-बढ़ रही हैं रोड एक्सीडेंट्स की घटनाएं

-सीट बेल्ट और हेलमेट का यूज नहीं करते हैं लोग

-पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन से हेल्प लेने की तैयारी

द्भड्डद्वह्यद्धद्गस्त्रश्चह्वह्म@द्बठ्ठद्ग3ह्ल ट्यूजडे को ट्रैफिक डिपार्टमेंट ने हेलमेट चेकिंग अभियान चलाया, जुबिली पार्क गेट के पास घंटों चेकिंग हुई। इस दौरान बगैर हेलमेट बाइक चला रहे कई लोग पकड़े गए। आए दिन चलने वाले इन चेकिंग अभियानों में पकड़े जाने वाले लोगों में बड़ी संख्या अंडरएज ड्राइवर्स की होती है। चेकिंग अभियान का भी जमशेदपुराइट्स पर कुछ खास असर नहीं दिखता। हाल ही में जुबिली पार्क के पास बाइक से स्टंट दिखा रहे एक 19 वर्षीय युवक की मौत हो गई थी और एक अन्य युवक गंभीर रूप से घायल हुआ था। इन घटनाओं के जिम्मेदार जितने बाइक ड्राइव करने वाले हैं, उतनी ही जिम्मेदारी पैरेंट्स और पुलिस की भी है।

नहीं है बच्चों की फिक्र

पहले जिस उम्र में बच्चे ट्रैफिक के बीच साइकिल चलाने से डरते थे आज उसी उम्र में पावरफुल बाइक्स पर हवा से बातें करते हैं। मोबाइल के बाद हर बच्चे की जिद है एक मोटरसाइकिल और पैरेंट्स इस जिद को खुशी-खुशी पूरा भी करते हैं फिर चाहे बच्चे की उम्र मोटरसाइकिल चलाने लायक हो या ना हो, लेकिन यह प्यार बच्चों पर काफी भारी पड़ रहा है। मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक 18 साल कम उम्र होने पर पब्लिक प्लेस में गाड़ी चलाने पर रोक है, पर सिटी में इस रूल का धड़ल्ले से वॉयलेशन हो रहा है।

पुलिस भी है जिम्मेदार

अंडरएज ड्राइविंग, बगैर हेलमेट गाड़ी चलाने के बढ़ते चलन के लिए जितने जिम्मेदार पैरेंट्स हैं उतनी पुलिस भी। सिटी में ट्रैफिक रूल्स का खुलेआम वायलेशन होता है पर उस पर लगाम लगाने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। समय-समय पर चेकिंग अभियान चलता है, लेकिन कुछ लोगों को फाइन कर एक-दो दिन में ये अभियान भी खत्म हो जाता है।

सड़क पर होता है स्टंट

सिटी में यूथ बीच सड़क पर स्टंट करते दिख जाते हैं। ये स्टंट अक्सर एक्सीडेंट की वजह बनते हैं। हाल ही में जुबिली पार्क के पास स्टंट के दौरान एक युवक की मौत हो गई वहीं एक गंभीर रूप से घायल हुआ। मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत डेंजरस ड्राइविंग के लिए कड़ी सजा का प्रोविजन है, लेकिन लोगों में इस रूल की परवाह भी नहीं दिखती।

नहीं है कमिटी

मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत स्टेट लेवल पर एक रोड सेफ्टी काउंसिल और डिस्ट्रिक्ट लेवल पर रोड सेफ्टी कमिटी बनाने का प्रोविजन है। ये कमिटी रोड सेफ्टी को प्रमोट करने के साथ-साथ रोड सेफ्टी प्लान बनाने, ड्राइवर ट्रेनिंग, ट्रैफिक प्लानिंग, एक्सीडेंट एनालिसिस, पब्लिसिटी इनिशिएटिव जैसे काम करती है, लेकिन ईस्ट सिंहभूम में फिलहाल ऐसी कोई कमिटी नहीं है।

