जमशेदपुर। हाल ही में चेन्नई के एक चिडि़याघर में नौ साल की शेरनी की कोरोना की चपेट में आने से हुई मौत के बाद सिटी में जुबली पार्क स्थित टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में भी जानवरों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं, ताकि उन्हों किसी तरह का खासकर कोरोना संक्त्रमण न हो। इसके लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी ने भी गाइडलाइंस दिया है और उसका पालन भी किया जा रहा है।

रोज होती है कर्मियों की जांच

टाटा जू के सभी कर्मचारियों की प्रतिदिन जांच की जाती है। उन्हें गम बूट्स पहनना है, उनका टेम्प्रेचर और ऑक्सीजन लेवल की जांच की जाती है और इसके बाद ही उन्हें जू में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। इसका मकसद जानवरों को संक्त्रमण से बचाना है।

संक्त्रमण रोकने के पुख्ता प्रयास

टाटा जू के निदेशक बिपुल चक्त्रवर्ती कहते हैं कि यहां सक्त्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है। हालांकि जू अथॉरिटी द्वारा जानवरों की सुरक्षा के लिए एहितयाती उपाय किए जा रहे हैं। इसके लिए जू के कर्मचारियों की पूरी जांच के बाद ही प्रवेश की अनुमति दी जा रही है, ताकि किसी तरह के संक्त्रमण को रोका जा सके।

पहली बार 2019 में मिला था केस

गौरतलब है कि सबसे पहली बार कोरोना का मामला दिसंबर 2019 में सामने आया था। कई ऐसे एग्जांपल्स भी हैं, जिसमें इंसानों और जानवरों के बीच संक्त्रमण के फैलने की बात सामने आयी है। यह भी पाया गया है कि संक्त्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने के बाद कई जानवरों ऊदबिलाव, कुत्ते, पालतू बिल्लियां, शेर और चीता में कोरोना का संक्त्रमण मिला है।

सेंट्रल जू ऑथरिटी ने गाइडलाइन दिया है। इसके आधार पर ही काम किया जा रहा है। 24 घंटे जानवरों की निगरानी की जा रही है। पशु चिकित्सक नजर रख रहे हैं। यहां किसी जानवर में कोई संक्त्रमण नहीं मिला है।

विपुल चक्त्रवर्ती, निदेशक, टाटा जूलॉजिकल गार्डेन, जमशेदपुर