JAMSHEDPUR: टाटा स्टील द्वारा आयोजित संवाद के सातवें संस्करण की दूसरी शाम देश-विदेश के जनजाति समुदायों की झलक दिखी। इस दौरान अरुणाचय प्रदेश के गालो जनजाति के कलाकारों ने पोपीर नृत्य से बुरी आत्माओं को भगाने के लिए प्रार्थना की। इसके बाद महाराष्ट्र के वारली जनजाति समुदाय ने लौकी, ताड़ और बांस से बने तर्पण जैसे वाद्य यंत्र से अपनी संस्कृति को दर्शाया। वहीं, गुजरात के भील जनजाति के केशव भाई की टीम ने शहनाई और ढ़ोल की धुन पर डांगी नृत्य प्रस्तुत किया जिसे होली, दीपावली और पहली फसल के दौरान प्रस्तुत किया जाता है। इसके बाद ओडिसा के भूमिज समुदाय ने करम नृत्य और आस्ट्रेलिया के जॉनी ने गिटार की धुन पर अपनी पारंपरिक नृत्य और गीत को प्रस्तुत किया। संवाद की दूसरी शाम टेटसो सिस्टर्स की रही जिन्होंने अपने गीत, जीवन काफी सुंदर है, एक साथ आने का संदेश दिया। मालूम हो कि कोविड 19 के कारण इस बार टाटा स्टील ऑनलाइन ही संवाद का आयोजन कर रही है। इस मौके पर जिरेन टोप्पनो, शिखा मार्डी और अंकिता टोप्पो ने पूरी शाम के कार्यक्रम का संचालन किया।

प्रस्तुत किया पोपीर नृत्य

संवाद की दूसरी शाम की शुरूआत उगते सूरज की भूमि अरुणापल प्रदेश से हुई। मोपिन त्योहार के समय किए जाने वाले पोपीर नृत्य पोपीर का प्रस्तुत किया। पेड़ की डाली के आसपास नृत्य करते हुए स्थानीय कलाकारों ने बुरी आत्माओं को भगाने और प्रार्थना की जो अपने साथ बुरी किस्मत लाते हैं और कई सारी बाधाएं खड़ी करते हैं। अपने गीत से कलाकार प्रार्थना करते हैं कि किसी विनाशकारी प्राकृतिक आपदा की शापित छाया उन्हें प्रभावित न करें और वे शांति और सदभाव से अपना जीवन व्यतीत कर सके। मोपिन त्योहार के आगमन पर समुदाय के सदस्य एक-दूसरे के चेहरे पर चावल का पाउडर लगाते हैं। खुशी के इस उत्सव के दौरान गालो जनजाति समुदाय के कलाकारों द्वारा किए जाने वाले नृत्य के दौरान समुदाय का हर युवा, वृद्ध, पुरुष और महिलाएं इस खुशी में शामिल होते हैं और संगीत, वाद्ययंत्र की धुन और ताल पर अपनी खुशी का इजहार करते हैं।

तरपा नृत्य की धूम

महाराष्ट्र के पालघर जिले के झांझर गांव से वारली जनजाति ने दूसरी ऑनलाइन प्रस्तुति तरपा नृत्य के रूप में दी। पहली बारिश के बाद उगने वाली लौकी, बांस और ताड़ के पत्तों से बने वाद्य यंत्र जिसे तर्पण किया जाता है। इसकी धुन पर वारली जनजाति के कलाकारों ने नृत्य किया। होली व दीपावली जैसे त्योहार और पहली फसल पर किए जाने वाले इस नृत्य को समुदाय के लोग पवित्र मानते हैं। इस नृत्य के दौरान तर्पण वाद्य यंत्र की धुन पर महिला व पुरुष गोलाकार आकृति में नृत्य करते हैं।

डांगी नृत्य की दी प्रस्तुति

भारत का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय भील जो राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में रहते हैं। गुजरात के डांगी जिले में रहने वाले भील जनजाति के कलाकारों ने केशव भाई के नेतृत्व में डांगी नृत्य प्रस्तुत किया। होली, दीपावली और पहली फसल कटने के बाद मुख्यत: इस नृत्य को किया जाता है। पुरुष केसरिया कुर्ते और सफेद पजामा और पारंपरिक साड़ी व आभूषण सजी महिलाओं ने ढ़ोल, ढ़ोलकी और शहनाई की धुन पर नृत्य करते हुए अपनी खुशी का इजहार किया।

करम नृत्य

झारखंड और ओडिसा की एक प्रमुख जनजाति है भूमिज समुदाय। ओडिसा के बालासोर जिले में रहने वाले भूच्जि समुदाय ने अच्छी बारिश के लिए प्रकृति से आशीर्वा मांगने के लिए करम नृत्य किया ताच् िक्षेत्र में अच्छी फसल हो। सफेद रंग के परिधान पहने महिला व पुरुष कलाकारों ने करम पेड़ की डाल के साथ मादर और ढोल की थाप पर थिरकते हुए प्रकृति की पूजा की। करम पूजा समुदाय के लोग ¨हदू कैलेंडर के अनुसार भद्रा माह की एकादर्शी में करती है।

गिटार पर आस्ट्रेलिया के जॉनी प्रस्तुत किया संगीत

आस्ट्रेलिया के आदिवासी संगीतकार जॉनी हकल ने गिटार की धुन पर एक गीत प्रस्तुत किया। जॉनी हकल का एक हाथ टूटा हुआ था इसके बावजूद उन्होंने आत्मा, आदमी, पहचान, न्याय और सदभाव को दर्शाते हुए गीत प्रस्तुत किया। अपने गीत पर उन्होंने बताया कि वे अपनी संस्कृति में कितने समृद्ध है जो हर किसी का सम्मान करते हैं।

टेटसो सिस्टर्स ने सजायी शाम

नागालैंड के कोहिमा से टेटसो सिस्टर्स ने संवाद की दूसरी शाम को अपनी अंतिम प्रस्तुति सजाई। नागालैंड के चौकासांग जनजाति के चोखरी बोली में सबगीत गायन के साथ गीत प्रस्तुत किया। वायु वाद्य यंत्र बम्हूम, पारंपरिक नागा तांती स्ट्रिंग वाद्ययंत्र खरोखरो शेकर्स और गिटार के साथ अपने गीत प्रस्तुत किया.रंग-बिरंगे परिधानों के साथ टेसटो सिस्टर्स ने अपने गीत से सभी को एकजुट रहने की अपील की।

यूट्यूब में जाकर देख सकते हैं लाइव कार्यक्रम

लौहनगरी के निवासियों को इस वर्ष संवाद लाइफ देखने का मौका है। इसके लिए टाटा स्टील की टीम ने संवाद के लिए समर्पित यूट्यूब चैनल बनाया है जिसका नाम है संवाद मोर पावर टू आवर ट्राइब्लस। इसे टाइप कर शहरवासी 15 से 19 नवंबर तक संवाद का मजा ले सकते हैं। मंगलवार की शाम उरावं, डांगी भील, भूटिया जनजाति सहित साउथ अफ्रीका के कलाकार संवाद की तीसरी शाम को अपने पारंपरिक नृत्य व गीत से सजाएंगे।