40 परसेंट लोग नहीं पहनते हेलमेट

हेलमेट पहनने के मामले में जमशेदपुरआइट्स पीछे हैं। ट्रैफिक डीएसपी राकेश मोहन सिन्हा ने बताया कि फाइन का भी लोगों पर असर नहीं पड़ रहा है। नया एमवी एक्ट आने के बाद फाइन बढ़ेगा तब शायद कुछ असर पड़े। उन्होंने कहा कि आज भी 40 परसेंट लोग बिना हेलमेट के बाइक ड्राइव करते हैं, तो फिर सीट बेल्ट की बात कौन करे। उन्होंने कहा कि इसके लिए लोगों को खुद ही अवेयर होना होगा।

पेट्रोल-डीजल नहीं देने की तैयारी

ट्रैफिक पुलिस सीट बेल्ट और हेलमेट के यूज को लेकर पेट्रोल पंप डीलर एसोशिएशन की भी हेल्प लेने की तैयारी कर रही है। ट्रैफिक डीएसपी आरएम सिन्हा ने बताया कि सीनियर ऑफिशियल्स से डायरेक्शन मिलने के बाद एसोसिएशन से बात की जाएगी कि वे उन लोगों को पेट्रोल या डीजल न दें, जो सीट बेल्ट नहीं बांध कर या फिर हेलमेट नहीं पहन कर पेट्रोल पंप आते हैं।

फोर योर इन्फॉर्मेशन

-अगस्त, 1997 में रोड एक्सीडेंट में ब्रिटेन की प्रिंसेस डायना की जान चली गयी थी। इस दुर्घटना में कार में सवार उनके चार साथियों में से केवल बॉडीगार्ड ट्रेवर जॉन्स ही बच पाए थे। बाद में पता चला कि कार में केवल उन्होंने ही सीट बैल्ट बांधा था।

-2007 में दिल्ली के फॉर्मर सीएम साहिब सिंह वर्मा की रोड एक्सीडेंट में डेथ हो गई थी। उन्होंने भी सीट बेल्ट नहीं लगाया था। अमरीका में हुए एक रिसर्च में पता चला है कि सीट बैल्ट बांधने से कार की अगली सीट पर बैठे यात्री की जान का जोखिम 45 परसेंट तक कम हो जाता है, जबकि नॉर्मल से सीरियस इंजूरी का खतरा 50 परसेंट तक घट जाता है।

चलेगा अभियान

-हेल्थ व फैमिली वेलफेयर मिनिस्ट्री व्हीकल ड्राइव करते वक्त सेफ्टी मेजर्स की अनदेखी करने वाले लोगों को जागरूक करने की पहल करेगी।

-एनजीओ की हेल्प से से मल्टी मीडिया अभियान चलाने पर विचार किया जा रहा है।

-पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन से भी ली जाएगी हेल्प। उनके सहयोग से लोगों को किया जाएगा अवेयर।

एक्सीडेंट्स की वजहें

-ओवर स्पीडिंग

-ड्रंकेन ड्राइविंग

-डिस्ट्रैक्शन टू ड्राइवर

-रेड लाइट जंपिंग

-अवाइडिंग सेफ्टी गेयर्स लाइक सीट बेल्ट्स एंड हेलमेट्स

-गलत तरीके से ओवरटेकिंग

लोगों को खुद अवेयर होना होगा। कंपनी के अंदर जाते वक्त लोग हेलमेट व सीट बेल्ट लगाकर जाते हैं, लेकिन बाहर आते ही सीट बेल्ट खुल जाता है और हेलमेट भी सिर से उतर जाता है। जब तक मानसिकता नहीं बदलेगी कुछ नहीं हो सकता। अभी फाइन भी कम है। नए एमवी एक्ट में हेवी फाइन है। शायद उसका कुछ असर पड़े।

-राकेश मोहन सिन्हा, डीएसपी, ट्रैफिक