जमशेदपुर (ब्यूरो): कहा गया कि राज्य में 24 में से मात्र 3 जिलों में भाषा के रूप में भोजपुरी को मनोनीत किया गया है। परिषद ने राज्य के बाकी जिलों में भी भोजपुरी को मान्यता देने की मांग की।

सीएम का आभार जताया

परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने 3 जिलों में मान्यता को लेकर मुख्यमंत्री का आभार जताया साथ ही कहा कि झारखंड राज्य के 24 जिलों में लगभग 30 लाख से ज्यादा भोजपुरी भाषा समझने और बोलने वाले लोग निवास करते हैं। ऐसी परिस्थिति में मात्र सिर्फ 3 जिलों में के प्रतिभागी को भोजपुरी भाषा में चयनित होने का अवसर देना दूसरे जिला के भोजपुरी भाषा-भाषियों के साथ अन्याय होगा। उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा एक समृद्ध भाषा है, जिसे झारखंड के सभी लोग बोलते और समझते हैं। इसलिए किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सभी भाषाओं के व्यक्तियो को आदर सम्मान के साथ प्रतियोगिता में प्रतिभागी बनने को अवसर मिलना चाहिये, ताकि झारखंड में मान्य किसी भी भाषा में अपने प्रश्नों का उत्तर देने के लिए चयन कर सकते हैं, जिससे झारखंड के चहूंमुखी विकास में भोजपुरिया भाषा भाषी कदम से कदम मिला कर सर्वागीण विकास के पथ पर अपने आप में एक मिसाल पेश करेंगे। उन्होंने सीएम से इस विषय पर गंभीरता से विचार करने और झारखंड के प्रत्येक जिले में कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में भोजपुरी भाषा को सम्मिलित करने की मांग की ताकि दूसरे भाषा भाषी भी भोजपुरी में अपने प्रश्नों के उत्तर दे सके।

इनकी रही मौजूदगी

इस दौरान श्रीनिवास तिवारी, मिथिलेश श्रीवास्तव, मुन्ना चौबे, प्रमोद पाठक, ताराचंद श्रीवास्तव, मनोज सिंह, अधिवक्ता भगवान मिश्रा, राजेन्द्र सिंह, बीरबहादुर सिंह, सुरेंद्र सिंह, उमाशंकर सिंह, अप्पू तिवारी, पवन ओझा, अरुण शुक्ला, गोपाल सिंह, शिव बिहारी राम, श्रीकांत मिश्रा, मुरारी सिंह, कन्हैया साह, साधुशरण लाल समेत अन्य मौजूद रहे।