जल जंगल व जमीन की रक्षा करने की मन्नत मांगी। उन्होंने कहा कि पहली बार लोग घने जंगल में शिकार करने नहीं जाएंगे। इस वर्ष तो केवल परंपरा का निर्वाह करने के लिए पूजा पाठ कर रहे हैं, हालांकि सोमवार की सुबह समिति के लोग सांकेतिक रूप से में जंगल के किनारे जाएंगे। इसके बाद वापस लौट जाएंगे। अध्यक्ष फकीरचंद्र सोरेन, सचिव सत्यनारायण मुर्मू की उपस्थिति में पुजारी (लायक) धनंजय पहाडि़या, कुदुम नायके, देवेन कर्मकार द्वारा पूजा पाठ संपन्न कराया गया। इस अवसर पर गोपाल मार्डी, बास्ता हांसदा, मनसा राम मांझी, चुनकु मांझी, नेपाल मांझी, कांता मांझी, लंबू मांझी, पूर्ण मार्डीं, मंगल मांझी, प्रधान मांझी, टुयसू कर्मकमार, टेंपो मांझी, लखीराम मुर्मू, बसो मांझी आदि उपस्थित थे।